दिल्‍ली-NCR में नहीं सुधर रहे हालात, कैसे आपकी सांस नली को चोक कर रहा प्रदूषण; AIIMS ने दिखाया

दिल्ली में वायु प्रदूषण के बढ़ने से लोगों को सांस लेने में परेशानी हो रही है. बिना मास्क पहने घर से निकलना मुश्किल हो गया है. पॉल्यूशन से सांस संबंधी समस्याएं बढ़ती जा रही हैं. इस बीच दिल्ली AIIMS ने एक परीक्षण किया है, जिसमें हैरान कर देने वाले खुलासे हुए हैं. एम्स ने भारी और जानलेवा हवा का पहली बार लाइव डेमो दिखाया है.;

( Image Source:  Credit- ANI, canava )

Delhi AIIMS On Air Pollution: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हवा की गुणवत्ता दिन पर दिन खराब श्रेणी में पहुंचती जा रही है. दिल्ली वालों की सुबह घने कोहरे और धुंध की चादर के साथ हो रही हैं. एक्यूआई पिछले कुछ दिनों से बेहद खराब श्रेणी में दर्ज किया जा रहा है.

दिल्ली में वायु प्रदूषण के बढ़ने से लोगों को सांस लेने में परेशानी हो रही है. बिना मास्क पहने घर से निकलना मुश्किल हो गया है. पॉल्यूशन से सांस संबंधी समस्याएं बढ़ती जा रही हैं. इस बीच दिल्ली AIIMS ने एक परीक्षण किया है, जिसमें हैरान कर देने वाले खुलासे हुए हैं. एम्स ने भारी और जानलेवा हवा का पहली बार लाइव डेमो दिखाया है.

AIIMS ने किया सांस नली को लेकर डेमो

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली एम्स ने चार अलग-अलग तरह की सांस नली वाले डेमो में PM 10 और PM 2.5 के अलावा PM 1-PM 1.5 साइज वाले बहुत छोटे प्रदूषकों के घातक परिणाम भी देखे जा सकते हैं. एम्स के डॉक्टर के मुताबिक बहुत गंभीर श्रेणी की हवा में सांस लेने पर PM 2.5 के कण सबसे पहले सांस नली के आसपास चिपकते हैं. फिर धीरे-धीरे ये धुल के कण नली के छेद को निशाना बनाते हैं और उसे छोटा करना शुरू कर देते हैं. नली का छेद छोटा होने से सांस लेने में तकलीफ होती है और फेफड़ों तक पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता है. इससे फेफड़ों की कार्य प्रणाली भी कमजोर होने लगती है.

दमा होने का खतरा

दिल्ली एम्स के पल्मोनरी विभाग के वरिष्ठ डॉ. करन मदान ने बताया कि जब भी एक्यूआई का लेवल गंभीर या उससे अधिक पहुंचता है कि तो 3-4 सप्ताह में ही सांस की नली पर असर देखने को मिल सकता है. इससे काले दमा का खतरा बढ़ जाता है. खराब में सांस लेने से स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं पर होती हैं लेकिन इसका सबसे ज्यादा प्रभाव फेफड़ों पर पड़ता है. डॉक्टर ने बताया कि फेफड़ों के अलावा, सांस के जरिए खून में पहुंचने वाले प्रदूषण के कण कोलेस्ट्रॉल, रक्तचाप, क्रोनिक किडनी रोग जैसी बीमारियों होने का भी खतरा बढ़ जाता है. डॉक्टर ने बताया कि अस्थमा अटैक के साथ-साथ इनहेलर की जरूरत पड़ रही है. कई मरीजों को स्टेरॉयड और इंजेक्शन तक देना पड़ रहा है.

हार्ट अटैक का खतरा

खराब हवा में सांस लेने से किडनी रोग जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. प्रदूषण के कारण लोगों को हार्ट अटैक आने की आशंका भी बढ़ जाती है. जहरीली हवा में सांस लेने से फेफड़े पर असर डालती है बल्कि बचपन में मोटापे के खतरे को भी बढ़ा देती है. ऐसे कई अध्ययन सामने आए हैं जिनमें लंबे समय तक प्रदूषण का एक्सपोजर गर्भवती महिलाओं में प्रीमैच्योर डिलीवरी को बढ़ावा देता है.

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