रहस्यमयी बीमारी की चपेट में आया छत्तीसगढ़ का यह गांव, लोगों में दिखे इस तरह के लक्षण

छत्तीसगढ़ के एक गांव के कुछ लोग एक रहस्यमय बीमारी का शिकार हो गए हैं. इस छोटे से गांव का लगभग हर घर इससे प्रभावित है. राज्य सरकार ने गांव में एक स्वास्थ्य टीम भेजी है. पीड़ितों ने सीने में दर्द और तेज खांसी की शिकायत की, जिससे उनकी हालत बिगड़ गई.;

( Image Source:  meta ai )
Edited By :  रूपाली राय
Updated On : 9 Nov 2025 3:03 PM IST

हाल ही में देश भर के कई राज्य में मौसम रुख बदल गया. तेज हवाओं और मौसम में न्यूनतम गिरावट से लोगों के स्वस्थ्य पर भी असर पड़ रहा है. ऐसा कुछ देखने को मिला है छत्तीसगढ़ में जहां एक गांव के कुछ लोग एक रहस्यमय बीमारी का शिकार हो गए हैं. दरअसल छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले का एक सुदूर गांव, जो जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर है वह एक रहस्यमय बीमारी की चपेट में आने के बाद दहशत में है, जिसने एक महीने में 13 लोगों की जान ले ली है.

इस छोटे से गांव का लगभग हर घर इससे प्रभावित है. सुकमा के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. कपिल देव कश्यप ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, 'हाल के दिनों में पांच मौतें हुई हैं 13 नहीं जैसा की अन्य मीडिया खबरों में दावा किया जा रहा है. जबकि मौतों की खबर अधिकारियों तक पहुंचने में समय लगा. राज्य सरकार ने गांव में एक स्वास्थ्य टीम भेजी है. पीड़ितों ने सीने में दर्द और तेज खांसी की शिकायत की, जिससे उनकी हालत बिगड़ गई.

मुख्य कारण मौसम में बदलाव

उन्होंने आगे कहा, 'तीन लोगों की जिला अस्पताल में उम्र संबंधी बीमारियों के कारण मौत हो गई और अन्य दो की मौत के कारणों का पता लगाया जा रहा है. हमारी स्वास्थ्य टीमों ने पाया है कि इसका मुख्य कारण मौसम में बदलाव है, जो महुआ की कटाई के समय के साथ मेल खाता है, जब गांववासी जंगल में जाते हैं और पूरे दिन महुआ इकट्ठा करते हैं. इससे डिहाइड्रेशन हो रहा है और वे बीमार पड़ रहे हैं.' कश्यप ने कहा कि गांववासी को ओआरएस दिया जाता है क्योंकि वे महुआ इकट्ठा करने के लिए जंगल जाने पर अड़े हुए हैं. 

17 लोगों की गई जान 

बता दें हाल ही में जम्मू-कश्मीर के बुधल में भी एक ऐसी रहस्यमय बीमारी के चपेट में कई लोग आए जिसमें 17 लोगों की जान चली गई. जिसके लिए कैडमियम को जिम्मेदार ठहराया गया था. हालांकि बाद में बाद एक केंद्रीय जांच टीम का गठन किया. जिसमें किसी भी तरह के गंभीर बैक्टीरिआ का असर नहीं पाया गया. 

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