7वीं विधानसभा में BJP विधायकों ने पूछे सबसे ज्यादा सवाल, AAP विधायक को क्यों मिले 99% मार्क्स?

यह रिपोर्ट फरवरी 2020 से दिसंबर 2024 तक हुए विधायी कामकाज का विश्लेषण प्रस्तुत करती है. रिपोर्ट में विधायकों की उपस्थिति, भागीदारी और सत्रों के दौरान उठाए गए सवालों पर महत्वपूर्ण जानकारियां शेयर की गई हैं. एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार, इस अवधि के दौरान दिल्ली विधानसभा ने 20 सत्र आयोजित किए, जिसमें प्रति वर्ष औसतन 15 बैठकें हुईं.;

Edited By :  नवनीत कुमार
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दिल्ली की सातवीं विधानसभा का कार्यकाल अपने अंतिम चरण में है. 5 फरवरी को दिल्ली में विधानसभा चुनाव को लेकर मतदान होने वाला है. इस मौके पर चुनाव अधिकार संगठन एडीआर (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स) ने एक रिपोर्ट जारी की है.

यह रिपोर्ट फरवरी 2020 से दिसंबर 2024 तक हुए विधायी कामकाज का विश्लेषण प्रस्तुत करती है. रिपोर्ट में विधायकों की उपस्थिति, भागीदारी और सत्रों के दौरान उठाए गए सवालों पर महत्वपूर्ण जानकारियां शेयर की गई हैं.

20 सत्र में हुई 15 बैठकें

एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार, इस अवधि के दौरान दिल्ली विधानसभा ने 20 सत्र आयोजित किए, जिसमें प्रति वर्ष औसतन 15 बैठकें हुईं. इनमें 2024 का पांचवां सत्र सबसे लंबा था, जो 15 फरवरी से 8 अप्रैल तक चला और इसमें कुल 21 बैठकें हुईं. सवालों की प्रकृति पर गौर करें तो शहरी विकास, लोक निर्माण विभाग और दिल्ली जल बोर्ड से जुड़े प्रश्न सबसे अधिक पूछे गए.

कृष्णा नगर के विधायक की है सबसे ज्यादा उपस्थिति

यह रिपोर्ट दिल्ली विधानसभा सचिवालय से प्राप्त आंकड़ों पर आधारित है. एडीआर और दिल्ली इलेक्शन वॉच ने यह आंकड़े एकत्र किए, जिसमें विधायकों की उपस्थिति और विधानसभा के अन्य कामकाज का गहन विश्लेषण किया गया. उपस्थिति के मामले में कृष्णा नगर के विधायक एसके बग्गा ने सबसे बेहतर प्रदर्शन किया, जिनकी उपस्थिति दर 99 प्रतिशत रही. वहीं, सोम दत्त (97 प्रतिशत) और अब्दुल रहमान (96 प्रतिशत) भी शीर्ष पर रहे.

28 विधेयक हुए पारित

रिपोर्ट में बताया गया कि विधायकों ने इस कार्यकाल के दौरान कुल 948 सवाल पूछे. भाजपा विधायक अजय महावर और मोहन सिंह बिष्ट ने सबसे अधिक 45-45 सवाल पूछे. सदन में उठाए गए मुद्दों में शहरी विकास, लोक निर्माण और जल बोर्ड प्रमुख विषय रहे. विधायी दक्षता को ध्यान में रखते हुए, इस अवधि में पेश किए गए सभी 28 विधेयक पारित हुए. सत्रों के दौरान औसतन उच्च उपस्थिति दर और सदस्यों की भागीदारी से सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित हुई. खासतौर पर विपक्षी विधायकों ने सवाल उठाकर कार्यवाही में सक्रिय भूमिका निभाई.

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