मोक्ष की ओर पहला कदम यमुनोत्री से क्यों? जानें चारधाम यात्रा के लिए पहले क्यों किए जाते हैं यमुनोत्री मंदिर के दर्शन
चारधाम यात्रा भारत की सबसे पवित्र तीर्थ यात्राओं में से एक है, जिसे "मुक्ति का मार्ग" कहा जाता है. यह यात्रा उत्तराखंड राज्य में स्थित चार प्रमुख हिंदू तीर्थ स्थलों यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को शामिल करती है.;
चारधाम यात्रा उत्तराखंड की चार प्रमुख तीर्थस्थलों यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ की धार्मिक यात्रा है. इसे हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र माना गया है. इस यात्रा की शुरुआत परंपरागत रूप से यमुनोत्री से होती है और फिर गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ की ओर बढ़ती है. लेकिन क्या आपने सोचा है कि आखिर क्यों यमुनोत्री से ही शुरू होती है चारधाम यात्रा?
दूर होता है मृत्यु का भय
यमुनोत्री को यमराज की बहन यमुना का घर माना जाता है. यमुनोत्री यमुना नदी का उद्गम स्थल है और देवी यमुना को यहां पूजा जाता है. मान्यता है कि यमुनोत्री से यात्रा शुरू करने से भक्तों को मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है, क्योंकि यमराज की बहन यमुना की कृपा से जीवन में सुख, शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है. एक प्रचलित लोककथा के अनुसार, भैया दूज के दिन यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने आए थे. यमुना ने उनसे वादा लिया था कि जो भी व्यक्ति यमुना में स्नान करेगा, उसे मृत्यु के समय यमराज के क्रोध का सामना नहीं करना पड़ेगा.
यमुनोत्री सबसे पश्चिम में स्थित है
चारधाम यात्रा आमतौर पर पश्चिम से पूर्व की दिशा में की जाती है और यमुनोत्री चारों धामों में सबसे पश्चिमी धाम है. इसके बाद गंगोत्री (पूर्व की ओर), फिर केदारनाथ (दक्षिण-पूर्व) और अंत में बद्रीनाथ (उत्तर-पूर्व) आता है. यह रास्ता यात्रा के लिए सही माना जाता है, क्योंकि इस क्रम में ऊंचाई धीरे-धीरे बढ़ती है, जिससे शरीर को ऊंचाई का अनुकूलन मिल जाता है.
यमुनोत्री से जुड़ी परंपरा
सैकड़ों वर्षों से साधु-संत और तीर्थयात्री यमुनोत्री से यात्रा शुरू करते आ रहे हैं, जिससे यह एक स्थायी परंपरा बन गई है. यमुनोत्री से शुरू होकर बद्रीनाथ पर यात्रा समाप्त करना एक आध्यात्मिक पूर्णता मानी जाती है. बद्रीनाथ को चारों धामों में सबसे पवित्र और अंतिम मोक्षधाम माना जाता है.