युवकों को पीठ पर मारी गई कई गोलियां, चार की आंखें गायब; जिरीबाम एनकाउंटर की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई सामने
ये मुठभेड़ मणिपुर के जिरीबाम जिले में बोरोबेकरा पुलिस थाने के पास 11 नवंबर को हुई थी. पुलिस का दावा है कि मारे गए लोग उग्रवादी थे जिन्होंने पुलिस थाने और सीआरपीएफ कैंप पर हमला किया, इनमें से एक नाबालिग भी था. हालांकि, कुकी-जो समुदाय के संगठनों का कहना है कि मृतक उग्रवादी नहीं बल्कि ग्राम स्वयंसेवक थे.;
असम के सिलचर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (SMCH) की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, सीआरपीएफ के साथ मुठभेड़ में मारे गए 10 कुकी-जो युवकों को कई गोलियां लगी थीं, जिनमें से अधिकतर पीछे से मारी गईं. पोस्टमार्टम में गोलियों के घाव तो पाए गए, लेकिन किसी को प्रताड़ित नहीं किया गया.
ये मुठभेड़ मणिपुर के जिरीबाम जिले में बोरोबेकरा पुलिस थाने के पास 11 नवंबर को हुई थी. पुलिस का दावा है कि मारे गए लोग उग्रवादी थे जिन्होंने पुलिस थाने और सीआरपीएफ कैंप पर हमला किया, इनमें से एक नाबालिग भी था. हालांकि, कुकी-जो समुदाय के संगठनों का कहना है कि मृतक उग्रवादी नहीं बल्कि ग्राम स्वयंसेवक थे. ये लोग घाटी में घुसपैठियों से अपने गांवों की सुरक्षा कर रहे थे.
कौन कौन थे मरने वाले?
मृतकों की पहचान रामनेइलियन (29), फिमलिएन कुंग नगुरते (31), एल्विस लालरोपेई ज़ोटे (21), लालथानेई (22), जोसेफ लालडिटम (19), फ्रांसिस लालजारलीन (25), रौलनेसांग (30), लालसिमलिएन हमार (30), हेनरी लालसांगलीन (25) और रॉबर्ट लालनंटलुओंग (16) के रूप में हुई है. रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकतर शव खाकी कपड़ों में मिले. छह शव 12 नवंबर और बाकी चार 14 नवंबर को एसएमसीएच लाए गए थे. शव सड़ने की प्राइमरी स्टेज पर थे.
शरीर पर पाए गए कई घाव
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, पहले ग्रुप की मौत 24-36 घंटे पहले और दूसरे की 72-96 घंटे पहले हुई थी. एक व्यक्ति की मरने का समय 48-72 घंटे पहले अनुमानित है. हर शव पर कई गोलियों के घाव पाए गए, जिनमें से कुछ को एक दर्जन से अधिक गोलियां लगी थीं.
रिपोर्ट में बताया गया कि चार व्यक्तियों (नगुरते, लालजारलीन, हमार और लालसांगलीन) की एक-एक आंख गायब थी. मौत के अंतिम कारण का पता लगाने के लिए गुवाहाटी के फॉरेंसिक साइंस निदेशालय की रासायनिक विश्लेषण रिपोर्ट का इंतजार है.
5 दिसंबर को होगा अंतिम संस्कार
इस बीच, कुकी-जो संगठन इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) ने घोषणा की कि अंतिम संस्कार 5 दिसंबर को चूड़ाचांदपुर में किया जाएगा. शवों को 16 नवंबर को सिलचर से चूड़ाचांदपुर ले जाया गया और वहां स्थानीय मुर्दाघर में रखा गया है. आईटीएलएफ का कहना है कि मृतक ग्राम वालंटियर थे जबकि मणिपुर सरकार ने उन्हें उग्रवादी बताया.