बिहार के गांवों में आत्मनिर्भरता की सवारी! अब तक 45 हजार युवाओं ने खरीदे सरकारी अनुदान से वाहन

बिहार सरकार की मुख्यमंत्री ग्राम परिवहन योजना ने अब तक 45,000 से ज्यादा ग्रामीण युवाओं को स्वरोजगार का साधन दिया है. राज्य के SC, ST और अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लाभार्थियों को वाहन खरीदने पर अधिकतम ₹1 लाख तक का अनुदान दिया जा रहा है. योजना से ग्रामीण क्षेत्रों में कनेक्टिविटी बेहतर हुई है और बेरोजगार युवाओं को रोज़गार मिला है. परिवहन विभाग का लक्ष्य 55,000 वाहनों की खरीद का है, जिसमें से 10,000 पर प्रक्रिया जारी है.;

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Edited By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 27 Jun 2025 8:49 PM IST

बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी मुख्यमंत्री ग्राम परिवहन योजना राज्य के ग्रामीण युवाओं को रोजगार की नई राह दिखा रही है. 2018 में शुरू हुई इस योजना के तहत अब तक लगभग 45 हजार से अधिक युवाओं ने वाहन खरीदकर स्वरोजगार की दिशा में कदम बढ़ाया है. योजना का मकसद न केवल रोज़गार देना है, बल्कि ग्रामीण कनेक्टिविटी को भी बेहतर बनाना है.

परिवहन विभाग के मुताबिक, योजना के 11वें चरण में जून 2024 से अब तक 3500 से ज्यादा अनुसूचित जाति, जनजाति और अत्यंत पिछड़ा वर्ग के युवाओं ने आवेदन किया है. इनमें से करीब 900 लाभार्थी अब तक वाहन खरीद चुके हैं, जबकि बाकी को जल्द ही अनुदान जारी किया जाएगा.

क्या है मुख्यमंत्री ग्राम परिवहन योजना?

इस योजना के तहत राज्य सरकार प्रत्येक पंचायत से SC/ST वर्ग के 4 और EBC वर्ग के 3 पात्र युवाओं को वाहन खरीदने के लिए अनुदान देती है. सामान्य वाहन या ई-रिक्शा खरीदने पर सरकार 50% या अधिकतम ₹70,000 तक की सहायता देती है. कुछ मामलों में यह सहायता ₹1 लाख तक भी जाती है. कोविड-19 के दौरान एम्बुलेंस खरीदने पर ₹2 लाख तक की सहायता दी गई थी.

अब तक क्या हासिल हुआ है?

  • योजना का लक्ष्य 55,000 वाहनों की खरीद है
  • अब तक 45,000 से अधिक ग्रामीण युवाओं ने वाहन खरीदे हैं
  • शेष 10,000 के लिए प्रक्रिया जारी है

ई-रिक्शा और सस्ती परिवहन सेवाएं बन रही हैं गांवों की पहचान

ई-रिक्शा जैसे पर्यावरण अनुकूल और किफायती विकल्प ग्रामीण क्षेत्रों में लोकप्रिय हो रहे हैं. इन वाहनों से न केवल आमदनी होती है बल्कि गांवों में आवागमन भी आसान हो गया है.

क्या कहते हैं विभागीय अधिकारी?

परिवहन विभाग के सचिव डॉ. संदीप कुमार आर. पुडकलकट्टी ने कहा, “यह योजना न केवल रोज़गार का माध्यम बन रही है, बल्कि गांवों को जिला और प्रखंड मुख्यालयों से जोड़ने में भी अहम भूमिका निभा रही है. हमारा लक्ष्य है कि हर पंचायत में योग्य युवा को इस योजना का लाभ मिले.”

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