MLA के सामने न खड़े होने पर कार्रवाई? HC ने कहा - ‘समझ से परे’, हरियाणा पर 50k जुर्माना, डॉक्टर को NOC जारी करो

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने कोविड-19 के दौरान इमरजेंसी ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर को एमएलए के आने पर सीट से ना खड़ा होने पर प्रदेश की सरकार को फटकार लगाई है. साथ ही कहा कि आपातकालीन ड्यूटी डॉक्टरों का सम्मान करें. MLA स्वागत पर खड़े रहना इतना जरूरी नहीं!;

( Image Source:  ANI )
Edited By :  धीरेंद्र कुमार मिश्रा
Updated On : 22 Nov 2025 4:48 PM IST

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार आचरण को गंभीर चिंता का विषय बताया है. अदालत ने कहा अस्पताल में दौरे के दौरान इमरजेंसी ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर का खड़ा न होना इतना बड़ा अपराध नहीं है कि आप उसे एमडी की पढ़ाई करने के लिए एनओसी न दें. साथ ही परेशान करें. यह घटना संवेदनहीन सरकार के प्रतीक है.

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने  इस मसले पर प्रदेश सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि एमएलए के आने पर डॉक्टर का खड़ा होना जरूरी नहीं है. वो भी तब जब वो कोविड-19 के दौरान इमरजेंसी ड्यूटी पर तैनात हो.

अदालत ने डॉक्टर को इस बात के लिए परेशान करने पर प्रदेश सरकार 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. साथ ही डॉक्टर को आगे की पढ़ाई करने के लिए एनओसी जारी करने के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने MLA के अस्पताल दौरे के दौरान खड़े होकर अभिवादन नहीं करने के बदले परेशान करने वाली कार्रवाई को “बहुत परेशान करने वाला” और “संवेदनहीन” बताया.

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, यह मामला हरियाणा के एक सरकारी अस्पताल में एमएलए के दौरे के दौरान पीड़ित डॉक्टर का खड़ा ना होने से जुड़ा है. डॉक्टर की गलती इतनी थी कि वो कोविड-19 के दौरान इमरजेंसी ड्यूटी पर था, और एमएलए को पहचान नहीं पाया. इस बात को लेकर दौरे पर आये विधायक नाराज हो गए. साथ ही प्रदेश सरकार से कहकर डॉक्टर के खिलाफ नोटिस जारी करा दिया. साथ ही उसे परेशान भी किया गया.

 कोर्ट ने इसे असंवेदनशील और मनमाना कदम बताया है. और हरियाणा को ₹50,000 जुर्माना भी लगाया है. साथ ही डॉक्टर PG कोर्स के लिए आवश्यक NOC तुरंत जारी करने का आदेश भी दिया है.

ऐसा प्रोटोकॉल तर्क से परे

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट की बेंच के जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्रा और जस्टिस रोहित कपूर ने कहा कि यह कार्रवाई “बहुत परेशान करने वाली (highly disturbing)” और “अनसंवेदनशील (insensitive)” है. कोर्ट ने कहा कि इस तरह के “अपेक्षित प्रोटोकॉल” को डॉक्टरों पर थोपना तर्कहीन है.

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