नई दिल्ली सीट से लड़ेंगे दो पूर्व सीएम के बेटे, क्या केजरीवाल को 'चौका' लगाने से रोक पाएंगे?
नई दिल्ली विधानसभा सीट पर इस पर मुकाबला बेहद कड़ा होने जा रहा है, क्योंकि इस बार दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटे पूर्व सीएम से भिड़ेंगे. जी हां... सही सुना आपने. बीजेपी ने परवेश वर्मा, कांग्रेस ने संदीप दीक्षित और आम आदमी पार्टी ने अरविंद केजरीवाल को इस सीट से टिकट दिया है. केजरीवाल लगातार तीन बार से यहां से जीत दर्ज कर रहे हैं. इस बार उनकी नजर जीत का चौका लगाने पर है.;
New Delhi Assembly Seat: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के लिए बीजेपी ने 4 जनवरी को 29 उम्मीदवारों की अपनी पहली लिस्ट जारी कर दी. आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक व पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ नई दिल्ली विधानसभा सीट से परवेश वर्मा को टिकट दिया है. पिछले कई दिनों से इस बात की चर्चा की थी कि बीजेपी केजरीवाल के खिलाफ परवेश वर्मा को उतार सकती है, जो कि सही साबित हुई.
इससे पहले, कांग्रेस ने संदीप दीक्षित को नई दिल्ली सीट से उम्मीदवार घोषित किया था. इस तरह अब इस सीट पर मुकाबला दो पूर्व सीएम के बेटों और एक पूर्व सीएम के बीच हो गया है. केजरीवाल अब दो पूर्व सीएम के बेटों से भिड़ेंगे, जिससे मुकाबला रोचक हो गया है.
सबसे हाई-प्रोफाइल सीट बनी नई दिल्ली
नई दिल्ली अब सबसे हाई-प्रोफाइल सीट बन गई है. इस सीट पर पूर्व सीएम शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित को कांग्रेस ने, जबकि पूर्व सीएम साहिब सिंह वर्मा के बेटे परवेश वर्मा को बीजेपी ने चुनावी मैदान में उतारा है. वहीं, पूर्व सीएम केजरीवाल फिर से इस सीट से चुनाव लड़ने जा रहे हैं. नई दिल्ली सीट के बारे में कहा जाता है कि जो भी यहां से जीतता है, वह सीएम बनता है.
2013 में शीला दीक्षित को हराकर सीएम बने थे केजरीवाल
साल 2013 में केजरीवाल ने मौजूदा सीएम शीला दीक्षित को हराकर नई दिल्ली सीट से जीत दर्ज की थी. केजरीवाल को 44 हजार 269, जबकि शीला को महज 18 हजार 45 वोट मिले थे. 2015 में केजरीवाल फिर से इस सीट से जीत दर्ज की. उन्होंने बीजेपी की नूपुर शर्मा को हराया. वहीं, 2020 में उन्होंने बीजेपी के सुनील यादव को हराकर तीसरी बार जीत दर्ज की. इस बार उनकी नजर जीत का 'चौका' लगाने पर है.
शीला दीक्षित कब तक सीएम रहीं?
शीला दीक्षित अब इस दुनिया में नहीं हैं. वे दिल्ली की सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाली मुख्यमंत्री थी. वे 1998 से 2013 तक सीएम रहीं. वे केरल की राज्यपाल भी रहीं. उन्हें 2019 में दिल्ली कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था. इसी साल जुलाई में उनका निधन हो गया. वे तीन बार यानी 15 साल 25 दिन तक सीएम रहीं.
साहिब सिंह वर्मा कब सीएम बने थे?
चौधरी साहिब सिंह वर्मा 26 फरवरी 1996 को दिल्ली के सीएम बने. वे 2 साल 228 दिन तक यानी 12 अक्तूबर 1998 तक मुख्यमंत्री रहे. उनके बाद सुषमा स्वराज को सीएम बनाया गया था. साहिब सिंह के पहले सीएम की कुर्सी पर मदन लाल खुराना बैठे हुए थे.
नई दिल्ली सीट का इतिहास
नई दिल्ली सीट 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई. उससे पहले यह गोल मार्केट सीट का हिस्सा थी. 1993 में गोल मार्केट से बीजेपी के कीर्ति आजाद ने जीत दर्ज की. इसके बाद 1998 से लेकर 2008 तक शीला दीक्षित ने जीत दर्ज की. फिर 2013 से 2020 तक लगातार तीन बार केजरीवाल ने जीत हासिल की. इस सीट के अंतर्गत ही इंडिया गेट, राष्ट्रपति भवन, संसद भवन और मंडी हाउस आदि आते हैं. इसी क्षेत्र में केंद्र सरकार के कई बड़े ऑफिस हैं.
AAP ने 2020 में 62 सीटों पर दर्ज की थी जीत
बता दें कि AAP को 2020 में 62 सीटें, 2015 में 67 और 2013 में 28 सीटें मिली थीं. वहीं, बीजेपी को 2020 में 8, 2015 में 3 और 2013 में 32 सीटें मिली थीं. कांग्रेस का पिछले दो चुनाव में खाता नहीं खुल पाया है. हालांकि, 2013 में वह 8 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही थी.