105 रुपये की UPI पेमेंट और अकाउंट हो गया फ्रीज, कोर्ट से छोले-भटूरे बेचने वाले को ऐसे मिली राहत
इन दिनों साइबर क्राइम के मामले बहुत चल रहे हैं. लोग जालसाजों की बातों में आ जाते हैं और फिर उन्हें भारी नुकसान हो जाता है. साथ ही इन मामलों में कुछ निर्दोष लोग भी फंस जाते हैं. हाल में दिल्ली में छोले-भटूरे बेचने वाला साइबर फ्रॉड का शिकार बन गया. उसके अकाउंट में कुछ पैसे आए और फिर उसका अकाउंट उसे बिना बताए फ्रीज कर दिया गया. अब हाई कोर्ट ने उस व्यक्ति को राहत दी है.;
साइबर क्राइम के मामलों में दिन-ब-दिन वृद्धि हो रही है, और ऐसे मामलों में कई बार निर्दोष लोग भी फंस जाते हैं. हाल ही में दिल्ली के अशोक विहार में एक ऐसा मामला सामने आया, जहां एक व्यक्ति जो अपने ठेले पर छोले-भटूरे बेचकर अपना गुजारा करता था, एक साइबर फ्रॉड का शिकार बन गया. उसके खाते में अचानक 105 रुपये आए और इसके बाद उसका बैंक अकाउंट फ्रीज कर दिया गया. इस पर उसने दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया. अब कोर्ट ने उसे बड़ी राहत दी है, और बैंक को उसके अकाउंट पर लगी रोक हटाने का आदेश दिया है.
अशोक विहार में ठेलेवाले की समस्या
यह मामला उस व्यक्ति के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा था, जो अपने परिवार की रोजी-रोटी के लिए अपने ठेले पर छोले-भटूरे बेचता था. अक्टूबर में जब उसने अपने बैंक अकाउंट से पैसे निकालने की कोशिश की, तो उसे पता चला कि किसी ने उसके खाते में 105 रुपये भेजे हैं. जांच में सामने आया कि यह पैसे साइबर फ्रॉड से जुड़े थे, लेकिन उस व्यक्ति को इसका कोई अंदाजा नहीं था. बैंक ने उसकी जानकारी के बिना अकाउंट पर रोक लगा दी थी. इसके बाद, उसने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की.
कोर्ट ने याचिकाकर्ता की स्थिति को समझते हुए, यह माना कि उसने जानबूझकर कोई गलत काम नहीं किया. कोर्ट ने यह भी कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि उसने अवैध गतिविधियों से पैसे प्राप्त किए हैं. न्यायाधीश मनोज जैन ने कहा कि याचिकाकर्ता साइबर अपराध में शामिल नहीं था और उसे अपने परिवार की दिनचर्या चलाने के लिए अपनी कमाई की जरूरत है.
कोर्ट का आदेश और बैंक की जिम्मेदारी
दिल्ली हाई कोर्ट ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को आदेश दिया कि वह 105 रुपये के अलावा, व्यक्ति के खाते पर लगी रोक हटा कर उसे सामान्य रूप से संचालित करने दे. कोर्ट ने यह भी कहा कि जांच एजेंसी से इस बारे में रिपोर्ट मांगी गई थी कि 71 हजार रुपये की धोखाधड़ी हुई थी, जिसमें से केवल 105 रुपये याचिकाकर्ता के खाते में आए थे.
याचिकाकर्ता की स्थिति और साइबर फ्रॉड से जुड़ा मामला
याचिकाकर्ता ने अदालत में यह भी बताया कि वह उत्तर-पश्चिम दिल्ली के अशोक विहार में एक छोटे से ठेले पर छोले-भटूरे बेचता है और इस काम से ही वह अपना परिवार चलाता है. साइबर फ्रॉड की घटना के कारण उसका जीवन मुश्किलों में था, लेकिन अब हाई कोर्ट के फैसले से उसे राहत मिली है.
इस मामले में कोर्ट का निर्णय एक बड़ा संदेश देता है कि यदि कोई व्यक्ति किसी साइबर फ्रॉड का शिकार होता है, तो उसे बिना किसी ठोस प्रमाण के दोषी ठहराना सही नहीं है. साथ ही, यह भी दिखाता है कि न्याय प्रणाली कैसे निर्दोष नागरिकों की मदद करती है.