असमिया को मिला शास्त्रीय भाषा का दर्जा, अमित शाह ने की तारीफ

असमिया भाषा को भारत सरकार द्वारा शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलना असम की भाषाई और सांस्कृतिक विरासत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है. अमित शाह ने असमिया भाषा की विशेषताओं की सराहना की. असमिया भाषा, भारत के असम राज्य की भाषा है. यह करीब डेढ़ करोड़ से ज़्यादा लोगों द्वारा बोली जाती है.;

( Image Source:  Photo Credit- ANI )
Edited By :  संस्कृति जयपुरिया
Updated On : 4 Oct 2024 10:59 AM IST

असमिया भाषा को भारत सरकार द्वारा शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलना असम की भाषाई और सांस्कृतिक विरासत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है. इस फैसले के बाद, असम के लोगों ने गर्व और खुशी जाहिर की है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने असम के नागरिकों को इस उपलब्धि पर बधाई दी और असमिया भाषा की सराहना की है.

अमित शाह ने असमिया भाषा की विशेषताओं की सराहना करते हुए कहा कि यह भाषा साहित्य की जीवंत संरचना और शब्दों के अनंत खजाने से समृद्ध है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, "असमिया भाषा अपनी लचीलापन और समृद्ध संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इसे शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने पर मैं असम के लोगों को हार्दिक बधाई देता हूं."

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की प्रतिक्रिया

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस ऐतिहासिक फैसले पर गहरा आभार व्यक्त किया. उन्होंने ट्वीट किया, "केंद्रीय गृह मंत्री का अनंत धन्यवाद, असम के लोग इस फैसले के लिए आभारी हैं." इस फैसले को उन्होंने अपने जीवन के सबसे खुशी के दिनों में से एक बताया.

असमिया भाषा के बारे में

असमिया भाषा, भारत के असम राज्य की भाषा है. यह करीब डेढ़ करोड़ से ज़्यादा लोगों द्वारा बोली जाती है. यह 7वीं शताब्दी ईस्वी से पहले मगधी प्राकृत भाषा से विकसित हुई थी. इस भाषा में व्याकरणिक लिंग भेद नहीं है. आपको बता दें की असमिया साहित्य सबसे अमीर साहित्यों में से एक है.

प्रधानमंत्री मोदी की कैबिनेट का फैसला

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट ने 3 अक्टूबर को असमिया भाषा के साथ बंगाली, मराठी, पाली और प्राकृत भाषाओं को भी शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया. यह निर्णय भारत की भाषाई विविधता और सांस्कृतिक धरोहर को और मजबूत करता है. मोदी ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए असमिया संस्कृति के योगदान को भारत की साहित्यिक विरासत में महत्वपूर्ण बताया.

मुख्यमंत्री सरमा ने कहा कि यह मान्यता असम की सभ्यतागत जड़ों को और मजबूत करेगी और इसके प्राचीन ज्ञान को संरक्षित करने में मदद करेगी.

Similar News