दिल्ली में प्रदूषण के खिलाफ उबाल: इंडिया गेट पर प्रदर्शन, पुलिस पर मिर्ची स्प्रे से हमला; आखिर क्या थी वजह?

दिवाली के बाद से दिल्ली की हवा लगातार जहरीली बनी हुई है और इसी के खिलाफ राजधानी में प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. रविवार को इंडिया गेट पर प्रदूषण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन अचानक तनावपूर्ण हो गया जब प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पेपर स्प्रे से हमला कर दिया. पुलिस के कई अधिकारी घायल हुए और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. अधिकारियों का कहना है कि प्रदर्शनकारी बैरिकेड्स तोड़कर सड़क पर बैठ गए थे, जिससे एम्बुलेंस और मेडिकल टीम फंस गईं. पुलिस ने उन्हें हटाने की कोशिश की तो प्रदर्शनकारियों ने हमला कर दिया.;

( Image Source:  ANI )
Edited By :  नवनीत कुमार
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दिल्ली की हवा फिर से ज़हर में तब्दील हो चुकी है. सांस लेना तक मुश्किल हो गया है, और इस दमघोंटू हालात ने जनता के सब्र को भी तोड़ दिया है. राजधानी में पहली बार वायु प्रदूषण के खिलाफ लोगों का गुस्सा सड़कों पर उतर कर दिखाई दिया. इंडिया गेट, जो आज़ादी और शांति का प्रतीक माना जाता है, वहीं पर रविवार की शाम जनता ने सरकार और सिस्टम के खिलाफ अपना दबाव दिखाया.

पर्यावरण के नाम पर बनाई जा रही नीतियों और वादों को खोखला करार देते हुए सैकड़ों प्रदर्शनकारी मैदान में उतरे. लेकिन यह प्रदर्शन सिर्फ विरोध तक नहीं रुका, यह टकराव में बदल गया, और जिसकी कल्पना शायद पुलिस ने भी नहीं की थी. इससे पहले भी प्रदर्शन में माडवी हिडमा के समर्थन में नारे लगाए गए थे.

हिंसक मोड़ ले गया विरोध प्रदर्शन 

इंडिया गेट पर माहौल तब बिगड़ा जब प्रदर्शनकारियों की भीड़ बैरिकेड्स के आगे बढ़ने लगी. पुलिस ने उन्हें रोकने का प्रयास किया, लेकिन गुस्साई भीड़ पीछे हटने को तैयार नहीं थी. इसी धक्का-मुक्की के बीच कुछ प्रदर्शनकारियों ने अचानक पुलिस पर मिर्ची (पेपर) स्प्रे का इस्तेमाल कर दिया. हमले के बाद कई पुलिसकर्मियों की आंखों में जलन और सांस लेने में परेशानी होने लगी, जिसके बाद उन्हें तुरंत RML हॉस्पिटल भेजना पड़ा. दिल्ली पुलिस अब इस घटना को कानूनी मामले के रूप में ले रही है.

एम्बुलेंस फंसी थीं, इसलिए रोकना पड़ा

सीनियर अधिकारियों के मुताबिक प्रदर्शनकारियों के आगे बढ़ने से सी-हेक्सागन इलाक़े में कई एम्बुलेंस और मेडिकल टीमें फंस गई थीं. जब पुलिस ने रास्ता खुला रखने की अपील की, तो प्रदर्शनकारी और उत्तेजित हो गए. अधिकारियों का दावा है कि भीड़ ने बैरिकेड्स तोड़कर सड़क घेर ली और स्थिति हाथापाई तक पहुंचने लगी थी. यानी, प्रदूषण के खिलाफ प्रदर्शन एक समय क़ानून-व्यवस्था संकट में बदल गया था.

ये पहला हमला था, बख्शा नहीं जाएगा: दिल्ली पुलिस

डिप्टी कमिश्नर देवेश कुमार महला ने घटना को बेहद गंभीर बताया. उन्होंने कहा कि इतिहास में पहली बार भीड़ नियंत्रण अभियान के दौरान पुलिस पर पेपर स्प्रे का हमला हुआ है. घायल पुलिसकर्मियों का इलाज जारी है और किसी भी दोषी को छोड़ा नहीं जाएगा — FIR दर्ज होगी. उनके बयान का लहजा साफ इशारा करता है कि आगे ऐसे प्रदर्शनों पर सख्ती बढ़ाई जाएगी.

आखिर क्यों बढ़ रहा है जनता का गुस्सा?

दिल्ली का AQI कई हफ्तों से लगातार 300–400 के खतरनाक स्तर पर बना हुआ है. रविवार को तो यह 391 तक पहुंच गया यानी औसत नागरिक जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर. 19 निगरानी स्टेशनों में प्रदूषण स्तर “Severe” यानी गंभीर खतरे की श्रेणी में दर्ज किया गया. लोग पूछ रहे हैं- सरकारें सिर्फ बैठकें क्यों करती हैं, समाधान क्यों नहीं? यही बेचैनी अब विरोध में बदलने लगी है.

जब हवा दुश्मन बन जाए...

दिल्ली में प्रदूषण अब सिर्फ पर्यावरण का मुद्दा नहीं, जन-जीवन का संकट बन चुका है. एक तरफ लोग दहशत में जी रहे हैं, दूसरी तरफ सिस्टम के इंतज़ार में हालात बिगड़ते जा रहे हैं. इंडिया गेट की घटना बताती है कि अब जनता की सांसों पर राजनीति नहीं चल पाएगी. अब जवाब देना होगा- हवा साफ कब होगी? और इसकी जिम्मेदारी आखिर किसकी?

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