टूरिज्म सेक्टर को मिलेगी नई उड़ान, ब्रह्मपुत्र नदी पर बनेगा लाइट हाउस; केंद्रीय मंत्री सोनोवाल ने दी जानकारी

लाइटहाउसों को केवल टूरिस्ट के आकर्षण का केंद्र ही नहीं, बल्कि स्थानीय संस्कृति का एक केंद्र बनाने की भी योजना है. पिछले कुछ वर्षों में लाइटहाउस की पारंपरिक भूमिका में बदलाव आया है. पहले ये केवल रोशनी दिखाकर जहाजों का मार्गदर्शन करते थे, लेकिन अब ये डिजिटल हो चुके हैं.;

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Edited By :  संस्कृति जयपुरिया
Updated On : 21 Oct 2024 2:03 PM IST

प्राचीन समय से लाइटहाउस समुद्र में जहाजों को सुरक्षित रास्ता दिखाने का एक जरूरी साधन रहा हैं. भारत में सैकड़ों वर्षों से ये लाइटहाउस समुद्र में नाविकों का मार्गदर्शन करते रहे हैं. हालाँकि, आज उनकी भूमिका में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल रहा है.

केंद्रीय पोर्ट, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने असम ट्रिब्यून से बातचीत में बताया कि सरकार ब्रह्मपुत्र नदी को एक मेजर शिपिंग रूट के रूप में डेवलेप करने की कोशिश कर रही है. इसके अंतर्गत, इस विशाल नदी के किनारे कुछ नए लाइटहाउस बनाने की योजना भी है. भारत की तटीय रेखा पर फिलहाल 205 लाइटहाउस हैं, जिनमें से कुछ लाइटहाउस सैकड़ों वर्षों से उपयोग में हैं. इन लाइटहाउसों को टूरिस्ट सेंटर में बदलने का प्रयास जारी है, जिससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न होंगे.

स्थानीय संस्कृति और पर्यटन का संगम

लाइटहाउसों को केवल टूरिस्ट के आकर्षण का केंद्र ही नहीं, बल्कि स्थानीय संस्कृति और व्यंजनों का एक केंद्र बनाने की भी योजना है. यहाँ आने वाले टूरिस्ट स्थानीय संस्कृति का अनुभव करेंगे और समुद्र का दृश्य देखने के लिए लाइटहाउस के शीर्ष पर चढ़ने की अनुमति भी होगी. इससे न केवल टूरिस्ट का आकर्षण बढ़ेगा, बल्कि स्थानीय समुदाय को भी लाभ होगा.

लाइटहाउस उत्सव और डिजिटल युग में लाइटहाउसों का विकास

लाइटहाउस पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ओडिशा में दो दिवसीय "लाइटहाउस उत्सव" का आयोजन किया गया था, जो सफल रहा. इसके अलावा, देश के अन्य हिस्सों में भी जहाँ लाइटहाउस मौजूद हैं, ऐसे उत्सवों का आयोजन किया जाएगा. यह कदम न केवल पर्यटन को बढ़ावा देगा, बल्कि लाइटहाउसों को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़ते हुए उनकी ऐतिहासिक भूमिका में नया डायमेंशन भी जोड़ेगा.

पिछले कुछ वर्षों में लाइटहाउस की पारंपरिक भूमिका में बदलाव आया है. पहले ये केवल रोशनी दिखाकर जहाजों का मार्गदर्शन करते थे, लेकिन अब ये डिजिटल हो चुके हैं और जहाजों के कप्तानों को अनेक तकनीकी सुविधाएँ भी प्रदान करते हैं.

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