बोडो समझौते ने खत्म की हिंसा... सीएम सरमा बोले- अब बोडोलैंड बन रहा है शांति और विकास का मॉडल

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने 'Bodoland Speaks' कार्यक्रम में कहा कि बोडो शांति समझौते (2020) के पांच साल बाद बोडोलैंड अब संघर्ष से निकलकर शांति, विकास और सांस्कृतिक पुनर्जागरण की ओर बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि उनके कार्यकाल में बोडोलैंड में एक भी हिंसक घटना नहीं हुई है, जो बातचीत, विश्वास और समावेशी विकास का परिणाम है.;

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By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 6 July 2025 9:36 PM IST

Himanta Biswa Sarma on Bodoland Bodo Accord: बोडो शांति समझौते (Bodo Accord) के पांच साल पूरे होने पर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने रविवार को कहा कि बोडोलैंड अब संघर्ष और हिंसा से निकलकर शांति, उम्मीद और समावेशी विकास की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है. ‘Bodoland Speaks: From Vision to Action’ कार्यक्रम में बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुआ बोडो समझौता दशकों की हिंसा और अस्थिरता को समाप्त करने में एक निर्णायक मोड़ साबित हुआ.

सरमा ने कहा, "मेरे कार्यकाल में बोडोलैंड में एक भी विस्फोट, गोली या हिंसा की घटना नहीं हुई — यह ईश्वर का आशीर्वाद है। यह शांति संवाद, विश्वास और समावेशी विकास की नीति का परिणाम है."

सामाजिक-सांस्कृतिक पुनर्जागरण पर भी ज़ोर

मुख्यमंत्री ने बताया कि सरकार केवल आधारभूत ढांचे और कल्याण योजनाओं पर ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पुनर्जीवन और समुदायों के मानसिक-सामाजिक कल्याण पर भी ध्यान दे रही है. उन्होंने कहा, "भूटान जैसे देश GDP से नहीं, अपने ‘Gross National Happiness Index’ से तरक्की को मापते हैं. बोडोलैंड अब उसी राह पर है. विकास के साथ-साथ लोगों की खुशी और सामंजस्य को प्राथमिकता दी जा रही है."

संवाद ही स्थायी शांति का रास्ता

सीएम सरमा ने कहा कि 26 जनजातियों और समुदायों के बीच खुला संवाद ही बोडोलैंड में स्थायी शांति का मूलमंत्र है. उन्होंने कहा, "जब एक समुदाय भूमि की मांग करता है, तो दूसरा अधिकार छिन जाने से डरता है. ऐसे विवादों का हल आंदोलन से नहीं, आपसी बातचीत से ही निकलेगा."

संघर्ष से समाधान तक की यात्रा

मुख्यमंत्री ने 1968 से शुरू हुए बोडोलैंड के संघर्षों को याद करते हुए कहा कि कई युवाओं ने हथियार उठाए, कई माताओं ने अपने बेटे खोए. उन्होंने कहा, "2014 के बाद, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में बोडो समझौता और अन्य पहलों ने बोडोलैंड को अंधकार से बाहर निकाला."

अगले 5 सालों का रोडमैप

सरमा ने कहा कि वे बीते पांच वर्षों में 200 से अधिक बार बोडोलैंड का दौरा कर चुके हैं और अगले पांच साल विकास और समृद्धि के लिए समर्पित होंगे. उन्होंने कहा, "शांति बनाए रखने की ज़िम्मेदारी सिर्फ सरकार की नहीं, सभी 26 समुदायों की है और सबसे बड़ी भूमिका बोडो समाज की है."

जनसंख्या को लेकर भ्रांतियों का खंडन

मुख्यमंत्री ने जनसंख्या असंतुलन और चाय जनजाति को लेकर फैलाई जा रही भ्रांतियों को खारिज किया. उन्होंने कहा, "2022 की नेशनल हेल्थ सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, सभी समुदायों में प्रजनन दर घट रही है। अब हर परिवार में औसतन एक या दो बच्चे ही होंगे. चाय जनजाति बोडोलैंड में कोई खतरा नहीं है, क्योंकि वहां चाय बागान ही नहीं हैं," उन्होंने स्पष्ट किया.

"बोडो समझौता केवल शुरुआत थी..."

कार्यक्रम का समापन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि बोडोलैंड अब भारत के लिए संघर्ष से समाधान की एक मिसाल बन सकता है. उन्होंने कहा, "बोडोलैंड में शांति और सामंजस्य केवल सरकारी जिम्मेदारी नहीं है, यह हर नागरिक की जिम्मेदारी है. समझौता केवल शुरुआत थी — अब हमें उसे निभाना है."

यह संबोधन केवल बोडोलैंड के लिए नहीं, बल्कि भारत के अन्य अशांत क्षेत्रों के लिए भी एक मॉडल संदेश देता है कि संवाद, विश्वास और समावेशी विकास से ही टिकाऊ शांति संभव है.

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