आधार कार्ड के बाद अब बिहार में 'भतार कार्ड' और 'जुगाड़ कार्ड' पर बवाल, कांग्रेस-RJD ने खोल दिए बीजेपी विधायक के धागे

बिहार के लौरिया से बीजेपी विधायक विनय बिहारी के 'भतार कार्ड' और 'जुगाड़ कार्ड' वाले बयान ने सियासी हलचल मचा दी है. सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद आरजेडी और कांग्रेस समेत विपक्ष ने इसे महिलाओं का अपमान बताया है. बीजेपी ने सफाई दी है, लेकिन विवाद थमता नहीं दिख रहा. चुनावी मौसम में बयान ने नया राजनीतिक मोर्चा खोल दिया है.;

( Image Source:  X/vinaybiharibjp )
Curated By :  नवनीत कुमार
Updated On : 5 Aug 2025 11:31 AM IST

बिहार में विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज हैं और सभी दल अपने-अपने एजेंडे के साथ मैदान में उतरने को तैयार हैं. ऐसे में नेताओं की हर एक टिप्पणी खास मायने रखती है. इसी माहौल में बीजेपी विधायक और पूर्व मंत्री विनय बिहारी का एक बयान अचानक सुर्खियों में आ गया है. लौरिया विधानसभा क्षेत्र से विधायक विनय बिहारी ने अपने क्षेत्र में पार्टी की एक कार्यशाला के दौरान ऐसा कुछ कह दिया, जिसने पूरे राजनीतिक वातावरण को हिला कर रख दिया. उनका वीडियो सोशल मीडिया पर जंगल की आग की तरह फैल गया है और बयान पर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं.

कार्यशाला के दौरान दिए गए भाषण में विनय बिहारी कहते हैं, "कोई बाहर से आया है, कुछ पैसे खर्च कर आधार कार्ड बनवा लिया, फिर भतार कार्ड, फिर जुगाड़ कार्ड." पहली नजर में यह एक व्यंग्य या मजाक लग सकता है, लेकिन सार्वजनिक मंच पर ऐसे शब्दों का प्रयोग बेहद आपत्तिजनक माना गया. यहां ‘भतार कार्ड’ शब्द ने खास तौर पर विवाद खड़ा कर दिया है, क्योंकि यह सीधे तौर पर महिलाओं के विवाहित जीवन और निजी संबंधों को लेकर तंज करता हुआ प्रतीत होता है. इसके बाद ‘जुगाड़ कार्ड’ जैसे शब्द से यह संकेत देने की कोशिश हुई कि बाहरी लोग सिर्फ दस्तावेजों के सहारे लाभ लेने के लिए राज्य में घुस आते हैं.

विपक्ष ने ठहराया महिलाओं का अपमान

इस बयान को लेकर सबसे पहले आरजेडी और कांग्रेस हमलावर हुए. राजद के मुख्य प्रवक्ता शक्ति यादव ने कहा कि एक वरिष्ठ नेता से इस तरह की भाषा की उम्मीद नहीं थी. उन्होंने यह भी जोड़ा कि वोटर और आधार कार्ड को जोड़ते हुए ‘देहाती भाषा’ में महिलाओं और पुरुषों को संबोधित करना सामाजिक मर्यादा का घोर उल्लंघन है. उनका मानना है कि यह टिप्पणी न केवल महिलाओं का अपमान है बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों पर भी हमला है. उन्होंने बीजेपी से माफी मांगने की भी मांग की.

कांग्रेस ने इसे सामाजिक गरिमा पर हमला बताया

कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौर ने तो इस बयान पर प्रतिक्रिया देने से भी शर्म महसूस होने की बात कही. उन्होंने कहा कि ‘भतार कार्ड’ जैसी भाषा बिहार की महिलाओं के सम्मान को ठेस पहुंचाती है. उनका तर्क था कि एक जिम्मेदार विधायक को ऐसा कोई भी बयान नहीं देना चाहिए, जिससे समाज के एक वर्ग को अपमानित महसूस हो. उन्होंने सीधे तौर पर भाजपा से माफी की मांग करते हुए कहा कि इस तरह के बयान न केवल सियासी तौर पर अनैतिक हैं, बल्कि समाज को भी बांटने का काम करते हैं.

भाजपा ने की डैमेज कंट्रोल की कोशिश

जब मामला तूल पकड़ने लगा तो बीजेपी को सामने आकर सफाई देनी पड़ी. पार्टी प्रवक्ता अरविंद सिंह ने कहा कि विधायक विनय बिहारी के बयान को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है. उन्होंने दावा किया कि उनका उद्देश्य महिलाओं का अपमान करना नहीं था, बल्कि वह ऐसे बाहरी लोगों की बात कर रहे थे जो फर्जी तरीके से दस्तावेज बनवाकर बिहार में सरकारी सुविधाएं हासिल कर रहे हैं. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राजनीतिक विरोधी उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं.

भाषा की मर्यादा पर उठा सवाल

चुनावी राजनीति में व्यंग्य और कटाक्ष का इस्तेमाल आम बात है, लेकिन जब ऐसे शब्दों का प्रयोग महिलाओं या किसी सामाजिक वर्ग को लक्ष्य बनाकर किया जाए, तो वह हास्य नहीं, अपमान का रूप ले लेता है. विनय बिहारी का ‘भतार कार्ड’ वाला बयान यही संकेत देता है कि राजनीति में भाषा की मर्यादा का गिरना अब आम हो गया है. यह केवल एक व्यक्तिगत चूक नहीं, बल्कि उस राजनीतिक सोच को भी दर्शाता है जो महिलाओं की गरिमा के प्रति असंवेदनशील है.

क्या वोटबैंक की राजनीति के तहत आया बयान?

राजनीतिक जानकारों की मानें तो यह बयान केवल ‘हास्य’ के लिए नहीं दिया गया था, बल्कि इसके पीछे एक सोची-समझी रणनीति हो सकती है. बिहार में बाहरी और स्थानीय की बहस हमेशा से एक संवेदनशील मुद्दा रही है. विनय बिहारी संभवतः अवैध रूप से बसने वालों और दस्तावेजी जालसाजी के माध्यम से सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने वालों पर निशाना साधना चाहते थे, लेकिन भाषा के चयन में गंभीर भूल कर बैठे. इसका फायदा विपक्ष को मिल गया, जो अब इसे महिला विरोधी बयान के तौर पर स्थापित करने में जुट गया है.

राजनीतिक भविष्य पर असर

इस विवाद का असर स्थानीय राजनीति से लेकर राज्य स्तरीय चुनावी रणनीतियों तक महसूस किया जा सकता है. विपक्ष लगातार इस बयान को महिलाओं के सम्मान से जोड़ते हुए राज्यभर में प्रचार कर सकता है. वहीं बीजेपी के लिए यह एक बड़ी चुनौती है कि वह इस विवाद को कैसे संभाले और महिला वोट बैंक पर पड़ने वाले असर को कैसे नियंत्रित करे. यह विवाद केवल एक बयान तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि अब यह भाषा, संस्कृति और महिला सम्मान जैसे मुद्दों से जुड़ गया है, जिसका असर भविष्य की राजनीति पर भी पड़ेगा.

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