जंगपुरा की जंग हारे मनीष सिसोदिया, सीट बदलने से भी नहीं बनी बात; जानें क्या और कहां हुई गलती

दिल्ली चुनाव में मनीष सिसोदिया को हार मिली है. आपको बता दें कि जंगपुरा सीट से 600 वोटों से हारे. हालांकि इस हार के बाद पत्रकारों से उन्होंने पत्रकारों से बातचीत की और कहा कि मैं जीते हुए उम्मीदवारों को बधाई देता हूं. वहीं इसी के साथ पार्टी संयोजक केजरीवाल को भी नई दिल्ली सीट से हार मिली है.;

( Image Source:  ANI )
Edited By :  सार्थक अरोड़ा
Updated On : 8 Feb 2025 1:35 PM IST

इस बार दिल्ली के चुनावों में आम आदमी पार्टी दिल्लीवासियों का दिल जीतने में कामयाब नहीं हो पाई. जैसे-जैसे नतीजों आए तस्वीरें साफ होती चली गई. ठीक वैसे ही कौन हार रहा यह भी साफ होता जा रहा है. वहीं दिल्ली में इस बार भाजपा सरकार बनाने जा रही है. नतीजों की मानें तो आम आदमी पार्टी संयोजक केजरीवाल समेत, मनीष सिसोदिया को हार मिल चुकी है. नई दिल्ली से केजरीवाल हारे तो उधर जंगपुरा सीट से सिसोदिया को भी हार मिली.

हालांकि इससे पहले तक सिसोदिया पटपड़गंज सीट से लड़ रहे थे. उस दौरान उन्होंने अपने पूर्व पार्टी सहयोगी विनोद कुमार बिन्नी को 28,000 से अधिक मतों से हराया था, जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में चले गए थे. लेकिन 2020 में जब उन्होंने भाजपा के रविंदर सिंह नेगी को हराया, तो उनकी जीत का अंतर घटकर केवल 3,207 वोट रह गया.

इस बार पार्टी ने उन्हें जंगपुरा सीट से उतारने का फैसला लिया. क्योंकी यह सीट उनके लिए सेफ मानी जा रही थी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. हार के बाद उन्होंने पत्रकारों से भी बातचीत की और कहा कि जंगपुरा के लोगों के लोगों ने बहुत प्यार दिया लेकिन लगभग 600 वोट से हम पीछे रह गए. इसी दौरान जिन उम्मीदवारों की जीत हुई उन्हें बधाई दी गई. साथ ही यह भी कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि जंगपुरा के लोगों की समस्याओं को वे हल करेंगे.

इन उम्मीदवारों के बीच था मुकाबला

जंगपुरा सीट से भाजपा उम्मीदवार तरविंदर सिंह मारवाह जिन्होंने इस सीट से जीत हासिल की है. कांग्रेस ने इस सीट से फरहाद सुरी को उतारा था. वहीं आम आदमी पार्टी ने मनीष सिसोदिया को सामने किया. माना जा रहा है कि कांग्रेस ने आप का वोट काटा है. ज्यादातर मुस्लिम मतदाताओं ने इस सीट पर सूरी पर भरोसा जताया. वहीं ऐसे में सिसोदिया की हार का क्या कारण है? आइए जानते हैं.

क्या है सिसोदिया की हार का कारण

2015 में आम आदमी पार्टी ने जब दिल्ली की कमान संभाली थी उस समय मनीष सिसोदिया को डिप्टी सीएम के रूप में चुना गया था. आठ सालों तक डिप्टी सीएम की कुर्सी पर सिसोदिया ने राज किया. हालांकि इसके बाद पार्टी ने उन्हें कैबिनेट में भी जगह दी. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने शिक्षा में कई क्रांति की और कई स्कूल बनावाएं.

अक्सर अपनी रैलियों में आप यह बताती थी कि शिक्षा के क्षेत्र में सिसोदिया ने क्रांति की है. इस कारण गरीब बच्चे भी बड़े स्कूलों में पढ़ने लगे. आप ने इन स्कूलों को बड़ा मुद्दा बनाया. 2020 के चुनाव में यह मुद्दा काम भी आया, लेकिन 2025 में सिसोदिया के साथ खेल हो गया. इसके पीछे का कारण शराब घोटाला मामला है.

शराब घोटाले का आरोप

साल 2022 में उपर शराब में घोटाले का आरोप लगा था. उनकी गिरफ्तारी हुई इस मामले में उन्हें जेल भी जाना पड़ा. करीब एक साल से भी ज्यादा का समय बीता और उन्हें इस आरोप में जेल में रहना पड़ा. ईडी ने भी आरोप लगाया था कि इस घोटाले के मुख्य साजिशकर्ता सिसोदिया हैं. ईडी के इन आरोपों को आम आदमी पार्टी खारिज करती रहती है. लेकिन इस कारण उनकी छवि को काफी नुकसान पहुंचा है. शिक्षा क्रांतिकारी की छवि को शराब घोटाले के आरोप ने धूमिल कर दिया. हालांकि 2024 के जुलाई में सिसोदिया बाहर निकले और फिर से राजनीति में सक्रिय हुए.

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