बराक भुबन का भी सोनाई-रूपई वन्यजीव अभयारण्य जैसा होगा अंजाम, क्यों चेता रहे पर्यावरण कार्यकर्ता?

Assam News in Hindi: असम के बराक भुबन वन्यजीव अभयारण्य का भी अंजाम सोनाई-रूपई वन्यजीव अभयारण्य जैसा होगा... यह बात हम नहीं, बल्कि पर्यावरण कार्यकर्ता ने कही है. आखिर इसकी क्या वजह है, आइए जानते हैं...;

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Barak Bhuban Wildlife Sanctuary: असम को प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर प्रदेश माना जाता है. यहां वन क्षेत्रफल ज्यादा है. प्रसिद्ध काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान भी यहीं हैं, लेकिन पिछले कुछ समय से राज्य में पर्यावरण विरोधी और गैर-वन गतिविधियां बढ़ गई हैं. हाल ही में जोरहाट जिले में होलोंगापार गिब्बन वन्यजीव अभयारण्य के संवेदनशील क्षेत्र में एक कारपोरेट घराने को तेल खोजने की अनुमति देने का आरोप सामने आया है.

'असम ट्रिब्यून' के मुताबिक, सोनितपुर जिले में सोनाई-रूपई वन्यजीव अभयारण्य के अंदर सड़कों और पुलों आदि के अवैध निर्माण की शिकायत एनजीटी यानी राष्ट्रीय हरित अधिकरण की कोलकाता स्थित पूर्वी क्षेत्र की बेंच के पास लंबित है. इसके अलावा, गेलेकी रिजर्व फॉरेस्ट के अंदर और हैलाकांडी जिले में असम-मिजोरम सीमा पर वन बटालियन कैंप स्थापित करने के लिए वन भूमि को हटाने का भी आरोप है.

केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने लिया संज्ञान

अब कछार फॉरेस्ट डिवीजन के तहत बराक-भुवन वन्यजीव अभयारण्य के अंदर वन भूमि को पीडब्ल्यूडी सड़क के लिए डायवर्ट करने का आरोप सामने आया है. अभयारण्य के अंदर एक पहाड़ी भी है. केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने इसका संज्ञान लिया है. उसने अपने शिलांग क्षेत्रीय कार्यालय स्थित वन उप महानिदेशक (केंद्रीय) को वन (संरक्षण एवं संवर्धन) अधिनियम, 1980 और वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 का उल्लंघन करते हुए अभयारण्य के अंदर वन भूमि को पीडब्ल्यूडी सड़क के लिए मोड़ने के आरोप को असम सरकार के सामने उठाने और 'जल्द से जल्द' एक रिपोर्ट पेश करने को कहा है.

सहायक आयुक्त ने जारी किया पत्र

मंत्रालय के सहायक आयुक्त (वन) नरेश कुमार ने इसे लेकर एक पत्र जारी किया है. यह पत्र पर्यावरण कार्यकर्ता रोहित चौधरी की तरफ से 18 सितंबर को दर्ज कराई शिकायत के बाद जारी किया गया है. रोहित ने यह शिकायत एक मीडिया रिपोर्ट के आधार पर दर्ज कराई है. 

'बड़े पैमाने पर काटे जाएंगे पहाड़'

रोहित ने आरोप लगाया है कि सड़क के निर्माण में बड़े पैमाने पर पहाड़ काटे जाएंगे, मिट्टी खोदी जाएगी और वनस्पतियों को साफ किया जाएगा. इसके अलावा, कई किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण किया जाएगा, जिससे पर्यावरण को नुकसान होगा. रोहित के मुताबिक, सड़क बनने से वन्यजीव अभयारण्य के अंदरूनी हिस्से को छोटे विक्रेताओं दुकानदारों के लिए खोल दिया जाएगा. पिकनिक मनाने आने वाले लोग बाइक और कार से पहाड़ी की चोटी तक जा सकेंगे. इससे अभयारण्य की शांति भंग होगी.

'सोनाई-रूपई वन्यजीव अभयारण्य जैसा होगा अंजाम'

रोहित ने कहा कि वन्यजीव अभयारण्य में स्थित बहुमूल्य पेड़ों को काटा जा रहा है. यदि इससे निपटने के लिए तत्काल कदम नहीं उठाए गए तो इस अभयारण्य का भी जल्द ही सोनाई-रूपई वन्यजीव अभयारण्य जैसा हश्र होगा, जहां अवैध रूप से बनाई गई पीडब्ल्यूडी सड़कें, इमारतें और आवासीय संरचनाओं ने अभयारण्य को खतरे में डाल दिया है.

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