नरक चतुर्दशी पर होती है यमराज की पूजा, MP में 275 साल पहले स्थापित हुई थी प्रतिमा

नरक चतुर्दशी हिंदू धर्म में दीवाली के एक दिन पहले मनाई जाती है. इस दिन लोग अपने घरों को साफ करते हैं, दीप जलाते हैं और भगवान यमराज की पूजा करते हैं ताकि जीवन में किसी भी तरह की नकारात्मकता दूर हो सके. यमराज की पूजा के लिए देश भर से लोग जाते हैं. इस बार भी भक्तों का रेला शुरु हो गया है.;

( Image Source:  Social Media )
Edited By :  संस्कृति जयपुरिया
Updated On : 29 Oct 2024 3:24 PM IST

नरक चतुर्दशी, जिसे छोटी दीवाली या रूप चौदस भी कहते हैं, हिंदू धर्म में दीवाली के एक दिन पहले मनाई जाती है. यह त्योहार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आता है और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है. इस दिन को 'नरक से मुक्ति' का दिन भी माना जाता है.

पौराणिक कथा के अनुसार, 'भगवान कृष्ण ने इस दिन नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था और 16,000 कन्याओं को उसके बंदीगृह से मुक्त किया था. इस जीत की खुशी में लोग दीप जलाते हैं और त्योहार मनाते हैं.'

यहां होती है भगवान यमराज की पूजा

नरक चतुर्दशी के दिन लोग अपने घरों को साफ करते हैं, दीप जलाते हैं और भगवान यमराज की पूजा करते हैं ताकि जीवन में किसी भी तरह की नकारात्मकता दूर हो सके. मृत्यु के देवता यमराज का मंदिर ग्वालियर में है जो कि 275 साल पहले स्थापित हुआ था. इस मंदिर का नाम मार्कंडेय मंदिर है. यहां पर यमराज की पूजा और अभिषेक दिवाली के एक दिन पहले होता है.

इस मंदिर में स्थापति है प्रतिमा

ग्वालियर के मार्कंडेय मंदिर में स्थापति यमराज की प्रतिमा 275 साल पुरानी है. इस चौदस पर यमराज की पूजा की जाती है और लोग देश भर से यहां पूजा के लिए आते हैं.

मार्कन्डेय मंदिर के पूजारी पण्डित मनोज भार्गव का कहना है कि नरक चौदस के दिन यमराज की पूजा करना बेहद ही खास होता है, इसका बहुत महत्तव है. एक पौराणिक के मुताबिक- 'यमराज की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने यमराज को वरदान दिया था कि आज से तुम हमारे गण माने जाओगे और दीपावली से एक दिन पूर्व नरक चौदस पर तुम्हारी पूजा होगी.'

कैसे होती है यमराज की पूजा?

पण्डित भार्गव ने बताया कि कैसे होती है यमराज की पूजा. यमराज की पूजा में सबसे पहले उनकी प्रतिमा पर 'घी,तेल,पंचामृत,इत्र, फूल-माला,दूध,दही और शहद आदि से कई बार अभिषेक किया जाता है.' फिर स्तुति गान और पूजा करने के बाद दीप-दान किया जाता है. यमराज की पूजा का दीपक भी अलग होता है. चांदी के चौमुखी दीपक से आरती की जाती है. यमराज की पूजा के लिए देश भर से लोग जाते हैं. इस बार भी भक्तों का रेला शुरु हो गया है.

Similar News