PK को साधने यूट्यूबर मनीष कश्यप चले जनसुराज, बीजेपी की इस सीट से लड़ेंगे विधानसभा चुनाव
यूट्यूबर से नेता बने मनीष कश्यप 23 जून को प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी में शामिल होंगे और 2025 बिहार विधानसभा चुनाव में चनपटिया सीट से उम्मीदवार बनेंगे. हाल ही में बीजेपी छोड़ने वाले मनीष ने PMCH विवाद और संगठन में उपेक्षा के बाद पार्टी छोड़ी थी. जनसुराज उन्हें अपने नए सोशल मीडिया चेहरे के रूप में पेश कर सकती है.;
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राजनीतिक सरगर्मी तेज़ हो गई है. इसी माहौल में यूट्यूबर से नेता बने मनीष कश्यप ने नया सियासी मोर्चा खोल दिया है. हाल ही में बीजेपी से इस्तीफा देने वाले मनीष अब प्रशांत किशोर की पार्टी 'जनसुराज' का दामन थामने जा रहे हैं. 23 जून को वे पार्टी में औपचारिक रूप से शामिल होंगे और चनपटिया सीट से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे. यह कदम न केवल मनीष की सियासी वापसी का संकेत है, बल्कि PK की रणनीतिक बिसात पर रखी एक अहम चाल भी है.
चनपटिया विधानसभा सीट, जो पश्चिम चंपारण में स्थित है, लंबे समय से बीजेपी का गढ़ रही है. 2020 में बीजेपी के उमाकांत सिंह ने भारी बहुमत से जीत दर्ज की थी, जबकि मनीष कश्यप निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में तीसरे स्थान पर रहे थे. लेकिन इस बार जनसुराज के बैनर तले उनकी वापसी और सोशल मीडिया पर उनकी लोकप्रियता बीजेपी के लिए सीधी चुनौती बन सकती है. खासकर युवा मतदाताओं और EBC वर्ग में उनकी मजबूत पकड़ NDA के समीकरणों को बिगाड़ सकती है.
इस्तीफे की वजह बनी थी पीएमसीएच की घटना
बीजेपी से मनीष कश्यप के इस्तीफे की असली वजह पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (PMCH) में हुई मारपीट की घटना थी. 19 मई को मरीजों की समस्याएं उठाने पहुंचे मनीष की वहां महिला जूनियर डॉक्टरों से तीखी बहस हो गई, जिसके बाद उन्हें बंधक बनाकर पीटा गया. इस घटना के बाद अस्पताल प्रशासन और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय के रवैये से नाराज मनीष ने फेसबुक लाइव में अपनी उपेक्षा का आरोप लगाते हुए बीजेपी छोड़ने का ऐलान किया था.
PK की रणनीति में फिट बैठते हैं मनीष
प्रशांत किशोर की 'जनसुराज' पार्टी बिहार की राजनीति में तीसरे विकल्प के रूप में उभरने की कोशिश कर रही है, और इसके लिए मनीष जैसे तेज़तर्रार और सोशल मीडिया फ्रेंडली चेहरों की तलाश जारी है. मनीष के 8.75 मिलियन यूट्यूब सब्सक्राइबर्स और उनकी जनभावनाओं से जुड़ी भाषा उन्हें ग्रामीण इलाकों में लोकप्रिय बनाती है. जनसुराज अब इन डिजिटल चेहरों के सहारे मैदान में उतर कर पारंपरिक दलों को चुनौती देने की तैयारी कर रही है.
सियासी समीकरणों का नया गठजोड़
हाल के दिनों में मनीष कश्यप की भोजपुरी अभिनेता और बीजेपी से नाराज़ चल रहे पवन सिंह से मुलाकात ने राजनीतिक हलचल और तेज़ कर दी थी. सूत्रों की मानें तो पवन सिंह भी जनसुराज में शामिल हो सकते हैं. पवन सिंह की भोजपुरी क्षेत्रों में पकड़ और मनीष की सोशल मीडिया ताकत मिलकर न केवल NDA बल्कि महागठबंधन के लिए भी मुश्किलें खड़ी कर सकती है. यह गठजोड़ जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को नया मोड़ दे सकता है.
विवादों से घिरा लेकिन असरदार चेहरा
हालांकि मनीष कश्यप की छवि पूरी तरह से विवादमुक्त नहीं रही है. 2023 में तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों के खिलाफ कथित फर्जी वीडियो प्रसारित करने के मामले में वह सुर्खियों में रहे थे. बावजूद इसके, उनकी ज़मीनी पकड़, बेबाकी और युवाओं में प्रभाव उन्हें आगामी चुनाव में जनसुराज का मजबूत चेहरा बना सकती है. बिहार की सियासत में इस नई एंट्री ने पुराने खेमों को सतर्क कर दिया है. चनपटिया से शुरू हुई यह कहानी अब पूरे राज्य की राजनीति में बदलाव की दस्तक दे रही है.