बिहार की मखाना POLITICS! एक तीर से दो निशाने... यूं ही नहीं खोला गया खजाना, छिपी है बड़ी स्ट्रैटजी
केंद्रीय बजट में बिहार के लिए सरकार ने अपना खजाना खोल दिया. सबसे बड़ी घोषणा मखाना किसानों के लिए की गई. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्य में खाद्य प्रसंस्करण संस्थान और मखाना बोर्ड का गठन करने का एलान किया. इससे मखाना किसानों में खुशी की लहर है. इस साल के अंत में बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं. सरकार के इस एलान के पीछे छिपी बड़ी स्ट्रैटजी का खुलासा हुआ है.;
Bihar Makhana Politics: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से पेश बजट में बिहार के लिए कई एलान किए गए, जिनमें खाद्य प्रसंस्करण संस्थान की स्थापना और मखाना बोर्ड बनाना शामिल है. यह एलान तब किए गए हैं, जब इस साल के अंत में राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं. सरकार ने घोषणाओं के जरिए मल्लाह समुदाय यानी मछुआरों और नाविकों को खुश करने की कोशिश की है. कहा जाता है कि ये लोग किसी एक पार्टी को वोट नहीं देते हैं. ये अपना मन बदलते रहते हैं.
बिहार देश में मखाना (फॉक्स नट्स) का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है. यहां 90% मखाना का उत्पादन होता है. इसकी खेती और कटाई लगभग पूरी तरह से मल्लाह द्वारा की जाती है, जो सबसे गरीब समुदायों में से एक हैं.
कहां होती है मखाना की खेती?
मखाना की खेती ज्यादातर सीतामढ़ी, मधुबनी से लेकर सुपौल-किशनगंज तक फैले उत्तरी बिहार के नदी तटीय इलाकों में होता है. बिहार में लगभग 2.6% मल्लाह हैं. ये ज्यादातर नदी के तटीय इलाकों में रहते हैं. मखाना उद्योग को बढ़ावा देने से मल्लाह किसानों की आय में सुधार होने की संभावना है.
'बिहार में मखाना उद्योग को मिलेगा प्रोत्साहन'
जेडी(यू) के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि केंद्र की घोषणा महत्वपूर्ण है. मखाना की मांग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ रही है. बिहार देश में मखाना का सबसे बड़ा उत्पादक है. इसलिए इससे न केवल बिहार में मखाना उद्योग को प्रोत्साहन मिलेगा, बल्कि मछुआरों के गरीब समुदाय से आने वाले किसानों को भी मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि चूंकि यह एक श्रम-प्रधान उद्योग है, इसलिए यह समुदाय के लिए रोज़गार भी पैदा करेगा.
संजय झा ने कहा कि हाल ही में बिहार में बहुत सारे एफपीओ (किसान उत्पादक संगठन) सामने आए हैं. वाणिज्य मंत्रालय के तहत मखाना बोर्ड प्रशिक्षण, पैकेजिंग और मार्केटिंग के माध्यम से बिहार में उत्पादित मखाना का मूल्य संवर्धन करने में मदद करेगा. उन्होंने कहा कि यह मखाना खेती में तकनीक लाने में भी मदद करेगा, जिससे किसानों की आय में सुधार होगा. वहीं, खाद्य प्रसंस्करण संस्थान बनने से उद्योग को और बढ़ावा मिलेगा.
मुकेश सहनी के प्रभाव को कम करने की कोशिश
बता दें कि पिछली बार 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने मुकेश सहनी की पार्टी विकासशील इंसान पार्टी (VIP) को 11 सीटें दीं, जो खुद को 'मल्लाह का बेटा' कहते हैं. इसके कारण भाजपा को जेडी(यू) की 115 सीटों के मुकाबले सिर्फ 110 सीटों पर संतोष करना पड़ा. वीआईपी ने तीन निर्वाचन क्षेत्रों में जीत हासिल की, लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि वह अपने वोट भाजपा को हस्तांतरित करने में सफल रही, जिससे पार्टी को 74 सीटें जीतने में मदद मिली, जबकि जेडी(यू) को 43 सीटें मिलीं. बाद में लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) द्वारा इसके खिलाफ उम्मीदवार खड़े करने से भी पार्टी को नुकसान हुआ.
हालांकि, बाद में सहनी के विधायक भाजपा में चले गए और दोनों दलों के बीच रिश्ते खराब हो गए. तब से वीआईपी राष्ट्रीय जनता दल के साथ है. वह विपक्षी दलों के इंडिया गुट में भी शामिल है. उसने 2024 का लोकसभा चुनाव भी लड़ा.मखाना से संबंधित बजट घोषणाओं के साथ, एनडीए को उम्मीद है कि सहनी के मल्लाहों पर प्रभाव को कम किया जा सकेगा.