असम विधानसभा में 'नो नमाज ब्रेक', 90 साल पुरानी परंपरा खत्‍म; मुस्लिम विधायक बोले - थोप रहे फैसला

असम विधानसभा में 90 सालों पुरानी परंपरा को खत्म कर दिया गया है. दरअसल अब मुस्लिम विधायकों को नमाज के लिए दो घंटे का ब्रेक नहीं मिलेगा. इसपर काफी बवाल मचा हुआ है. विपक्षी पार्टी इसपर बवाल मचा रहे हैं. कई विपक्ष नेताओं ने इस फैसले को उनपर थोपे जाने का आरोप भी लगाया है.;

( Image Source:  ANI )
Edited By :  सार्थक अरोड़ा
Updated On : 23 Feb 2025 4:38 PM IST

असम विधानसभा में बजट सत्र के दौरान सालों पुरानी 'नमाज के लिए ब्रेक' की परंपरा को खत्म कर दिया गया है. अगस्त 2023 में रूल्‍स कमेटी ने इसे लेकर फैसला लिया था जिसे अब जाकर पहली बार लागू किया जा रहा है. इस फैसले के लागू होने के बाद ही विरोध होना शुरू हो गया है. ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट यानी (AIUDF) के विधायक रफीकुल इस्लाम ने इसपर नाराजगी जाहिर की है. उनका कहना है कि यह फैसला संख्या बल के आधार पर थोपा जा रहा है.

विधायक का कहना है कि इस समय विधानसभा में 30 ऐसे विधायक हैं, जो मुस्लिम हैं. जब यह निर्णय लिया गया तो हमने अपनी बात रखी. उनका कहना है कि हमारी बात को नहीं सुना गया क्योंकी भाजपा के पास बहुमत की संख्या ज्यादा है. इसलिए यह हमपर थोपा जा रहा है.

अब आइए जान लेते हैं कि आखिर यह फैसला है क्या जिसपर इतना बवाल शुरू हो चुका है.

क्या है 'नो ब्रेक नमाज' जिसपर मच रहा बवाल?

क्योंकी असम विधानसभा में मुस्लिम विधायकों की अच्‍छी खासी संख्‍या है, इसलिए उन्हें जुमे की नमाज अदा करने के लिए ब्रेक दिया जाता था. यह परंपरा अब खत्‍म कर दी गई है. पिछले साल भी जब यह फैसला लाया गया तो इसपर काफी बवाल हुआ था. विपक्षी पार्टियों ने विरोध जताया था. एक बार फिर वही विरोध देखने को मिल रहा है. मुस्लिम पक्ष नेता अपनी बात रख रहे हैं, और इस फैसले पर विरोध जाहिर कर रहे हैं.

मुस्लिम विधायकों की क्‍या है मांग?

कांग्रेस नेता देवव्रत सैकिया ने बयान जारी किया और कहा कि शुक्रवार को मुस्लिम विधायकों के लिए विधानसभा के पास ही नमाज अदा करने का प्रावधान किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि भविष्य में इसपर विचार कर कोई नियम बनाया जा सकता है. क्योंकी इस समय भी मेरे कई साथी सदन में होने वाली महत्वपूर्ण चर्चा से छूट गए, क्योंकी उन्हें नमाज अदा करने जाना था.

शुक्रवार को भी कार्यवाही चलनी चाहिए

स्पीकर विश्वजीत दैमारी ने संविधान को देखते हुए इस प्रस्ताव को पेश किया. प्रस्ताव में जिक्र किया गया कि विधानसभा को बाकी दिनों की तरह शुक्रवार को भी कार्यवाही चलानी चाहिए. इसी नियम को कमेटी के सामने रखा गया. जिसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया. लेकिन विपक्ष इस नियम से नाखुश है और विरोध जता रहा है.

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