शराब घोटाले से जुड़ा महादेव एप का कनेक्शन! भूपेश बघेल के बेटे की गिरफ्तारी के बाद ED की रडार में ये नेता
राज्य की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) का दावा है कि शराब घोटाले में करीब 3,200 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की गई है. इसमें बघेल पिता-पुत्र का नाम भी जांच के दायरे में है. ईडी को शक है कि शराब घोटाले और महादेव सट्टा एप की कमाई आपस में जुड़ी हो सकती है, और हवाला के ज़रिए ये पैसे इधर-उधर किए गए हैं.;
छत्तीसगढ़ में चल रही सियासी हलचल अचानक और तेज हो गई, जब शराब घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी हुई. जैसे ही गिरफ्तारी हुई, ईडी ने जांच का दायरा और भी बड़ा कर दिया और अब कई रसूखदार कांग्रेस नेताओं की तरफ़ जांच की सूई घूमने लगी.
राज्य की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) का दावा है कि शराब घोटाले में करीब 3,200 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की गई है. इसमें बघेल पिता-पुत्र का नाम भी जांच के दायरे में है. ईडी को शक है कि शराब घोटाले और महादेव सट्टा एप की कमाई आपस में जुड़ी हो सकती है, और हवाला के ज़रिए ये पैसे इधर-उधर किए गए हैं.
जयपुर की एक शादी, जो साज़िश बन गई
कुछ ही दिन पहले जयपुर में सौरभ आहूजा की भव्य शादी में छत्तीसगढ़ के कई रेलवे ठेकेदारों, होटल व्यवसायियों और रसूखदारों की मौजूदगी ने जांच एजेंसियों को चौंका दिया. ईडी का मानना है कि यह सिर्फ़ एक शादी नहीं थी, बल्कि महादेव सट्टा एप नेटवर्क से जुड़े हाई-प्रोफाइल लोगों की गुप्त मीटिंग थी, जहां काली कमाई के रास्ते तय किए गए.
हवाला, मनी लॉन्ड्रिंग और 500 करोड़ की संपत्ति ज़ब्त
जांच के दौरान ईडी को पता चला कि सट्टा एप की कमाई हवाला के ज़रिए कई खातों में ट्रांसफर की गई, और इसमें राजनीतिक संरक्षण की भी आशंका है. अब तक छत्तीसगढ़, मुंबई और मध्यप्रदेश में 19 संपत्तियां जब्त की जा चुकी हैं, जिनकी अनुमानित कीमत 500 करोड़ रुपये है. इससे व्यापारियों में अफरा-तफरी मची हुई है, और कई आरोपी फ़िलहाल फरार बताए जा रहे हैं.
बालीवुड, दुबई और करोड़ों की शादी
जांच की आंच अब सौरभ चंद्राकर की 200 करोड़ की दुबई वाली शादी तक जा पहुंची है. इस शाही समारोह में कई बॉलिवुड हस्तियां भी शामिल थीं. ईडी को शक है कि इस शादी में कैश ट्रांजैक्शन और मनी लॉन्ड्रिंग का बड़ा खेल खेला गया.
जांच जारी और सियासत गर्म
शराब घोटाला हो या सट्टेबाज़ी एप छत्तीसगढ़ की राजनीति इस वक्त एक ऐसे मोड़ पर है, जहां सियासत, कारोबार और अपराध की रेखाएं धुंधली होती जा रही हैं. अब देखना यह है कि ईडी की यह पड़ताल आगे और कितने चेहरों से नकाब हटाती है.