दिल्ली का दिल जीतने में कामयाब नहीं हो पाई AAP! जानें पार्टी की हार के 5 बड़े कारण

दिल्ली चुनाव में भाजपा को जीत मिलते नजर आ रही है. इस तरह AAP को बड़ा झटका लगा है. दिल्ली में कई सालों से सरकार चला रही आम आदमी पार्टी अब अपने हाथ से सत्ता खोने वाली है. हालांकि इस हार के पीछे कई बड़े कारण है. जिसका नतीजा सामने आ रहा है. आइए जानते हैं.;

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Edited By :  सार्थक अरोड़ा
Updated On : 8 Feb 2025 12:29 PM IST

इस बार दिल्ली के चुनावी नतीजे आम आदमी पार्टी के अनुरूप नहीं आए हैं. हालांकि अभी नतीजें सामने आना बाकी है. अब तक के रुझानों में सामने आए आंकड़ों के अनुसार भाजपा बढ़त बनाए हुए है. इस तरह पिछले चुनाव में भाजपा को सिंगल डिजिट में समेटने वाली आप को इस बार बड़ा झटका लगा है और वह विपक्षी पार्टी से पीछे हो गई है.

लेकिन पार्टी से ऐसा क्या गलत हुआ? जिसके कारण दिल्लीवासियों का दिल भाजपा पर आया और उन्होंने इस बार उन्हें जिताने का फैसला लिया है. आइए जानते हैं.

क्या हैं हार का कारण?

2015 और 2020 में आम आदमी पार्टी ने जनता का विश्वास जीतकर भारी जीत हासिल की और दिल्ली वासियों के लिए कई क्षेत्रों में कार्य कर जनता को सुविधाएं दी. इनमें स्वास्थ्य और शिक्षा में सुधार, बिजली और पानी में जनता को सब्सिडी दी गई.

1. वादों में हुई पार्टी से चूंक

इस तरह जनता को खुश रखने की कोशिश की गई. लेकिन चुनाव के दौरान कुछ ऐसे वादे भी पार्टी ने किए जिसे पूरा करने से पार्टी चूंक गई. इन अधूरों वादों में एयर क्वालिटी को बेहत बनाना, यमुना नदी के पानी को साफ करने जैसे वादे थे. अब क्योंकी पार्टी इन वादों को पूरा नहीं कर पाई तो इसका ठीकरा सीधे सत्ता पक्ष पर डाल दिया और यह दावा करते हुए आरोप लगाया कि भाजपा इन कार्यों को पूरा करने में बाधा बनी हैं. भले ही सारा ठीकरा भाजपा पर फोड़ दिया गया हो लेकिन जनता ने इसे एक बहाने के रूप में देखा. वहीं इस चुनाव में भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच काफी जुबानी रार देखने को मिली. जनता ने भी इसे देखा और परिणाम भी देखने को मिल रहा है.

2. शीशमहल का आरोप

इस चुनाव आप और भाजपा में काफी बहस देखने को मिली. भाजपा ने दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल के आवास के रेनोवेशन को निशाने पर रखकर शीश महल पर निशाना साधा. इस पूरे चुनाव में शीश महल का जिक्र किया गया है. वहीं भाजपा के इन आरोपों का जवाब देने के लिए आप ने 'राजमहल' का सहारा लिया. पार्टी ने पीएम नरेंद्र मोदी के रहन सहन पर आरोप लगाया उनपर सवाल खड़े किए. लेकिन भाजपा के अभियान ने लोगों को यकीन दिलवाया और वोट अपनी ओर करने में कामियाब हुए.

3. शराब नीति घोटाला

AAP सरकार पर शराब नीति घोटाले के तहत भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं. इसे लेकर काफी हंगामा भी हुआ है. भाजपा ने लगातार आप पर आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार में रहते शराब की बोतलों पर 1 खरीदें और 1 मुफ्त पाएं ऑफर लाई. इस तरह दिल्ली की जनता को शराबियों के शहर में बदलने की कोशिश कर रही है. आप ने शराब नीति में किसी भी आरोप से लगातार इनकार किया, जिसे सुधार के एक साल से भी कम समय बाद खत्म कर दिया गया था.

इसके साथ-साथ पार्टी के कई नेताओं पर भ्रष्टाचार के भी आरोप लगते रहे हैं. यहां तक की अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ गया. डिप्टी सीएम को भी अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था. गिरफ्तारियां भी हुई. इस कारण मंत्रिमंडल में भी फेरबदल हुआ. इसका असर पार्टी की छवि पर पड़ा. जेल से लौटने के बाद पार्टी की छवि काफी खराब हुई. जिसका असर इस चुनाव में देखने को मिल रहा है.

4. एक नहीं हो पाई कांग्रेस- AAP

अगर चुनाव में समय रहते आम आदमी पार्टी और कांग्रेस एक साथ लड़ती तो शायत तस्वीरें कुछ और होती. दोनों ही पार्टियों ने एक दूसरे साथ गठबंधन में न लड़ने का फैसला किया. कहीं न कहीं इसका नुकसान भी पार्टी को हुआ है. हालांकि यह पहली बार नहीं इससे पहले भी हरियाणा में बहुत कम मार्जिन से कांग्रेस सरकार बनाने से चूंक गई थी.

5. अंद्रूनी कलह और इस्तीफा

वहीं जहां एक ओर विपक्ष द्वारा भ्रष्टाचार के आरोपों से पार्टी की छवि खराब हुई. ठीक उसी तरह पार्टी के अंद्रूनी कलह ने भी इसका असर डाला है. कई नेताओं ने आप से इस्तीफा दिया. इनमें कई बड़े नेता जैसे राज कुमार आनंद और कैलाश गहलोत इनका पार्टी छोड़ना संगठनात्मक कमजोरी को उजागर करता है.

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