हर महीने की कमाई 25 पैसे! सतना का किसान बना देश का ‘सबसे गरीब आदमी’, सरकारी गलती पर सियासी बवाली

मध्यप्रदेश के सतना जिले में एक किसान को जारी आय प्रमाण पत्र में उसकी सालाना कमाई सिर्फ 3 रुपये दर्ज कर दी गई, जिससे वह 'देश का सबसे गरीब आदमी' बन गया. यह मामला वायरल होते ही कांग्रेस ने सरकार पर तंज कसा. तहसीलदार ने इसे क्लेरिकल गलती बताते हुए नया सर्टिफिकेट जारी किया, जिसमें आय 30,000 रुपये थी. यह घटना सरकारी सिस्टम की लापरवाही और राजनीति में गरमागरमी का प्रतीक बन गई.;

( Image Source:  ANI )
Edited By :  प्रवीण सिंह
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मध्यप्रदेश के सतना जिले से एक ऐसी खबर आई है, जिस पर यकीन करना मुश्किल है. एक किसान को सरकार ने आधिकारिक दस्तावेज में देश का सबसे गरीब आदमी बना दिया. मामला तब सामने आया जब नायागांव गांव के रहने वाले रामस्वरूप नाम के किसान को आय प्रमाण पत्र जारी हुआ. उसमें उनकी सालाना आमदनी सिर्फ 3 रूपयक लिखी थी, यानी हर महीने 25 पैसे.

सोशल मीडिया पर सर्टिफिकेट वायरल होते ही कांग्रेस ने तंज कस दिया कि “मोहान राज में मिला भारत का सबसे गरीब इंसान.” मामला इतना गंभीर हो गया कि प्रशासन को सफाई देनी पड़ी. अधिकारियों ने इसे क्लेरिकल एरर बताया और नया सर्टिफिकेट जारी कर दिया. लेकिन इस बीच, इस एक ‘कागजी गलती’ ने सरकार की किरकिरी करा दी और विपक्ष को बड़ा हथियार मिल गया.

कैसे हुआ यह अजीब मामला?

सतना जिले के कोठी तहसील कार्यालय में 22 जुलाई को नायागांव निवासी रामस्वरूप ने आय प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया. प्रक्रिया पूरी हुई और सर्टिफिकेट तहसीलदार सौरभ द्विवेदी के हस्ताक्षर के साथ जारी हो गया. लेकिन जब दस्तावेज उनके हाथ में आया, तो वह हैरान रह गए. उस पर लिखा था - “सालाना आमदनी: 3 रुपये.” सोचिए, सरकारी आंकड़े कह रहे थे कि एक किसान पूरे साल में सिर्फ तीन रुपये कमाता है.

सोशल मीडिया पर बवाल, कांग्रेस का तंज

सर्टिफिकेट वायरल होते ही कांग्रेस ने इसे हाथों-हाथ लिया. पार्टी ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट कर कहा, “मोहान राज में मिला भारत का सबसे गरीब इंसान! सतना जिले में जारी आय प्रमाण पत्र में सालाना आमदनी सिर्फ 3 रुपये बताई गई. जनता को गरीब बनाने का मिशन चल रहा है क्या? क्योंकि अब तो कुर्सी ही कमीशन खा रही है!” कांग्रेस ने सीएम मोहान यादव को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ा. इस पोस्ट के बाद सोशल मीडिया पर मीम्स और व्यंग्य की बाढ़ आ गई.

किसान की परेशानी और दफ्तर का सफाई अभियान

रामस्वरूप ने जैसे ही गलती देखी, वह सीधे कोठी तहसील दफ्तर पहुंचे और शिकायत दर्ज कराई. तब जाकर हकीकत सामने आई. तहसीलदार सौरभ द्विवेदी ने माना कि यह एक क्लेरिकल गलती है. उन्होंने कहा, “हमारे कार्यालय से गलती से ₹3 लिखा गया, जबकि सही आंकड़ा ₹30,000 है. अब नया प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया है.” 25 जुलाई को नया प्रमाण पत्र दिया गया, जिसमें उनकी सालाना आय ₹30,000 यानी हर महीने ₹2,500 दर्ज की गई.

लेकिन सवाल बरकरार

भले ही गलती मान ली गई और नया प्रमाण पत्र बन गया, लेकिन इस घटना ने सरकारी सिस्टम की पोल खोल दी. एक छोटे से दस्तावेज में हुई गलती ने पूरे प्रदेश की प्रशासनिक विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं. लोग पूछ रहे हैं, “अगर सिस्टम इतनी लापरवाह है, तो जिन योजनाओं का आधार यही दस्तावेज हैं, उनका क्या होगा?”

राजनीति में बवाल क्यों?

इस मामले ने विपक्ष को बड़ा मुद्दा दे दिया है. कांग्रेस लगातार मोहन यादव सरकार पर हमले कर रही है. पार्टी इसे सरकार की 'जनविरोधी नीतियों' का प्रतीक बता रही है. वहीं, सत्तारूढ़ दल इसे महज एक तकनीकी गलती कहकर मामले को छोटा दिखाने की कोशिश कर रहा है.

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