जेडीयू को अगली पीढ़ी की तलाश! बिहार की राजनीति में निशांत की होने जा रही ऑफिशियल एंट्री? जन्मदिन पर पटना में लगे पोस्टर
नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार के जन्मदिन पर जेडीयू कार्यालय के बाहर लगे पोस्टरों ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है. कार्यकर्ताओं ने उन्हें चुनाव लड़ने की मांग के साथ “बिहार की नई मांग” बताया. उनकी बढ़ती सार्वजनिक सक्रियता और बयानों से संकेत मिल रहे हैं कि वे जल्द राजनीति में कदम रख सकते हैं.;
पटना में जेडीयू कार्यालय के बाहर 20 जुलाई 2025 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार के जन्मदिन पर लगे भव्य पोस्टरों ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी है. "बिहार की मांग, सुन लिए निशांत" जैसे नारों ने यह संकेत दिया कि जेडीयू अब नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी के रूप में निशांत की भूमिका पर विचार कर रही है. पोस्टरों में दिखाया गया उत्साह महज कार्यकर्ताओं की भावनाएं हैं या कोई सुनियोजित रणनीति, यह सवाल अब गहराता जा रहा है.
निशांत कुमार, जो एक इंजीनियर और शांत प्रवृत्ति के व्यक्ति माने जाते हैं, लंबे समय तक राजनीति से दूर रहे. लेकिन हाल के महीनों में उनकी सार्वजनिक उपस्थिति, मीडिया में परिपक्व बयानों और जेडीयू आयोजनों में भागीदारी ने संकेत दिए हैं कि वह अब राजनीति में रुचि दिखा रहे हैं. खासकर नीतीश कुमार की सेहत और उम्र को लेकर उठते सवालों के बीच पार्टी को एक स्थायी चेहरा चाहिए और कार्यकर्ताओं की नज़रें अब निशांत पर टिकी हैं.
जनता से जुड़ाव का प्रयास
जनवरी 2025 में अपने गृह जिले बख्तियारपुर में निशांत ने जेडीयू को समर्थन देने की अपील की थी. इसके बाद होली मिलन समारोह और जेडीयू मंचों पर उनकी उपस्थिति को राजनीतिक संप्रेषण का हिस्सा माना गया. अब पोस्टरों में उन्हें “बिहार की मांग” बताकर प्रस्तुत करना इस विचार को और बल देता है कि जेडीयू उन्हें नीतीश के विकल्प के रूप में तैयार कर रही है.
जेडीयू में उत्तराधिकारी संकट की आहट
74 वर्षीय नीतीश कुमार के संन्यास की अटकलों के बीच जेडीयू को नेतृत्व की तलाश है. नीतीश ने हमेशा परिवारवाद का विरोध किया है, लेकिन अब उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंताओं ने पार्टी में उत्तराधिकार की बहस छेड़ दी है. सांसद कौशलेंद्र कुमार ने यहां तक कह दिया कि निशांत को अस्थावां से चुनाव लड़ना चाहिए और वे स्वयं जीत की जिम्मेदारी लेंगे। यह पार्टी के अंदर एक वर्ग की स्पष्ट मांग को दर्शाता है.
पार्टी में हो रहा समर्थन और विरोध
जेडीयू के कुछ वरिष्ठ नेता जैसे अशोक चौधरी और श्रवण कुमार ने निशांत की एंट्री का समर्थन किया है. दूसरी ओर पार्टी प्रवक्ता नीरज कुमार ने ऐसी किसी संभावना से इनकार किया है. निशांत ने खुद अब तक कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया है सिवाय इसके कि उन्होंने अपने पिता के विकास कार्यों का समर्थन किया और कहा कि "मेरे पिता 100% फिट हैं."
तेजस्वी और चिराग के बीच तीसरा चेहरा?
बिहार की राजनीति में फिलहाल तेजस्वी यादव (राजद) और चिराग पासवान (लोजपा) दूसरी पीढ़ी के उभरते नेता हैं. यदि निशांत राजनीति में आते हैं, तो वे जेडीयू के लिए एक नई पीढ़ी का संतुलन बन सकते हैं. यह नीतीश कुमार की विचारधारा को आगे बढ़ाने का एक प्रयास होगा, साथ ही यह तय करेगा कि जेडीयू परिवारवाद विरोधी नैरेटिव को कैसे सम्हालती है.
तेजस्वी कर रहे निशांत की एंट्री का स्वागत
तेजस्वी यादव ने निशांत की संभावित एंट्री का स्वागत करते हुए कहा कि इससे जेडीयू को मजबूती मिलेगी, लेकिन साथ ही बीजेपी पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि वह इसे रोकने की कोशिश कर रही है. वहीं, बीजेपी के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने कहा कि उनकी पार्टी जेडीयू के फैसले का समर्थन करेगी। यह राजनीतिक रूप से संतुलन साधने वाली प्रतिक्रिया मानी जा रही है.
क्या वाकई राजनीति में आएंगे निशांत?
निशांत कुमार की राजनीतिक एंट्री को लेकर सवाल अब भी अधर में हैं. लेकिन जो स्पष्ट है, वह यह कि जेडीयू कार्यकर्ताओं में उनके प्रति उत्साह है और पार्टी के सामने एक उत्तराधिकार की स्पष्ट चुनौती है. क्या निशांत इस चुनौती को स्वीकार करेंगे या नीतीश कुमार की परंपरा को निभाते हुए निजी जीवन में ही रहेंगे यह आने वाला समय तय करेगा.