कौन थे लाचित बरफुकन? जिनके नाम से असम में बनी पुलिस अकादमी, अमित शाह ने किया उद्घाटन

Lachit Barphukan Police Academy: गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को असम के गोलाघाट जिले में लाचित बरफुकन के नाम से बनी पुलिस अकादमी के पहले फेस का उद्घाटन किया. लाचित बरफुकन ने इतिहास में बहुत बार मुगलों के साथ युद्ध लड़ा था. उन्हें नॉर्थ ईस्ट का शिवाजी कहा जाता है.;

( Image Source:  ANI )
Edited By :  निशा श्रीवास्तव
Updated On : 15 March 2025 4:09 PM IST

Lachit Barphukan Police Academy: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शनिवार 15 मार्च को असम पहुंचे. शाह ने गोलाघाट जिले में लाचित बरफुकन के नाम से बनी पुलिस अकादमी के पहले फेस का उद्घाटन किया. यह जिले के डेरगांव में पुलिस का शुभारंभ किया गया है. इस दौरान अगले फेस की आधारशिला भी रखी गई. कई और हिस्सों में अकादमी की स्थापना की जाएगी.

अकादमी को लेकर अधिकारियों ने कहा कि 340 एकड़ में फैली लाचित बरफुकन पुलिस अकादमी का दो चरणों में निर्माण किया जाएगा. इसके लिए करीब 1,024 करोड़ रुपये का खर्च आएगा. पहले फेस में 167.4 करोड़ रुपये का खर्च आया है. आज हम बताएंगे कि अकादमी जिस योद्धा के नाम पर रखी गई है वह लाचित बरफुकन कौन थे.

कौन थे लाचित बरफुकन?

लाचित बरफुकन ने इतिहास में बहुत बार मुगलों के साथ युद्ध लड़ा था. उन्हें नॉर्थ ईस्ट का शिवाजी कहा जाता है. उन्होंने मुगलों के कब्जे से गुवाहाटी को छुड़ाया था. इसके बाद मुगलों ने फिर से अहोम साम्राज्य के खिलाफ जंग लड़ी थी. इस दौरान मुगल सेना ने 1000 से ज्यादा तोपों के अलावा कई उस समय के बड़े हथियारों का इस्तेमाल किया, लेकिन बरफुकन से हार गए. वह लाचित सेंग कालुक मो-साई के चौथे पुत्र थे. उनका जन्म सेंग-लॉन्ग मोंग चराइडो में ताई अहोम के परिवार में हुआ था. उनका नाम लाचित था और उन्हें बरफुकन पदवी मिली थी.

लाचित को 1665 में अहोम सेना का सेनाध्यक्ष बनाया गया था. इस पद का नाम बरफुकन था. इसलिए उनके नाम के साथ बरफुकन जुड़ गया. ऐसा कहा जाता है कि उनके चेहरे पर बहुत तेज था, लोग उन्हें देखकर ही डर जाते थे. उनकी बहादुरी को सम्मान देने के लिए हर साल असम लाचित दिवस माना जाता है. वर्ष 1671 में सराईघाट की लड़ाई में लाचित को जीत हासिल हुई. इसके एक साल बाद उनका बीमारी की वजह से निधन हो गया.

क्या बोले गृह मंत्री?

अकादमी के उद्घाटन के दौरान गृह मंत्री ने कहा कि लाचित बरफुकन की जीवनी का 23 भाषाओं में अनुवाद हो चुका है. यह देश भर के लाइब्रेरी में है. आज हिमंत बिस्वा सरमा के प्रयासों के कारण, आठ राज्यों की इतिहास की किताबों में लाचित बरफुकन को शामिल किया गया है. 2022 में उनकी 400वीं जयंती मनाने के लिए असम और दिल्ली में बड़े पैमाने पर समारोह आयोजित करना और जोरहाट में उनके दफन स्थल पर उनकी 125 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा स्थापित करना शामिल है.

अकादमी में क्या है खास?

पहले फेस में पांच मंजिला अकादमी का उद्घाटन किया गया है, जिसमें स्मार्ट क्लास, वेपन स्टिमुलेटर, अनुसंधान लैब, म्यूजियम, प्रशासनिक कार्यालय और एक आधुनिक परेड ग्राउंड शामिल हैं.

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