पत्नी को उचित गुजारा भत्ता देने से इंकार करने वाले पति की खुली पोल, दिल्ली HC ने दिया फैसला
दिल्ली हाईकोर्ट से एक खबर आई है, जहां पर 2019 में फैमिली कोर्ट ने महिला के लिए महज 16 हजार रुपये मासिक गुजारा भत्ता तय किया था और अब उस भत्ते को लेकर महिला ने अदालत में तस्वीरें पेश की हैं, जिसमें देखा जा सकता है कि कैसे पति महंगी कार में सैर करता हुआ और आलीशान होटलों में खाना खाता हुआ दिखाई दे रहा है.;
हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट में एक अहम मामला सामने आया, जिसमें एक पत्नी ने अपने पति की लग्जरी लाइफस्टाइल को लेकर न्यायालय में शिकायत की. उसने अदालत में अपने पति की तस्वीरें पेश की, जिनमें वह महंगी कार में सैर करता हुआ और आलीशान होटलों में खाना खाता हुआ दिखाई दे रहा था. इस आधार पर अदालत ने पति से पत्नी को ज्यादा गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया. इस मामले में न्यायमूर्ति अमित महाजन की बेंच ने पति के दावे की कड़ी आलोचना की, जिसने अपनी आय कम बताकर पत्नी को बहुत कम गुजारा भत्ता देने की कोशिश की थी.
अदालत ने पति से सवाल किया कि जब वह महंगी कार का इस्तेमाल कर सकता है और आलीशान होटलों में खाना खा सकता है, तो पत्नी को उचित भरण-पोषण देने में क्यों आनाकानी कर रहा है? यह सवाल दर्शाता है कि वैवाहिक विवादों में अक्सर ऐसा देखा जाता है कि पति अपनी असली इंकम को छिपाता है और खुद को वित्तीय रूप से कमजोर दिखाने की कोशिश करता है.
भरण-पोषण का उद्देश्य सिर्फ जीवित रहना नहीं
न्यायालय ने इस बात पर भी जोर दिया कि भरण-पोषण का मतलब सिर्फ जीवन जीने के लिए बुनियादी सुविधाएं नहीं है. बल्कि, पत्नी को वही वैसा सा ही जीवन देना चाहिए, जो वह अपने पति के साथ विवाह के दौरान जीती थी. अदालत ने कहा कि यह उसका कानूनी और नैतिक अधिकार है, और इसे भीख मांगने के रूप में न देखा जाए.
इस मामले में अदालत ने पति की वास्तविक इंकम का पता लगाने के निर्देश दिए और साथ ही पत्नी के गुजारा भत्ते को बढ़ाकर 16 हजार से 25 हजार रुपये महीने कर दिया. यह आदेश इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए दिया गया कि फैमिली कोर्ट ने 2019 में महिला के लिए महज 16 हजार रुपये मासिक गुजारा भत्ता तय किया था. अदालत ने यह भी कहा कि पति को याचिका दाखिल करने की तारीख से लेकर अब तक का बाकी बकाया गुजारा भत्ता भी पत्नी को चुकाना होगा.
पति ने अपनी संपत्ति का किया खुलासा
पति ने दावा किया कि वह महंगी कार का इस्तेमाल करता है, महंगे होटलों में खाना खाता है, और पिता के बड़े व्यापार में हिस्सेदार है. हालांकि, जब पत्नी को भरण-पोषण देने की बात आई तो उसने अपनी स्थिति को खराब बताते हुए खुद को एक कमीशन एजेंट बताकर मामूली कमाई करने वाला व्यक्ति बताया. पत्नी ने याचिका में दावा किया था कि ससुर के पास दिल्ली में दो दुकानें और गोदाम हैं, इसके अलावा एक पैतृक आवास भी है.
यह मामला न केवल एक वैवाहिक विवाद का समाधान है, बल्कि समाज को यह भी संदेश देता है कि एक व्यक्ति, विशेषकर पति, को अपनी पत्नी के प्रति अपनी जिम्मेदारी और भरण-पोषण के प्रति संवेदनशीलता दिखानी चाहिए. अदालत ने यह स्पष्ट किया कि किसी भी व्यक्ति को उसके कानूनी अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता, चाहे वह पति हो या पत्नी.