कांग्रेस ने मांगा सीएम हिमंत से हिसाब, कर्ज को लेकर बीजेपी सरकार पर किया ये दावा

कांग्रेस नेता रिपुन बोरा ने असम की हिमंत सरकार पर सैलरी अकाउंट और ठेकेदारों के भुगतान पर भारी बकाया होने का आरोप लगाया है. इसके चलते कांग्रेस ने इस हिमंत सरकार से श्वेत पेपर की मांग की है, जिसमें वह राज्य की असल वित्तीय स्थिति के बारे में बताएं.;

( Image Source:  Credit- ANI )
Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 16 Oct 2024 7:26 PM IST

आज कांग्रेस ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा से राज्य की फाइनेंशियल कंडीशन पर व्हाइट पेपर जारी करने की मांग की है. कांग्रेस ने हिमंत की सरकार पर सैलरी अकाउंट और ठेकेदारों के भुगतान पर भारी बकाया होने का आरोप लगाया है. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कांग्रेस नेता रिपुन बोरा ने दावा किया कि भाजपा सरकार ने पिछले तीन वर्षों में 85,980 करोड़ रुपये का कर्ज जमा किया है, जिससे राज्य का कुल उधार 1,52,000 करोड़ रुपये हो गया है.

इसके आगे उन्होंने कहा कि कांग्रेस की मांग है कि सरकार को 2021 से 2024 तक सीएम को असम की असल वित्तीय स्थिति पर एक श्वेत पत्र प्रकाशित करना चाहिए. इस पेपर में के सेंटर से मिले धन के साथ-साथ टोटल रेवेन्यू रिसिप्ट भी होनी चाहिए. इसके अलावा, लोन से मिलने वाली राशि, अलग-अलग हेड्स और सेक्टर पर खर्च, कैप्टिल एक्सपेंडिचर में कटौती के कारण और पेट्रोल और डीजल पर वैट में बार-बार बढ़ोतरी के कारणों को भी इस पत्र में शामिल किया जाना चाहिए.

7, 299.18 करोड़ रुपये ब्याज

रिपुन बोरा ने कहा इस राज्य पर तरुण गोगोई ने करीब 15 साल तक राज्य पर शासन किया था. "2016 में असम का कुल कर्ज 35,000 करोड़ रुपये था. वहीं, 2016-2021 के दौरान सर्बानंद सोनोवाल के सीएम रहते हुए कर्ज बढ़कर 66,020.65 रुपये हो गया. लेकिन सीएम सरमा के कार्यकाल में 2021 से 2024 तक कर्ज बढ़कर 1,52,000 करोड़ रुपये हो गया, यानी 85,980 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई". नतीजतन राज्य को इस कर्ज पर सालाना 7,299.18 करोड़ रुपये ब्याज के रूप में चुकाना पड़ रहा है.

विकास के लिए 15 प्रतिशत

फाइनेंशियल मिसमैनेजमेंट और राजनीतिक कारणों से लाभार्थी योजनाओं पर भारी खर्च को पूरा करने के कारण, ठेकेदारों और आपूर्तिकर्ताओं के बिलों की देनदारी मार्च 2024 तक बढ़कर 26,000 करोड़ रुपये हो गई है. यह वित्तीय संकट के कारण हुआ है.

5,000 करोड़ रुपये बकाया

बोरा ने कहा कि 2018-19 में राजस्व व्यय 56,899 करोड़ रुपये था और यह 2022-23 में बढ़कर 1,01,814.65 करोड़ रुपये हो गया, जो राज्य के कुल व्यय 1,19,952.20 करोड़ रुपये का 84.88 प्रतिशत है और विकास के लिए केवल 15 प्रतिशत बचा है. कांग्रेस नेता उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, आशा कार्यकर्ताओं, अनुदान सहायता और वित्तीय सहायता प्रणाली पर चलने वाले संस्थानों के वेतन के रूप में 5,000 करोड़ रुपये का बकाया है.

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