Avadh Ojha को पटपड़गंज सीट से ही AAP ने क्यों दिया टिकट? छिपा हुआ है यह बड़ा राज
Delhi Assembly Election 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए जारी AAP की दूसरी लिस्ट में अवध ओझा को पटपड़गंज सीट से टिकट दिया गया है. अभी यहां से मनीष सिसोदिया चुनाव लड़ रहे थे. अवध ओझा को टिकट क्यों दिया गया, आइए इसके पीछे की वजह जानते हैं...;
Avadh Ojha Seat: आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए अपनी दूसरी लिस्ट जारी कर दी है. इस लिस्ट में 20 उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं. लिस्ट की सबसे बड़ी बात यह है कि अवध ओझा को मनीष सिसोदिया की सीट पटपड़गंज से टिकट दिया गया है. वहीं, सिसोदिया को अब जंगपुरा से चुनावी मैदान में उतारा गया है.
दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की सीट क्यों बदली गई है, पटपड़गंज से ही अवध ओझा को क्यों टिकट दिया गया है और इस सीट का सियासी समीकरण क्या है? आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं...
अवध ओझा को पटपड़गंज से क्यों उतारा गया?
अवध ओझा 2 दिसंबर को AAP में शामिल हुए थे. उन्हें पार्टी ने पटपड़गंज से चुनावी मैदान में उतारा है. इसके पीछे बड़ा राज छिपा हुआ है. दरअसल, आम आदमी पार्टी के गठन के बाद से दिल्ली में जितने भी विधानसभा चुनाव हुए, सबसे में AAP को जीत मिली. मनीष सिसोदिया लगातार तीन बार विधायक रहे हैं.
2015 में सिसोदिया को 28761 वोटों से मिली जीत
इसके पहले, 2015 में मनीष सिसोदिया को 28,761 वोटों से जीत मिली थी. उन्हें 75,477, जबकि बीजेपी के विनोद कुमार बिन्नी को 46,716 वोट मिले थे. वहीं, 2013 में सिसोदिया ने 11,476 वोटों से जीत दर्ज की थी. उनको 50,211, जबकि बीजेपी के नकुल भारद्वाज को 38,735 वोट मिले थे.
परिसीमन के बाद 2008 में कांग्रेस के अनिल कुमार ने बीजेपी के नकुल भारद्वाज को 648 वोटों से हराकर जीत दर्ज की थी. अनिल को 36,984, जबकि नकुल को 36,336 वोट हासिल हुए थे. वहीं, परिसीमन से पहले 2003 में कांग्रेस के अमरीश सिंह गौतम ने बीजेपी के ज्ञान चंद को 17998 वोटों से हराकर जीत दर्ज की थी. अमरीश को 36,930 वोट मिले थे, जबकि ज्ञान चंद को 18,932 वोट से ही संतोष करना पड़ा.
मनीष सिसोदिया की सीट बदलने के मायने
मनीष सिसोदिया के घटते जनाधार को देखते हुए AAP ने उन्हें जंगपुरा से चुनावी मैदान में उतारने का फैसला किया है. इस सीट से AAP ने जीत की हैट्रिक लगाई है. यहां से 2013 में मनिंदर सिंह धीर, जबकि 2015 और 2020 में प्रवीण कुमार ने जीत दर्ज की थी. ऐसे में यह सिसोदिया के लिए एक सुरक्षित सीट मानी जा सकती है.
सिसोदिया का सीट बदलना AAP में आत्मविश्वास की कमी दर्शाता है. इससे उनसे जुड़े समर्थकों में निराशा हो सकती है. पार्टी का यह मजबूत गढ़ रहा है. बीजेपी की चुनौतियों को देखते हुए AAP ने यह फैसला किया है. सिसोदिया का दूसरे क्षेत्र से चुनाव लड़ना यह दर्शाता है कि पार्टी ने बीजेपी के सामने सरेंडर कर दिया है. अब अवध ओझा के रूप में नया चेहरा सामने लाने से पार्टी को उम्मीद है कि इस बार वह यहां से जीत का चौका लगा सकती है.
सिसोदिया की सीट बदलने के पीछे कहीं शराब घोटाला तो जिम्मेदार नहीं?
पटपड़गंज में उत्तराखंड और पूर्वांचल के लोगों की संख्या ज्यादा है. मनीष सिसोदिया को कथित शराब घोटाले को लेकर एक साल से ज्यादा समय तक जेल में रहना पड़ा था. ऐसे में वे अपने क्षेत्र के लोगों से दूर रहे. AAP को आशंका है कि बीजेपी इसे बड़ा मुद्दा बना सकती है. इसलिए उसने सिसोदिया की सीट को बदलने का फैसला किया.
नगर निगम के चुनाव में बीजेपी का दबदबा
दिल्ली नगर निगम के लिए 2022 में हुए चुनाव में पटपड़गंज के चार वार्डों में से तीन वार्ड पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी, जबकि AAP को केवल 1 वार्ड पर ही जीत मिल सकी. ऐसे में पार्टी को अंदाजा हो गया था कि इस क्षेत्र में AAP और सिसोदिया का जनाधार लगातार कम हो रहा है. इसी वजह से सिसोदिया की सीट बदली गई.