शिमला में जन्मे, टीम में चुने गए तो रद्द करना पड़ा टेस्ट मैच, बने मशहूर कमेंटेटर- सचिन को कहा 'थैंक्यू' : कहानी Robin Jackman की
1945 में शिमला में जन्मे रॉबिन जैकमैन इंग्लैंड के तेज गेंदबाज़ थे. रोडेशिया में खेलने के कारण 1980-81 में वेस्ट इंडीज़ दौरे पर गयाना ने उन्हें वीज़ा देने से इनकार कर दिया, जिससे टेस्ट मैच रद्द हुआ जो कि क्रिकेट इतिहास का अनोखा मामला है. उन्होंने इंग्लैंड के लिए 4 टेस्ट, 15 वनडे खेले और 1400+ फ़र्स्ट क्लास विकेट लिए. बाद में मशहूर कमेंटेटर बने.;
क्रिकेट के इतिहास में एक ऐसा भी वाकया हुआ है जब किसी एक खिलाड़ी को किसी देश ने वीज़ा देने से इनकार कर दिया तो पूरी टीम प्रबंधन ने ही वहां खेलने से इनकार कर दिया. यह एक ऐसा विवाद था जो उससे पहले न कभी क्रिकेट में देखा गया और न ही उस प्रकरण के बाद दोबारा देखने को मिला.
यह घटना 1980-81 की है. तब इंग्लैंड की टीम वेस्ट इंडीज़ का दौरा कर रही थी और पहला टेस्ट जमैका में खेला जाना था. पर इंग्लैंड की टीम में पहली बार शामिल किए गए एक खिलाड़ी का जमैका सरकार ने विरोध किया और फिर वो टेस्ट मैच ही रद्द करना पड़ गया. चलिए जानते हैं पूरा मामला क्या है और क्या है उस खिलाड़ी का भारत से कनेक्शन.
हम बात कर रहे हैं रॉबिन जैकमैन की जो इंग्लैंड के एक जाने माने फ़र्स्ट क्लास क्रिकेटर थे. तेज़ गेंदबाज़ी करते थे और फ़र्स्ट क्लास क्रिकेट में 22 की औसत से 1400 से अधिक विकेट चटका चुके थे. लगातार अच्छे प्रदर्शन के बावजूद उन्हें बहुत देरी से राष्ट्रीय टीम का न्योता आया. भारत से उनका कनेक्शन इस तरह है कि अंग्रेज़ों के शासन के दौरान उनके पिता यहां मेजर के रूप में गोरखा राइफ़ल्स में थे. उसी दौरान हिमाचल प्रदेश में उनकी पोस्टिंग थी जब 1945 में शिमला में रॉबिन जैकमैन का जन्म हुआ. हालांकि उनका लालन-पालन इंग्लैंड में हुआ.
आख़िर क्यों रद्द करना पड़ा था टेस्ट मैच?
जब रंगभेद व्यवस्था के दौर में दक्षिण अफ़्रीका का बहिष्कार चल रहा था तो उन्हीं वर्षों के दौरान रॉबिन जैकमैन ने रोडेशिया (आज के ज़िम्बाब्वे) में 11 सीज़न तक क्रिकेट खेली और कोचिंग दी थी. इसी वजह से वेस्ट इंडीज़ द्वीप समूह के एक सदस्य देश गुयाना ने उनका विरोध किया था. दरअसल जैकमैन ने 1971-72 में वेस्टर्न प्रोविंस, तो 1972-73 और 1979-80 के बीच रोडेशिया के क्रिकेट खेले. रोडेशिया को बाद में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद ने ज़िम्बाब्वे के रूप में मान्यता दी. 1980-81 में इंग्लैंड को वेस्ट इंडीज़ में टेस्ट सिरीज़ खेलना था. उस टीम में रॉबिन जैकमैन भी थे, पर गयाना की सरकार ने उनको वीज़ा देने से इनकार कर दिया और नतीजा यह निकला कि इंग्लैंड के मैनेजमेंट ने उसे राजनीतिक रूप नहीं देते हुए वो टेस्ट मैच नहीं खेलने का फ़ैसला किया. तब उस टेस्ट मैच को रद्द करना पड़ा था. यह टेस्ट मैच को रद्द करने का क्रिकेट के इतिहास में अपने आप में अकेला ऐसा मामला है.
रंगभेद और दक्षिण अफ़्रीकी क्रिकेट
साल 1948 से 1991 तक दक्षिण अफ़्रीका में रंगभेद की राजनीतिक व्यवस्था से आम जनजीवन पूरी तरह अस्त व्यस्त था. इसके तहत वहां अश्वेत लोगों के साथ भेदभाव किया जाता था. रंगभेद नीति के कारण दक्षिण अफ़्रीकी क्रिकेट का 1970 से 21 सालों तक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहिष्कार किया गया था. तब कई देशों ने दक्षिण अफ़्रीका के साथ अपने क्रिकेट संबंध तोड़ दिए थे और अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों में भी दक्षिण अफ़्रीका को शामिल नहीं किया जाता था. उस दौरान बड़े पैमाने पर पूरी दुनिया में रंगभेद नीति के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई गई. बातचीत का एक लंबा दौर चला और कई क़ानूनी बदलाव लाए गए. 90 के दशक की शुरुआत में ये प्रक्रियाएं आरंभ हुईं तब जाकर 1991 में दक्षिण अफ़्रीकी टीम ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी की और भारत के ख़िलाफ़ पहला आधिकारिक एकदिवसीय मैच खेला.
जैकमैन का क्रिकेट करियर
आख़िर जैकमैन को 35 साल की उम्र में अपना पहला अंतरराष्ट्रीय टेस्ट मैच खेलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, वो उसी सिरीज़ का दूसरा टेस्ट मैच था जो बारबाडोस में खेला गया था. उस टेस्ट में जैकमैन ने वेस्ट इंडीज़ के दिग्गज ओपनर गॉर्डन ग्रीनिज का विकेट चटकाते हुए टेस्ट क्रिकेट में अपना पहला विकेट लिया और मैच में कुल पांच विकेट हासिल किए. पर जैकमैन इंग्लैंड के लिए महज़ चार टेस्ट मैच खेले और 14 विकेट लिए. वो 15 वनडे मैच भी खेले. 1966 में सरे के लिए काउंटी क्रिकेट खेलने की शुरुआत करने वाले जैकमैन ने लगातार नौ सीज़न में 50 या उससे अधिक विकेट लिए. 16 साल तक चले फ़र्स्ट क्लास करियर के बाद उन्होंने जब क्रिकेट से संन्यास लिया तो उनके विकेटों की संख्या 1402 पहुंच गई थी.
क्रिकेट कमेंट्री और सचिन को 'थैंक्स'
बाद में रॉबिन जैकमैन ने कई मैचों में कमेंट्री की. ये वही दिवंगत पूर्व क्रिकेटर और कमेंटेटर हैं जिन्होंने 2003 के वर्ल्ड कप में भारत-पाकिस्तान के उस मशहूर मैच के दौरान कमेंट्री की थी. तब सचिन तेंदुलकर के शोएब अख़्तर की गेंद पर लगाए गए उस ऐतिहासिक छक्के के दौरान रॉबिन जैकमैन ही कमेंट्री कर रहे थे. उस मैच में मास्टर ब्लास्टर ने 75 गेंदों पर 12 चौके और एक छक्के की मदद से 98 रन बनाए थे और पाकिस्तान के 273 रनों के स्कोर को बौना बना दिया था. भारत ने वनडे वर्ल्ड कप में पाकिस्तान पर अपनी बादशाहत कायम रखते हुए उस मैच को 6 विकेट से जीता था. मैच के बाद जब प्रेजेंटेशन समारोह आयोजित किया गया तो जैक ने सचिन तेंदुलकर से बातचीत के दौरान कहा था- "थैंक यू सचिन... आज आपने हमें एक लाजवाब बैटिंग देखने का मौक़ा दिया. आप जिस अंदाज में खेले वैसी बल्लेबाज़ी मैंने कभी नहीं देखी." इस यादगार मैच के कुछ वर्षों के बाद साल 2012 में जैकमैन को उनके वोकल कॉर्ड्स के कैंसर का पता चला. इसके बावजूद उन्होंने चैरिटी पर आधारित अंतरराष्ट्रीय ग़ैर-सरकारी संगठन मर्सी शिप्स और ग्रेस विज़न के लिए सक्रिय रूप से फंड जुटाने के उद्देश्य से कुछ समय के लिए अपनी कमेंट्री के काम को जारी रखा. आखिर 75 साल की उम्र में 25 दिसंबर 2020 को उनका निधन हो गया.