गुवाहाटी चिड़ियाघर में 10 साल बाद हुआ गेंडे का जन्म, लोगों ने सुझाए कैसे-कैसे नाम

गुवाहाटी चिड़ियाघर के लिए खुशखबरी है. वहां पर 7 नवंबर को गॉनबुर्हा और पोरी नामक गैंडों के जोड़े ने एक नवजात बछड़े का स्वागत किया. यह नन्हा और चंचल बछड़ा, अपनी छोटी टांगों पर दौड़ते हुए, चिड़ियाघर के सभी लोगों का दिल जीत रहा है. अब इस बछड़े का नाम चुनने के लिए आम जनता से सुझाव मांगे जा रहे हैं.;

( Image Source:  Social Media )

7 नवंबर का दिन गुवाहाटी चिड़ियाघर के लिए खास बन गया, जब गॉनबुर्हा और पोरी नामक गैंडों के जोड़े ने एक नवजात बछड़े का स्वागत किया. इस जोड़े के लिए यह बेहद गर्व का पल था और साथ ही चिड़ियाघर के लिए भी, क्योंकि पिछले एक दशक में यह पहला गैंडे का बच्चा है जिसने यहां जन्म लिया है. यह नन्हा और चंचल बछड़ा, अपनी छोटी टांगों पर दौड़ते हुए, चिड़ियाघर के सभी लोगों का दिल जीत रहा है. अब इस बछड़े का नाम चुनने के लिए आम जनता से सुझाव मांगे जा रहे हैं.

असम के मुख्यमंत्री हिमंत सरमा ने इस बछड़े के नामकरण के लिए लोगों को आगे आने के लिए प्रेरित किया, जिसके बाद सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों पर नामों की बहार सी आ गई. कुछ मेन सुझावों में रतन टाटा के नाम पर "रतन" भी शामिल है, जो एक श्रद्धांजलि स्वरूप सुझाव है. इसके अलावा, कुछ नाम जैसे दुर्गा, प्रचंड, प्रिया, बेला, गोल्डी, और "आर-जू" भी चर्चित रहे हैं. एक सुझाव "निबोनुवा" (असमिया भाषा में जिसका अर्थ है 'बेरोजगार') भी चर्चाओं में है. अधिकारियों ने घोषणा की है कि अंतिम नाम का चयन लॉटरी के माध्यम से किया जाएगा.

गैंडों का परिवार: गॉनबुर्हा और पोरी की कहानी

यह बछड़ा चिड़ियाघर के फर्टिलिटी सेंटर में जन्म लेने वाला तीसरा गैंडा है. नर गैंडा गॉनबुर्हा को 2017 में काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के वन्यजीव पुनर्वास और संरक्षण केंद्र (Wildlife Rehabilitation and Conservation Centre of Kaziranga National Park) से गुवाहाटी लाया गया था. यहां उसे मादा गैंडे पोरी के साथ जोड़ा गया, और अब उनके परिवार में यह नया सदस्य जुड़ा है. गुवाहाटी चिड़ियाघर के अधिकारियों ने बताया कि गैंडों के फर्टिलिटी में कई चुनौतियां होती हैं, जिनमें "प्रजनन योग्य" जोड़ों की अनुपलब्धता प्रमुख कारण है.

चिड़ियाघर के डीएफओ, अश्विनी कुमार, ने गैंडों के फर्टिलिटी से जुड़े प्रोसेस के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि फर्टिलिटी के लिए माता-पिता की रक्त रेखा की जांच करना जरूरी होता है, ताकि परिवारों के भीतर किसी तरह का गलत मेल न हो. इसके अलावा, गैंडों को एक साथ फर्टिलिटी के लिए तैयार करना भी एक चुनौती है. कई बार वे एक साथ फर्टिलिटी योग्य नहीं होते, और इस कारण उन्हें लंबे समय तक एक साथ रखना भी खतरनाक हो सकता है, क्योंकि इससे उनके बीच झगड़े हो सकते हैं जो जानलेवा भी हो सकते हैं. इन्हीं सभी कारणों से बछड़े के जन्म में देरी हुई.

विशेष देखभाल: प्राकृतिक वातावरण में जोड़ों की देखरेख

चिड़ियाघर की पशु चिकित्सक डॉ. पंचमी शर्मा ने बताया कि फर्टिलिटी के लिए चुने गए जोड़ों की खास देखभाल की जाती है. उन्हें प्राकृतिक वातावरण मुहैया कराया जाता है जिसमें जल निकाय, घास के मैदान, जड़ी-बूटियां, झाड़ियां और आर्टिफिशियल शावर जैसी सुविधाएं शामिल हैं. इसके अलावा, इन जोड़ों को चिड़ियाघर के आम विजीटर्स से दूर रखा जाता है ताकि उन्हें पूर्ण शांति और निजता मिल सके.

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