CM दरोगा प्रसाद राय की कुर्सी छीन ले गया था मामूली बस कंडक्टर, वजह चौंकाने वाली, पढ़ें कहानी

बात सियासत ए बिहार की है. एक मामूली बस कंडक्टर की वजह से एक मुख्यमंत्री की कुर्सी चली जाए, ये सुनने में फिल्मी है, लेकिन पूरी हकीकत है. दरअसल, निलंबित बस कंडक्टर ने झारखंड पार्टी के दिग्गज आदिवासी नेता बागुन सुम्ब्रुई से गुहार लगाई. बागुन ने बस कंडक्टर के निलंबन के मामले को लेकर मुख्यमंत्री दरोगा प्रसाद से मुलाकात की और उनके इस फैसले को वापस लेने का आग्रह किया. ऐसा न करने पर उन्होंने खुद की सरकार से समर्थन वापस ले लिया, जिससे सरकार गिर गई.;

Edited By :  धीरेंद्र कुमार मिश्रा
Updated On : 28 July 2025 8:21 PM IST

अमूमन यह सुनने को मिलता है कि एक आम आदमी कुछ नहीं कर सकता, लेकिन कभी-कभी आम आदमी की आवाज, सत्ता के सिंहासन तक को हिला देती है. ऐसा हुआ भी. यह घटना बिहार की 1970 के दौर की है. जब दरोगा प्रसाद राय बिहार के मुख्यमंत्री थे. उनके कार्यकाल के दौरान एक मामूली सी घटना हुई, जो एक बस कंडक्टर से जुड़ी है. एक सरकारी बस कंडक्टर को निलंबित कर दिया गया. पर यही घटना इतनी बड़ी बन गई कि दरोगा बाबू को सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी. ‘सिंपल सी’ गलती, जिसकी कीमत पूरी सरकार को चुकानी पड़ी. जानिए, उस घटना की पूरी कहानी जिसने प्रदेश की राजनीति को हिला कर रख दिया था.

कंडक्टर का सस्पेंशन बना फांस

जी हां, हम बात कर रहे हैं बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री दरोगा प्रसाद राय की, जो 1970 में बिहार के मुख्यमंत्री बने थे. उनके कार्यकाल के दौरान एक सरकारी बस कंडक्टर का सस्पेंड किया गया था, जिसके बाद निलंबित बस कंडक्टर ने झारखंड पार्टी के दिग्गज आदिवासी नेता बागुन सुम्ब्रुई से गुहार लगाई. बागुन ने बस कंडक्टर के निलंबन के मामले को लेकर मुख्यमंत्री दरोगा प्रसाद से मुलाकात की और उनके इस फैसले को वापस लेने की अपील की.

करीब एक सप्ताह बाद विभाग की ओर से कोई जवाब नहीं आया, जिस पर बागुन ने फिर दारोगा प्रसाद से मुलाकात की और अपनी नाराजगी जाहिर की. बताया जाता है कि इस घटना के बाद बागुन ने सरकार से समर्थन वापस लेने का एलान कर दिया.

सदन का विश्वास हासिल नहीं कर पाए दारोगा राय, गिर गई सरकार

तत्कालीन सीएम दारोगा प्रसाद इस मुगालते में थे कि बागुन के समर्थन वापस लेने के बाद भी वे सदन में विश्वास मत हासिल कर लेंगे, लेकिन जब सदन में वोटिंग हुई तो पता चला कि दारोगा प्रसाद विश्वास मत हासिल नहीं कर पाए और उनके पक्ष में सिर्फ 144 विधायक थे. जबकि विपक्ष में 164 विधायक थे. झारखंड से आए बागुन के 11 समर्थकों ने जहां विपक्ष में वोट किया, वामपंथी दल ने भी सरकार का समर्थन नहीं किया.

कांग्रेस नेता दारोगा प्रसाद राय ने अपना पहला विधानसभा चुनाव 1952 में लड़ा और परसा सीट से चुनाव जीतकर पहली बार विधायक बने. उन्हें यह टिकट बिहार और देश के दिग्गज नेता जगजीवन राम का करीबी होने के कारण मिला था. जगजीवन राम ने ही दारोगा को कांग्रेस में शामिल करवाया था. 1970 में उन्हें कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार की जिम्मेदारी मिली, लेकिन महज 10 महीने के अंदर ही दरोगा प्रसाद की सरकार गिर गई. इसके बाद अब्दुल गफूर की सरकार में वे उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री रहे, जबकि केदार पांडेय की सरकार में वे कृषि मंत्री थे.

राय की पोती से लालू परिवार का सीधा कनेक्शन कैसे?

आरजेडी प्रमुख लालू यादव का दरोगा प्रसाद राय से सीधा संबंध है. जब देश में मंडल कमीशन का दौर शुरू हुआ तो दरोगा के बेटे चंद्रिका राय लालू के साथ आ गए. उसके बाद 1985 में पहली बार परसा विधानसभा से विधायक बने. वे 2015 से 2017 तक बिहार सरकार में राजपथ मंत्री रहे. 2018 में लालू यादव के बड़े बेटे और बिहार सरकार के पूर्व मंत्री तेजप्रताप यादव ने चंद्रिका राय की बेटी ऐश्वर्या राय से शादी की थी. यह शादी नहीं चली और कुछ महीने बाद ही ऐश्वर्या और तेज प्रताप अलग रहने लगे. दोनों के बीच तलाक का मामला कोर्ट में लंबित है.

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