असम में अगले साल चुनाव, फिर क्यों SIR की लिस्ट से बाहर? चुनाव आयोग ने बताई वजह; जान लीजिए क्या है विवाद
चुनाव आयोग ने देशभर में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की घोषणा की है, लेकिन असम को इससे बाहर रखा गया है. आयोग ने बताया कि राज्य में नागरिकता से जुड़ा मामला सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में है और वहीं एनआरसी प्रक्रिया जारी है. असम में 2019 की पूरक एनआरसी सूची में 19 लाख लोगों को बाहर रखा गया था, जिस पर अब तक विवाद जारी है. इसलिए SIR फिलहाल असम में लागू नहीं होगा.;
भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने देशभर में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) की घोषणा की है. इस अभियान का दूसरा चरण अगले महीने से 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में शुरू होगा. इनमें से अधिकांश राज्य आने वाले दो वर्षों में विधानसभा चुनावों का सामना करेंगे. हालांकि, असम — जहां 2026 तक चुनाव होने हैं — को इस सूची से बाहर रखा गया है.
मुख्य चुनाव आयुक्त ग्यानेश कुमार ने बताया कि असम में नागरिकता से जुड़ा मामला वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में है. उन्होंने कहा, “असम के लिए नागरिकता कानून के तहत अलग प्रावधान हैं. सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में नागरिकता की जांच का कार्य वहां लगभग पूरा होने वाला है... 24 जून को जारी किया गया SIR आदेश पूरे देश के लिए था, लेकिन ऐसे में यह असम पर लागू नहीं होता.”
कौन से राज्य होंगे शामिल
असम के अलावा तीन राज्य और एक केंद्रशासित प्रदेश अगले साल चुनावों की तैयारी में हैं- पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी. दूसरे चरण का यह विशेष पुनरीक्षण अभियान अंडमान निकोबार, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, लक्षद्वीप, मध्य प्रदेश, पुडुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में चलाया जाएगा.
असम को क्यों रखा गया बाहर?
असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) को अपडेट करने की प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रही है, जिसका उद्देश्य राज्य में अवैध प्रवासियों की पहचान करना है. 31 अगस्त 2019 को जारी पूरक एनआरसी सूची में 3.11 करोड़ लोगों के नाम शामिल किए गए थे, जबकि करीब 19 लाख लोगों को बाहर रखा गया. हालांकि, मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार और कई स्थानीय संगठनों ने इस प्रक्रिया को “त्रुटिपूर्ण” बताया था. उनका कहना है कि इस सूची में कई विदेशियों के नाम शामिल हैं जबकि कुछ स्थानीय मूल निवासियों के नाम गायब कर दिए गए.
इस वर्ष अगस्त में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी जिसमें ड्राफ्ट और पूरक एनआरसी सूची के पुनरीक्षण की मांग की गई. अदालत ने इस पर सुनवाई स्वीकार कर ली और केंद्र सरकार, असम सरकार तथा रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किया. इसी वजह से चुनाव आयोग ने निर्णय लिया कि जब तक यह मामला अदालत में लंबित है, तब तक असम को SIR प्रक्रिया से अलग रखा जाएगा.
क्या है SIR (Special Intensive Revision)?
SIR यानी विशेष गहन पुनरीक्षण एक ऐसा अभियान है जिसमें बूथ लेवल अधिकारी (BLO) हर मतदाता के विवरण की जमीनी स्तर पर जांच करते हैं. इस प्रक्रिया का उद्देश्य डुप्लीकेट, मृत, स्थानांतरित या अवैध वोटरों के नाम मतदाता सूची से हटाना होता है. भारत में इस तरह का आखिरी व्यापक पुनरीक्षण लगभग 20 साल पहले किया गया था.
बिहार में SIR पर बवाल
इस साल बिहार में हुए SIR अभियान को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया था. विपक्षी दलों ने आरोप लगाया था कि यह अभियान लाखों गरीब और हाशिए के समुदायों के वोटर को सूची से बाहर करने की साजिश है. बिहार में अंतिम मतदाता सूची में करीब 68.6 लाख नाम हटाए गए, जिससे राजनीतिक तूफान मच गया. मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, हालांकि अदालत ने संशोधनों के साथ अभियान जारी रखने की अनुमति दी. असम को SIR से बाहर रखने पर सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव ने सवाल उठाया. उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा कि “असम ही एकमात्र चुनावी राज्य है जहां SIR नहीं होगा. मुझे आश्चर्य है क्यों?”
राजनीतिक असर
बीजेपी शासित असम को SIR से बाहर रखना आने वाले चुनावों से पहले एक राजनीतिक मुद्दा बन सकता है. विपक्ष इसे लेकर सरकार पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगा सकता है. वहीं, केंद्र सरकार और चुनाव आयोग का कहना है कि यह फैसला कानूनी प्रक्रिया और सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में लिए गए कदमों के अनुरूप है.