मशरूम के कचरे से बनेगा बायोडीज़ल, असम के वैज्ञानिकों की गजब खोज

असम के शोधकर्ताओं ने स्वच्छ ईंधन उत्पादन में एक अनोखी सफलता हासिल की है. उन्होंने मशरूम की कटाई के बाद बचने वाले कचरे, जिसे 'स्पेंट मशरूम सब्सट्रेट' कहा जाता है से एक विशेष कैटेलिस्ट तैयार किया है, जो खाद्य और गैर-खाद्य तेलों के मिश्रण से बायोडीजल बना सकता है. यह खोज न केवल जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता घटाने में मदद करेगी, बल्कि कृषि और खाद्य अपशिष्ट के बेहतर उपयोग का भी रास्ता खोलेगी.;

( Image Source:  Sora_ AI )
By :  सागर द्विवेदी
Updated On : 25 Sept 2025 12:07 PM IST

असम के शोधकर्ताओं ने स्वच्छ ईंधन उत्पादन में एक अनोखी सफलता हासिल की है. उन्होंने मशरूम की कटाई के बाद बचने वाले कचरे, जिसे 'स्पेंट मशरूम सब्सट्रेट' कहा जाता है से एक विशेष कैटेलिस्ट तैयार किया है, जो खाद्य और गैर-खाद्य तेलों के मिश्रण से बायोडीजल बना सकता है. यह खोज न केवल जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता घटाने में मदद करेगी, बल्कि कृषि और खाद्य अपशिष्ट के बेहतर उपयोग का भी रास्ता खोलेगी.

यह तकनीक चार प्रकार के तेल, जट्रोफा, नीम, सोयाबीन और राइस ब्रान को समान अनुपात में मिलाकर तैयार मिश्रण पर काम करती है. टीम ने इस मिश्रण को 'ट्रांस-एस्टरीफिकेशन' प्रक्रिया से गुजारकर बायोडीजल (फैटी एसिड मिथाइल एस्टर - FAME) बनाया. यह प्रक्रिया एक पर्यावरण-अनुकूल और किफायती ऊर्जा समाधान के रूप में उभर रही है.

कैसे काम करता है मशरूम वेस्ट से बना कैटेलिस्ट

बोडोलैंड यूनिवर्सिटी, CSIR-NEIST और कोकराझार साइंस कॉलेज के वैज्ञानिकों ने गणोडर्मा लुसिडम मशरूम के पाउडर वेस्ट को फेरोसीन की मदद से ग्रैफीन ऑक्साइड में बदला, फिर उसे मैग्नेटाइज करके पोटेशियम कार्बोनेट से इम्प्रेग्नेट किया. इससे तैयार नैनोकंपोजिट को कैटेलिस्ट के रूप में तेल मिश्रण में इस्तेमाल किया गया. इस कैटेलिस्ट की खासियत है कि यह पुनः प्रयोग योग्य, सस्ता और कम वेस्ट पैदा करता है.

बायोडीजल क्यों है जरूरी

शोध के सह-लेखक संदीप दास ने बताया, “बायोडीजल एक पर्यावरण-अनुकूल और प्रभावी विकल्प है, जो ट्रांस-एस्टरीफिकेशन प्रक्रिया से बनाया जाता है. उपयुक्त कैटेलिस्ट इस प्रक्रिया का अहम हिस्सा है, और हेटेरोजीनियस कैटेलिस्ट इसके लिए बेहतर माने जाते हैं.

अपशिष्ट से ऊर्जा तक

मशरूम की खेती तेजी से बढ़ रही है, क्योंकि यह पोषण और औषधीय गुणों से भरपूर है. इसकी खेती में धान का पुआल, मक्का कचरा, बुरादा, चाय कचरा, गन्ना बगास, फलों और सब्जियों के छिलके, और प्याज का कचरा जैसे कृषि अवशेष उपयोग होते हैं. कटाई के बाद बचा सब्सट्रेट अक्सर फेंक दिया जाता है या जला दिया जाता है, जिससे पर्यावरण को खतरा होता है. इस शोध ने साबित किया है कि यही कचरा ऊर्जा उत्पादन में इस्तेमाल हो सकता है.

खाद्य तेल संकट से बचने का उपाय

टीम ने खाद्य और गैर-खाद्य तेलों- यहां तक कि वेस्ट कुकिंग ऑयल- के मिश्रण पर जोर दिया है, ताकि बायोडीजल उत्पादन से खाद्य तेल की कमी या कीमतों में वृद्धि जैसी समस्या न हो. यह तरीका ईंधन उत्पादन और खाद्य सुरक्षा दोनों के लिए संतुलित समाधान है.

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