Bharalu: कभी गुवाहाटी की शान थी 'भरालू नदी', अब बन चुकी है कूड़े और नाले की जगह
Guwahati: भरालू नदी कभी गुवाहाटी की शान हुआ करती थी, लेकिन अब इसमें गंदे नाले का पानी और कचरा का बह रहा है. ऐसे में इसके भविष्य और अस्तित्व को लेकर सवाल उठने लगे हैं. जिस नदी में कभी मछलियां तैरती थी, वहां अब एक भी नजर नहीं आती है.;
Guwahati: गुवाहाटी के बीचों-बीच बहने वाली भरालू नदी की तस्वीर बदल गई. जो कभी स्वच्छ पानी वाली एक खूबसूरत नदी थी, जहां लोग तैरते थे और मछली पकड़ते थे, अब देश की सबसे प्रदूषित नदियों में से एक बन गई है. ये नदी अब एक गंदे नाले की तरह दिखती है.सरकार को इसे बचाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाने की आवश्यकता है. इसे गुवाहाटी में गंभीर ट्रैफिक भीड़ से निपटने के लिए वैकल्पिक परिवहन मार्ग में भी बदला जा सकता है.
असम ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, रिटायर कर्नल रामेंद्र कुमार चौधरी बताते हैं कि बचपन में वे भरालू नदी में तैरा करते थे. नदी में मछली पकड़ना बहुत आम बात थी और यहां तक कि ज़रूरी सामान ले जाने वाली बड़ी नावें भी नदी में चलती थी, लेकिन गुवाहाटी रिफ़ाइनरी लगने के बाद नदी का पानी तैलीय होने लगा और मछलियां मरने लगी और अब कोई भी नदी में उतरने के बारे में नहीं सोच सकता है.
हर दिन नदी हो रही है जहरीली
रिपोर्ट में आगे बताया गया कि सरकार की सख्त कार्रवाई से ही नदी का पुराना गौरव बहाल हो सकता है. सूत्रों ने बताया कि नदी का पानी अब इतना जहरीला हो गया है कि उसमें कोई मछली जिंदा नहीं रह सकती. नदी का पानी काला हो गया है.
सीवरेज लाइन को भी नदी से जोड़ा
रिपोर्ट में बताया गया कि कई लोग अपनी सीवरेज लाइन नदी से जोड़ रहे हैं और कई अवैध नालों को सीधे नदी से जोड़ दिया गया है. नदी को गुवाहाटी के मुख्य जल निकासी चैनल में बदल दिया गया है. कुछ अस्पताल भी नदी में अपना कचरा फेंकते हैं, जिससे नदी और अधिक जहरीली हो जाती है. लोगों ने अपने सेप्टिक टैंक को भी सीधे भरालू से जोड़ दिया है.
भूस्खलन से भर जाता है कचरा
भूस्खलन से भी नदी प्रभावित होती है क्योंकि गाद नदी तल पर जमा हो जाती है. रिपोर्ट की माने तो नदी की उचित सफाई की जरूरत है और नदी में सीवरेज और यहां तक कि कचरा डालने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए. अगर भारालू को उचित वैज्ञानिक दृष्टिकोण से साफ किया जाए तो इसे पर्यटन स्थल में बदला जा सकता है. नदी पर स्पीडबोट चलाने से शहर के भीतर परिवहन व्यवस्था में भी सुधार हो सकता है.