दिल्ली ब्लास्ट की जांच में बड़ा खुलासा: व्हाट्सएप चैट्स से सामने आई आरोपी अदील राथर की 'पैसों की बेचैनी'
दिल्ली ब्लास्ट की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है. एनआईए ने आरोपी अदील राथर की डिलीट की गई व्हाट्सएप चैट्स बरामद की हैं, जिनसे पता चलता है कि वह ब्लास्ट से एक महीने पहले बेहद पैसे की तंगी में था. चैट्स में वह बार-बार अपने वेतन के लिए गुहार लगाते दिखा और कई मैसेज में लिखा कि उसे तुरंत पैसों की जरूरत है. जांच एजेंसियों के अनुसार, लगभग 26 लाख रुपये ब्लास्ट में खर्च हुए, जिनमें से 8 लाख रुपये राथर ने दिए थे. राथर मॉड्यूल का “ट्रेज़रर” बताया जा रहा है.;
दिल्ली के लाल किले के पास 10 नवंबर को हुए भीषण ब्लास्ट की जांच अब और गहरी होती जा रही है. इस धमाके में 15 लोगों की मौत हुई थी और 20 से ज्यादा घायल हुए थे. अब NIA को एक ऐसा डिजिटल सुराग मिला है जिसने पूरी कहानी की दिशा बदल दी है. जांच टीम को व्हाट्सएप चैट्स का एक सेट मिला है, जिसमें मुख्य आरोपियों में से एक अदील राथर पैसों के लिए लगातार 'बेचैनी' जताते हुए नजर आता है.
ये चैट्स राथर के फोन से डिलीट कर दी गई थीं, लेकिन डिजिटल फोरेंसिक टीम ने इन्हें सहारनपुर के एक अस्पताल के कर्मचारी के डिवाइस से रिकवर कर लिया. राथर गिरफ्तारी से पहले वहीं काम करता था. ये मैसेजेस 5 से 9 सितंबर के बीच के हैं- यानि ब्लास्ट से करीब एक महीने पहले के और पैसे की बेताबी साफ दिखाई देती है.
व्हाट्सएप चैट्स में दिखी 'डायर नीड ऑफ मनी'
5 सितंबर- पहली गुहार
पहला मैसेज 5 सितंबर को भेजा गया था, जिसमें राथर ने लिखा कि सुप्रभात सर… मैंने पहले ही अनुरोध किया था कि सैलरी क्रेडिट की जाए… मैं पैसों की बेहद जरूरत में हूँ. कुछ देर बाद फिर लिखा कि कृपया इसे मेरे खाते में ट्रांसफर कर दें. मैंने पहले ही खाता विवरण दे दिया था." अगली सुबह फिर संदेश भेजा सुप्रभात सर. कृपया इसे कर दें. मैं आभारी रहूंगा. कुछ घंटे बाद फिर मैसेज- Need salary ASAP, sir. In need of money."
9 सितंबर: आखिरी रिकवर हुआ मैसेज
"कृपया इसे कल कर दें। मुझे वास्तव में इसकी बहुत जरूरत है, सर. यह चैट्स साफ दिखाती हैं कि ब्लास्ट से पहले राथर पैसों को लेकर कितनी बेचैनी में था. जांच सूत्रों के अनुसार, दिल्ली ब्लास्ट में करीब ₹26 लाख का इस्तेमाल हुआ था, जिसमें से ₹8 लाख राथर की ओर से जुटाए गए थे. पूछताछ में सामने आया कि वह जिस आतंकी मॉड्यूल का हिस्सा था, उसमें उसे 'treasurer' यानी खजांची कहा जाता था. अब एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि राथर को पैसा कौन देता था और क्या यह रकम सीधे आतंकी नेटवर्क तक जा रही थी?
‘व्हाइट कॉलर’ आतंकी मॉड्यूल का खुलासा
अदील राथर कश्मीरी डॉक्टरों के उस ‘व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल’ का हिस्सा था जिसमें शामिल थे- मुजम्मिल गनई, शाहीन सईद, उमर-उन-नबी (जिसने 10 नवंबर को विस्फोटकों से भरी कार चलाई थी) जम्मू-कश्मीर पुलिस, UP ATS और हरियाणा पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में यह मॉड्यूल बेनकाब हुआ. जांच टीम फरीदाबाद तक पहुंची, जहां से 2,900 किलो विस्फोटक बरामद किए गए. ब्लास्ट से कुछ घंटे पहले गनई और सईद फरीदाबाद से पकड़े गए, जबकि अदील राथर बाद में सहारनपुर से गिरफ्तार हुआ.
चैट्स बनीं जांच की अहम कड़ी
NIA इन चैट्स को "क्रिटिकल लिंक" मान रही है, क्योंकि ये सीधे ब्लास्ट से पहले पैसों की मूवमेंट और नेटवर्क की जरूरतों पर रोशनी डालती हैं. आने वाले दिनों में राथर के फंडर्स और मॉड्यूल के बाकी कनेक्शनों पर बड़ा खुलासा होने की संभावना है.