अनोखा गांव जहां... न प्रचार, न वोटिंग कुछ इस तरह से होता है सरपंच का चुनाव; जानकर आप भी कहेंगे Wah-Wah

छत्तिसगढ़ पंचायत चुनाव के बीच पिकरीपार गांव की चर्चा तेज हो चुकी है. कारण यहां उम्मीदवार चुने जाने का तरीका है. दरअसल यहां बिना वोटिंग के सरपंच को चुन लिया जाता है. हर पांच साल बाद सबको मौका दिया जाता है. इतना ही नहीं ग्रामीण इस तरह सरपंच से खुश भी हैं.;

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Edited By :  सार्थक अरोड़ा
Updated On : 24 Feb 2025 8:59 PM IST

छत्तीसगढ़ में पंचायत चुनाव जारी है. आज सोमवार को चुनाव की आखिरी फेज के लिए वोटिंग समाप्त हुई है. वहीं एक गांव जिसकी इस पंचायत चुनाव के बाद से ही चर्चा हो रही है. हम बात कर रहे हैं, पिकरीपार गांव की. यह गांव की चर्चा हो रही है. कारण यहां न होने वाले चुनाव की. दरअसल इस गांव में चुनाव आयोजित नहीं होते. लेकिन फिर भी सरपंच चुना जाता है, यहां तक की ग्रामीणों के काम भी हो रहे हैं. कैसे? आइए जानते हैं.

पिकरीपार के दो गांव में नहीं डलते वोट

छत्तिसगढ़ के बालोद जिले में यह पंचायत आती है. जिसकी आप पिकरीपार के नाम से जान सकते हैं. इस पंचायत में दो गांव आते हैं. दिलचस्प बात कि इन दोनों गांवों में वोटिंग नहीं होती. यहां रहने वाले लोग आपसी तालमेल बैठाकर ही सरपंच चुन डालते हैं. लोगों का कहना है कि बारी-बारी सभी को मौका दिया जाता है. अब गांव वालों की यह ट्यूनिंग इतनी अच्छी है कि यहां हर बार महिलाओं का नाम ही दिया जा रहा है. पिछले 10 सालों से महिलाओं को आगे बढ़ाया जा रहा है. क्योंकि छत्तिसगढ़ में वोटिंग चल रही है, तो इस बीच इस गांव की चर्चा होने लगी. कारण आप जान ही चुके क्योंकि यहां वोटिंग नहीं होती. बिना वोटिंग के प्रत्याशी जीत जाता है.

कैसे होता नाम फाइनल

गांव में रहने वाले लोगों ने बताया कि आखिर किस तरह उम्मीदवारों को चुना जाता है. उनका कहना है कि वो एक बैठक करते हैं. क्योंकि सभी को मौका देने का ग्रामीणों का फैसला है तो एक ही नाम को फाइनल करके उसपर सहमति बनाई जाती है. अब सरपंच चुनने के लिए कभी इस गांव से नाम लिया जाता है तो कभी उस गांव से दोनों ओर से नाम दिए जाते हैं. ग्रामीण जिसपर सहमति बना लें उसपर सभी सहमत होते हैं. इस तरह सरपंच को चुना जाता है.

पैसों की बचत तो समस्याओं का होता निपटान

लोगों का यह भी कहना है कि इस तरह चुनाव प्रचार-प्रसार में खर्च होने वाले कई पैसे बच जाते हैं. जिसका इस्तेमाल वो लोगों की छोटी-मोटी समस्याओं को निपटाने में करते हैं. क्योंकि सभी सहमत है, सबका मत एक ही है तो इसपर कोई विरोध भी नहीं होता है. पिछले दो बार के चुनाव से ऐसा होता आ रहा है. जब चुनाव आता है तो बिना ही वोटिंग के सरपंच चुन लिया जाता है.

सरपंचों के काम से खुश, होती है तारीफ

जानकारी के अनुसार पिछले पांच सालों के लिए चंदा साहू यहां की सरपंच रही हैं. वहीं लोगों द्वारा चुने गए सरपंच के कामों की भी तारीफें होती हैं. चंदा साहू के कार्यकाल की लोग खूब तारीफ करते हैं. क्योंकि यह फैसला लिया गया कि हर किसी को मौका दिया जाएगा इसलिए इस बार पंचशीला साहू को सर्वसम्मति से सरपंच के रूप में चुन लिया गया है. 

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