दिल्ली विधानसभा परिसर में कथित ‘फांसी-घर’ के फसाद में फंसे केजरीवाल-सिसोदिया, कटघरे में तलब किये जाने की तैयारी शुरू!

दिल्ली विधानसभा परिसर में कथित ‘फांसी घर’ को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. बीजेपी सरकार का आरोप है कि केजरीवाल-सिसोदिया ने 2022 में एक गैर-मौजूद फांसीघर पर ₹1.04 करोड़ खर्च कर जनता को गुमराह किया. अब विधानसभा में इन्हें नोटिस जारी कर जवाबदेह ठहराने की तैयारी है. IGNCA और ICHR जैसी संस्थाओं ने फांसीघर की मौजूदगी से इनकार किया है. 24 अगस्त को कथित फांसीघर का साइनबोर्ड हटाया जाएगा. मामला विधानसभा से थाने तक पहुंचने की संभावना है.;

( Image Source:  Sora AI )
By :  संजीव चौहान
Updated On : 8 Aug 2025 4:08 PM IST

गड़े मुर्दे उखाड़ना और जनहित के मुद्दे दफन करने की कलाकारी देश के ‘नेताओं’ से ज्यादा बेहतरी से और कोई नहीं सिखा सकता है. इसी की जीती जागती मिसाल है दिल्ली विधानसभा परिसर में लंबे समय से चला आ रहा ‘फांसी घर’ होने और न होने का बवाल कहिए या फिर ‘फसाद’. फिलहाल दिल्ली विधानसभा परिसर में एतिहासिक ‘फांसी घर’ बताकर पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया एंड कंपनी ने अपने शासनकाल में, जिसकी पूजा-अर्चना, रख-रखाव के इंतजाम शुरू कर दिए थे.

अब 27 साल बाद दिल्ली में आई भारतीय जनता पार्टी और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की सरकार ने, इसी ‘फांसी घर’ की कथित मौजूदगी का गड़ा मुर्दा उखाड़कर फिर से नया फसाद खड़ा कर दिया है. फसाद भी कोई हल्का-फुल्का नहीं. उस स्तर का कि हो सकता है अब इस मुद्दे पर पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पूर्व उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को विधानसभा की ओर से नोटिस देकर कटघरे में बुलाने तक का फरमान न जारी कर डाला जाए. हालांकि, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने तो फांसी घर के इस गड़बड़झाले को पूरी तरह से ‘कैश’ कर डालने के इरादे से मामले में बाकायदा थाने में मुकदमा तक दर्ज करा डालने की अपनी मंशा तक को जाहिर कर डाला है.

मुद्दे को भुनाने को बीजेपी ने कर ली पूरी तैयारी

हालांकि इस घर बैठे फिजूल के झगड़े या रार की शुरुआत आम आदमी पार्टी की हुकूमत में ही साल 2022 में की गई थी. मौजूदा रेखा गुप्ता और भाजपा शासित सरकार तो अब इस वक्त बस उस गड़े मुर्दे को उखाड़कर कैश करके, अरविंद केजरीवाल एंड कंपनी को घेरकर उसकी औकात या कहिए आप की पूर्व सरकार की कथनी-करनी में मौजूद फर्क नंगा करना चाह रही है. मौजूदा हुकूमत का आरोप है कि साल 2022 में अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्रित्व काल वाली जिस ‘आप’ सरकार ने विधानसभा परिसर में ‘फांसी घर’ मौजूद होने की न केवल बात कही थी, अपितु इमारत को एतिहासिक धरोहर बताकर, उसके रख-रखाव पर भी 1 करोड़ चार लाख रुपए जैसी मोटी सरकारी रकम फूंक डाली थी. मौजूदा सरकार के दावे के मुताबिक, ऐसा कोई ऐतिहासिक फांसी-घर तो दिल्ली विधानसभा परिसर में है ही नहीं. तब फिर बाकायदा एक तय स्थान पर पूर्व सरकार ने एतिहासिक फांसी-घर का साइनबोर्ड लगवा कर उसकी हिफाजत का इंतजाम करने की शुरूआत क्यों कर डाली थी?

सरकारी खजाने का धन क्यों लुटाया?

मौजूदा हुकूमत का सवाल सौ फीसदी सही है कि जब विधानसभा परिसर में कोई एतिहासिक महत्व वाला ‘फांसी घर’ है ही नहीं, तब फिर उसके रख-रखाव पर 1 करोड़ 4 लाख का सरकारी खजाने का धन क्यों लुटाया गया? रेखा गुप्ता की सरकार अब इस बेजा धन खर्चे को अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया से वसूलने के पूरे मूड में दिखाई दे रही है. यहां तक की रेखा गुप्ता तो इस मामले को थाने चौकी ले जाकर बाकायदा धोखाधड़ी करके सरकारी खजाने का धन लुटाने का मुकदमा तक दर्ज कराने के मूड में दिखाई दे रही हैं.

IGNCA, ICHR जैसे संस्थानों ने फांसीघर होने की बात से किया इनकार

वर्तमान दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष और बीजेपी के वरिष्ठ नेता विजेंद्र गुप्ता ने भी विधानसभा परिसर में ऐसे किसी एतिहासिक ‘फांसी घर’ का अस्तित्व न होने की बात की पुष्टि ‘स्टेट मिरर हिंदी’ से की है. उन्होंने पूर्व सरकार के इस कृत्य को न केवल सरकारी खजाने की बर्बादी कहा, अपितु इसे दिल्ली के जनमानस की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करार दिया है. विजेंद्र गुप्ता के मुताबिक, “साल 2022 में तब की सरकार ने जिस जगह पर एतिहासिक फांसी घर होने की मनगढ़ंत बात बताकर साइनबोर्ड लगाया था, उस साइनबोर्ड को हम हर हाल में आगामी 24 अगस्त तक या उससे पहले हटवा देंगे. यह जनमानस में भ्रम की स्थिति पैदा करता है. हमने IGNCA, ICHR जैसे कई प्रमाणिक संस्थानों से इस बारे में रिपोर्ट मांगी थी. इन दोनों की ही रिपोर्ट्स में साफ लिखा गया है कि फांसी घर नहीं है.

केजरीवाल और सिसोदिया को देना होगा जवाब

दोनों संस्थानों के विशेषज्ञों के मुताबिक जिस जगह को या जिस जगह पर पूर्व सरकार ऐतिहासिक फांसी घर होने का खोखला-मनगढ़ंत दावा पेश करती रही थी. वहां असल में दो टिफिन रूम थे. इन टिफिन रूम को कैसे और क्यों अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के कार्यकाल में फांसी घर करार दिया गया? और क्यों उन्होंने जो फांसी घर कभी अस्तित्व में ही नहीं था उसके रख-रखाव पर 1 करोड़ 4 लाख रुपए सरकारी खजाने से फूंक डाले गए? इन सवालों का जवाब इन्हीं लोगों से मांगे जाएगा.”

1911 के नक्‍शे में भी नहीं मिला फांसीघर

अरविंद केजरीवाल सरकार को गलत ठहराने की पुष्टि में मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता आगे कहते हैं कि, “एतिहासिक नक्शा भी इस बात की पुष्टि करता है कि यहां (दिल्ली विधानसभा परिसर) कोई एतिहासिक फांसी घर दूर दूर तक है ही नहीं. इसके लिए साल 1911 का नक्शा भी देखा गया है. उस नक्शे में भी इस जगह पर टिफिन रूम और लिफ्ट लिखी हुई है.” दिल्ली विधानसभा में हो रही इस मुद्दे पर खुली चर्चा के दौरान तब माहौल गर्मा गया जब, रेखा गुप्ता कैबिनेट के मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को, ‘सबसे बड़ा मूर्ख’ करार देकर उनके ऊपर तंज कर दिया. और कहा कि ढाई फीट जगह को अरविंद केजरीवाल मनगढ़ंत तरीके से फांसी घर करार दिए बैठे हैं. अब कोई इस ढाई फीट के फांसी घर में जाकर लटक कर तो एक बार दिखाए. इस बयान के विरोध में आम आदमी पार्टी सदस्यों ने सदन में कड़ा विरोध जताते हुए जमकर हंगामा किया. जब आप पार्टी सदस्य शांत नहीं हुए तो मार्शलों ने नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी, विधायक जरनैल सिंह, प्रेम चौहान व कुलदीप कुमार को परिसर से बाहर का रास्ता दिखा दिया.

24 अगस्‍त को हटा दिया जाएगा साइनबोर्ड

इस बीच दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि, 24 अगस्त 2024 को दिल्ली में ऑल इंडिया स्पीकर कान्फ्रेंस होना तय है. इसलिए उसी दिन इस कथित फांसी घर के साइनबोर्ड को हटाया जाएगा. हालांकि इस सबके बीच आप पार्टी विधायक संजीव झा ने पार्टी का बचाव करते हुए दलील दी थी कि, “तमाम एतिहासिक इमारतें और घटनाएं दस्तावेजों में दर्ज नहीं होती हैं. इसका मतलब यह नहीं कि वे सब झूठी ही हों. जिस कमरे को हमारी सरकार ने साल 2022 में फांसी घर बताया था, वहां रस्सी, कंचे, जूते आदि मिले थे. अंग्रेज भी फांसी देने के बाद कांच के गोले और कंचे मारा करते थे. यह परखने को कि जिसे फांसी चढ़ाया जा चुका है. उस इंसान का शरीर पूरी तरह से शांत हुआ है या नहीं. यह तथ्य शहीद भगत सिंह के ऊपर लिखी गई हरबंश राज की किताब में भी मौजूद है.”

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