सिटीजनशिप एक्ट की धारा 6A की वैधता बरकरार, बांग्लादेशी प्रवासियों को मिली राहत- क्या बला है ये?
सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने 1985 में संशोधन के लिए जोड़े गए नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए की संवैधिनिक वैधता को बरकरार रखने क फैसला सुनाया है. यह असम समझौते को मान्यता देता है और 1971 से पहले असम आए बांग्लादेशी प्रवासियों को नागरिकता देता है.;
Supreme Court On Citizenship Act: असम की जनता के लिए बड़ी खबर सामने आई है. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार 17 अक्टूबर को प्रमुख नागरिकता नियम की वैधता को बरकरार रखा है. यह असम समझौते को मान्यता देता है और 1971 से पहले असम आए बांग्लादेशी प्रवासियों को नागरिकता देता है.
सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने 1985 में संशोधन के लिए जोड़े गए नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए की संवैधिनिक वैधता को बरकरार रखने क फैसला सुनाया है.
नागरिकता मामले पर सुनवाई
आज सर्वोच्च न्यायाल ने असम में बांग्लादेशी प्रवासियों को नागरिकता मामले पर सुनवाई की. जिसमें कहा गया कि बांग्लदेशी शरणार्थियों के आने से असम की आबादी का संतुलन बिगड़ रहा है. नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए राज्य के मूल निवासियों के राजनीतिक और सांस्कृतिक अधिकारों का उल्लंघन करती है.
अनुच्छेद 29(1) का उल्लंघन नहीं
कोर्ट ने कहा कि धारा 6ए का अधिनियम असम के समक्ष के एक अनोखी समस्या का राजनीतिक समाधान है. क्योंकि बांग्लादेश के निर्माण के बाद राज्य में अवैध प्रवासियों के बड़े पैमाने पर प्रवेश ने इसकी संस्कृति और आबादी को गंभीर रूप से खतरे में डाल दिया था. पीठ ने कहा कि किसी राज्य में अलग-अलग जातीय समूहों की मौजूदगी का मतलब अनुच्छेद 29(1) का उल्लंघन नहीं है.
प्रवासियों पर क्या बोला कोर्ट?
कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार इस अधिनियम को अन्य हिस्सों में भी लागू कर सकती थी, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया. क्योंकि यह असम के लिए विशिष्ट था. प्रदेश में आने वाले प्रवासियों की संख्या और संस्कृति आदि पर उनका प्रभाव असम पर ज्यादा है. कोर्ट ने आगे कहा कि असम में 40 लाख प्रवासियों का प्रभाव पश्चिम बंगाल के 57 लाख से अधिक है, क्यों असम का एरिया पश्चिम बंगाल से कम है.
कब जोड़ी गई थी धारा 6ए?
जानकारी के अनुसार नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए को 1985 में असम समझौते के एक भाग के रूप में जोड़ा गया था. यह प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्राप्त करने की अनुमति देने के लिए जोड़ा गया था. यह विधेयक 1 जनवरी, 1966 से पहले असम में प्रवेश करने वाले लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करता साथ ही 1 जनवरी,1966 से 24 मार्च, 1971 के बीच असम में प्रवेश करने वाले लोगों को 10 साल की के बाद नागरिक के रूप में रजिस्ट्रेशन कराने के अनुमति देता है.