डिब्रूगढ़ में गिराई गई 135 साल पुरानी मस्जिद, मुस्लिमों ने दिया साथ, इस काम के लिए उठाया कदम

डिब्रूगढ़ नगर निगम के आयुक्त जय विकास ने जानकारी दी कि यह परियोजना शहर की जल निकासी प्रणाली को बेहतर बनाकर बार-बार होने वाली कृत्रिम बाढ़ से राहत दिलाने के उद्देश्य से शुरू की गई है. लियाकत अली ने साफ तौर पर कहा कि 'यह कोई बेदखली नहीं थी, बल्कि यह फैसला समिति के परामर्श से लिया गया है.';

Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 26 Jun 2025 3:35 PM IST

डिब्रूगढ़ के चौलखोवा इलाके में एक असाधारण मिसाल कायम हुई है. यहां मुस्लिम समुदाय ने त्याग और दूरदृष्टि की भावना दिखाते हुए 135 साल पुरानी ऐतिहासिक जामा मस्जिद के एक हिस्से को गिराने की अनुमति दी, ताकि शहर की बाढ़ की समस्या का स्थायी समाधान किया जा सके

1890 में बनी इस मस्जिद के प्रति स्थानीय लोगों की गहरी आस्था रही है. इसके बावजूद, जब डिब्रूगढ़ नगर निगम ने बाढ़ राहत के लिए 9.2 किलोमीटर लंबी जल निकासी परियोजना की योजना बनाई, तो मुस्लिम समुदाय ने बड़े दिल से शहर के व्यापक हित को प्राथमिकता दी.

मुस्लिम समुदाय का योगदान

चौलखोवा जमात समिति के अध्यक्ष लियाकत अली ने बताया कि 'मस्जिद का एक हिस्सा शहर की जल निकासी योजना में परेशानी बन रहा था, लेकिन मस्जिद समिति और स्थानीय मुस्लिम नागरिकों ने बेहतरीन समझदारी का परिचय देते हुए प्रशासन के साथ मिलकर मस्जिद के उस हिस्से को हटाने का फैसला किया. 

यह कोई बेदखली नहीं

लियाकत अली ने साफ तौर पर कहा कि ' यह फैसला बिना बेदखली के लिया गया है. हम सबने जिला प्रशासन का साथ दिया और यह तय किया कि ध्वस्त किए गए हिस्से को समुदाय के सहयोग से दूसरी ओर फिर से बहाल किया जाएगा.'

चौलखोवा से बौघपारा तक बनेगा नाला

इस प्रोजेक्ट में  चौलखोवा से बौघपारा तक नाला बनाया जाएगा, जिसे मुरलीधर जालान बस टर्मिनस को सेसा नदी से जोड़ा जाएगा. इस नाले को बनाने के लिए कई ढांचों को ट्रांसफर किया गया है. जहां इस प्रोजेक्ट के कारण प्रभावित हुए लोगों को मुआवजा दिया जाएगा. 

समझदारी और समर्पण की मिसाल

चौलखोवा की यह घटना बताती है कि जब समाज के सभी वर्ग शहर और देश के हित में एकजुट होकर सोचते हैं, तो हर चुनौती का समाधान निकल सकता है. मुस्लिम समुदाय का यह योगदान केवल एक मस्जिद का हिस्सा हटाने तक सीमित नहीं है, यह एक सोच है, जहां धर्म और विकास एक साथ चल सकते हैं.

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