'इतनी जल्दी क्यों थी?', MCD चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली LG पर उठाए सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम (MCD स्थायी समिति के छठे सदस्य के चुनाव को चुनौती देने वाली मेयर और आप नेता शैली ओबेरॉय की याचिका पर दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना के कार्यालय से जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले को दो हफ्ते बाद लिस्टेड किया है.;
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम (MCD स्थायी समिति के छठे सदस्य के चुनाव को चुनौती देने वाली मेयर और आप नेता शैली ओबेरॉय की याचिका पर दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना के कार्यालय से जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले को दो हफ्ते बाद लिस्टेड किया है.
दरअसल, हाईकोर्ट ने दिल्ली नगर निगम की स्थायी समिति की 18वीं और अंतिम सीट के लिए पिछले सप्ताह हुए चुनाव को लेकर उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना की "जल्दबाजी" पर सवाल उठाया है, तथा अब भाजपा के नियंत्रण वाले सदन में अध्यक्ष चुनने के लिए मतदान पर रोक लगा दी है.
जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस और महादेवन की पीठ ने उपराज्यपाल द्वारा नियमों का स्प्षट उल्लंघन करने हुए चुनाव कराने के आदेश के पीछे के कानूनी आधार पर भी सवाल उठाया. कोर्ट ने पूछा नामांकन का मुद्दा भी है. मेयर (सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी की शेली ओबेरॉय) अध्यक्षता करने के लिए हैं. आपको (उपराज्यपाल) यह शक्ति कहां से मिलती है?'
SC ने क्या कहा?
दिल्ली के उप राज्यपाल वीके सक्सेना पर सुप्रीम कोर्ट की धारा 487 को लेकर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर आप चुनाव कराने के लिए MCD धारा के तहत कार्यकारी शक्ति का इस्तेमाल करना शुरू करते हैं तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा.
भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने चुनाव जीता था, जबकि आम आदमी पार्टी (AAP) ने चुनाव का बहिष्कार किया था और आरोप लगाया था कि प्रक्रिया दिल्ली नगर निगम अधिनियम के विपरीत है. सत्तारूढ़ आप और कांग्रेस के पार्षदों द्वारा चुनाव का बहिष्कार किए जाने के कारण भाजपा उम्मीदवार सुंदर सिंह को 115 वोट मिले, जबकि आप उम्मीदवार निर्मला कुमारी को शून्य वोट मिले. परिणाम के साथ, 18 सदस्यीय समिति में अब भाजपा के 10 सदस्य हो गए हैं, जबकि सत्तारूढ़ आप के केवल आठ सदस्य हैं.