असम के मंगलदोई में पुलिस की बड़ी कार्रवाई: कुत्तों की अवैध तस्करी का पर्दाफाश, 19 कुत्तों को बचाया

असम के मंगलदोई से एक खबर आई है जहां पर कुछ लोग आवारा और पालतू कुत्तों को अवैध रूप से पकड़कर उन्हें बेचने की योजना बना रहे थे. उन सभी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है और कुत्तों को भी बचा लिया गया है. कुत्तों के उपचार और पुनर्वास की व्यवस्था करने के लिए तेजपुर, नलबाड़ी, और गुवाहाटी के विभिन्न गैर-सरकारी संगठनों से संपर्क किया गया है.;

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असम के मंगलदोई में पुलिस ने एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए कुत्तों की अवैध तस्करी का पर्दाफाश किया है. इस कार्रवाई में पुलिस ने 19 कुत्तों को तस्करों के चंगुल से छुड़ाया और चार तस्करों को गिरफ्तार किया है. यह तस्करी एक संगठित नेटवर्क का हिस्सा थी, जो आवारा और पालतू कुत्तों को अवैध रूप से पकड़कर उन्हें बेचने की योजना बना रहे थे.

पुलिस को एक जानकारी मिली थी कि कुछ लोग कुत्तों को तस्करी के लिए पकड़कर एक बंद कमरे में कैद किए हुए हैं. इस जानकारी के बाद पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की और पाया कि सभी कुत्तों को बोरों में भरकर रखा गया था, जिससे उन्हें बहुत कष्ट हो रहा था. चार लोगों को मौके से गिरफ्तार किया गया, जिनकी पहचान कार्बी आंगलोंग के मिलिक मारक, इना संगमा, स्टार मारक और दरांग जिले के भक्तपारा के मालू संगमा के रूप में हुई है.

तस्करों की क्रूरता 

गिरफ्तार हुए लोगों ने स्वीकार किया कि वे कुत्तों को फंसाने के बाद उन्हें बेहद कम खाना देते थे, ताकि उन्हें लंबे समय तक रख सकें और आसानी से खरीदारों तक पहुंचा सकें. उन्होंने माना कि कुत्तों को बेचने का मुख्य उद्देश्य नागालैंड में कुत्तों के मांस की मांग को पूरा करना था, जहां इस तरह की तस्करी होती है.

सूत्रों ने NDTV को बताया कि, नागालैंड में कुत्तों के मांस की काफी मांग है और तस्करों का इरादा कथित तौर पर इन कुत्तों को नागालैंड ले जाकर बेचने का था. पुलिस अधिकारी ने बताया कि तस्कर इस अवैध व्यापार के जरिये मुनाफा कमाना चाहते थे. मामला दर्ज कर लिया गया है और चारों आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। वहीं, छह अन्य लोग अभी भी फरार हैं, जिनकी तलाश जारी है.

स्थानीय स्वयंसेवी समूहों का कुत्तों की देखभाल के लिए समर्थन

कुत्तों के बचाव के बाद, एक स्थानीय स्वयंसेवी समूह पनबारी पुलिस स्टेशन पहुंचा ताकि कुत्तों की देखभाल में मदद की जा सके. हालांकि समूह के पास स्थायी आश्रय की सुविधा नहीं थी, लेकिन उन्होंने कुत्तों के उपचार और पुनर्वास की व्यवस्था करने के लिए तेजपुर, नलबाड़ी, और गुवाहाटी के विभिन्न गैर-सरकारी संगठनों से संपर्क किया.

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