असम-मेघालय टैक्सी विवाद के चलते भड़के ड्राइवर, घेरी मेघालय विधायक की गाड़ी, जानें क्या है मामला

असम-मेघालय सीमा पर टैक्सी विवाद ने अचानक तूल पकड़ लिया है. टैक्सी परमिट और रूट को लेकर दोनों राज्यों के ड्राइवरों में तनाव इस कदर बढ़ गया कि हालात बेकाबू हो गए. विरोध कर रहे असम के टैक्सी चालकों ने न सिर्फ नाराज़गी जताई बल्कि मेघालय के एक विधायक की गाड़ी को भी घेर लिया.;

( Image Source:  Meta AI: Representative Image )
Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 16 Oct 2025 6:55 PM IST

टूरिज्म के नाम पर रोज़गार कमाने वाले ड्राइवरों की रोज़ी-रोटी जब राजनीति और नीतियों के बीच फंस जाए, तो नतीजा होता है सड़क पर टकराव और गुस्सा. असम और मेघालय के बीच चल रहा टैक्सी विवाद गुरुवार को अचानक भड़क गया, जब असम के जुराबाट इलाके में प्रदर्शनकारियों ने मेघालय के पूर्व शिक्षा मंत्री और NPP विधायक रक्कम ए. संगमा की गाड़ी को रोक दिया.

इस घटना ने न सिर्फ दोनों राज्यों के बीच खींचतान को और गहरा किया, बल्कि आम लोगों की आवाजाही को भी संकट में डाल दिया. दरअसल यह विवाद काफी पुराना है, जिसे अब तक सुलझाया नहीं गया है.

विधायक की फंसी गाड़ी

गुरुवार की सुबह जुराबाट चौक पर माहौल अचानक तनावपूर्ण हो गया. बड़ी संख्या में असम के टैक्सी ड्राइवर वहां इकट्ठा हुए और नारेबाज़ी शुरू कर दी. जैसे ही मेघालय के विधायक रक्कम ए. संगमा का वाहन वहां पहुंचा, भीड़ ने रास्ता रोक लिया. वापस जाओ, मेघालय लौटो के नारों के बीच उनकी गाड़ी को घेर लिया गया. स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि संगमा को असम पुलिस की सुरक्षा घेरे में निकालना पड़ा. बाद में विधायक ने खुद एक वीडियो शेयर कर घटना की पुष्टि की और बताया कि किस तरह वह मुश्किल से पुलिस की मदद से भीड़ से निकल पाए.

गाड़ियों पर रोक और सड़क पर हंगामा

विरोध सिर्फ संगमा की गाड़ी तक सीमित नहीं रहा. जुराबाट में मेघालय-रजिस्टर्ड टूरिस्ट गाड़ियों को भी रोक दिया गया और उन्हें असम में दाखिल होने से मना कर दिया गया. इस रोक के चलते हाईवे पर घंटों लंबा जाम लग गया और आम यात्रियों को भारी परेशानी उठानी पड़ी. वहीं संगमा ने अपील की कि दोनों राज्यों के टैक्सी संघ संवाद के ज़रिए समाधान खोजें. उन्होंने चेतावनी दी कि इस तरह की भिड़ंत से सबसे ज्यादा नुकसान आम लोगों को ही होगा.

विवाद की जड़: टूरिस्ट टैक्सियों की एंट्री

यह विवाद नया नहीं है. दरअसल, मेघालय का ऑल खासी मेघालय टूरिस्ट टैक्सी एसोसिएशन (AKMTTA) लंबे समय से असम की टैक्सियों पर रोक लगाने की मांग कर रहा है. एसोसिएशन का कहना है कि असम की गाड़ियां सिर्फ टूरिस्ट को सीमा तक छोड़ें, उसके बाद मेघालय की टैक्सियां उन्हें लेकर अंदर जाएं. उनका आरोप है कि अगर मेघालय की प्राइवेट गाड़ियां असम में आती हैं तो कोई रोकटोक नहीं होती. लेकिन असम की गाड़ियां जब मेघालय जाती हैं तो 25 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया जाता है. "मेघालय पुलिस अपने संघ का पूरा समर्थन करती है, लेकिन असम पुलिस हमारी मदद नहीं करती," एक गुस्साए ड्राइवर ने कहा.

राजनीति का तड़का

यह विवाद अब राजनीति की आग भी भड़का रहा है. असम प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष मीरा बोरठाकुर ने राज्य सरकार पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि असम सरकार मेघालय से अच्छे संबंध बनाए रखने में नाकाम रही है. हमारे युवा, जो अपनी मेहनत से टैक्सी चलाकर घर चलाते हैं, उन्हें सड़कों पर उतरना पड़ रहा है. लेकिन हमारे नेता चुप बैठे हैं.  वहीं, दूसरी ओर बोरठाकुर ने मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा से सीधी दखल देने और मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा से बातचीत की मांग की. उन्होंने सवाल उठाया कि 'अगर हमारी गाड़ियां वहां नहीं जा सकतीं, तो मेघालय की गाड़ियां यहां क्यों आएं? क्या असम सबके लिए खुला मैदान है?'

सरकार का रुख और आगे का रास्ता

अब तक मेघालय सरकार अपने रुख पर अड़ी हुई है. उसने टैक्सी संघ को मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति के साथ बातचीत करने का सुझाव दिया है. लेकिन असम में ड्राइवरों का गुस्सा लगातार बढ़ रहा है और जुराबाट जैसी घटनाएं संकेत देती हैं कि विवाद और गहरा सकता है.

किसे होगा सबसे ज्यादा नुकसान?

टूरिज्म दोनों राज्यों की अर्थव्यवस्था की धुरी है. लेकिन जब टूरिस्ट गाड़ियां ही राजनीतिक खींचतान और स्थानीय दबाव की शिकार बनें, तो सवाल खड़ा होता है कि आखिर नुकसान किसका हो रहा है, ड्राइवरों का, टूरिस्ट का या दोनों राज्यों की छवि का. जुराबाट की घटना इस बात की चेतावनी है कि अगर बातचीत और संतुलन का रास्ता नहीं निकला तो असम-मेघालय सीमा सिर्फ नक्शे पर नहीं, लोगों की जिंदगी में भी एक खाई बन जाएगी.

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