Sheetala Ashtami: कब है शीतला अष्टमी, क्यों लगाया जाता है मां को बासी भोग?
शीतला अष्टमी के दिन पूजा करने से देवी शीतला से घर में स्वास्थ्य और सुख-शांति की कामना की जाती है. विशेष रूप से संक्रामक रोगों से रक्षा के लिए पूजा की जाती है. इसके अलावा, शीतला अष्टमी का पर्व समाज में बुराईयों, बीमारियों और नकारात्मक शक्तियों के नाश का प्रतीक है. यह दिन शुद्धता और संतुलन का प्रतीक बनता है.;
हिंदू धर्म में शीतला अष्टमी का खास महत्व है. यह दिन शीतला माता को समर्पित है. यह चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पड़ती है. मां शीतला देवी भक्तों की रोगों से रक्षा करती है. साथ ही, आप जानते हैं कि आखिर इस दिन माता को बासी भोजन का भोग क्यों लगाया जाता है और जानते हैं इस साल कब रखा जाएगा शीतला अष्टमी का व्रत.
कब है शीतला अष्टमी?
शीतला अष्टमी का व्रत होली के आठवें दिन मनाया जाता है. इस बार 20 मार्च शीतला अष्टमी का व्रत रखा जागा. इस दिन मां शीतला की पूजा करने का विधान है. माना जाता है कि मां शीतल की अर्चना करने से रोग दूर हो जाते हैं.
मां को क्यों लगाया जाता है बासी भोग?
माना जाता है कि शीतला अष्टमी के दिन चूल्हा नहीं जलाया जाता है. यानी इस दिन खाना बनाने की मनाही होती है. ऐसे में रात को ही खाना बनाकर रख दिया जाता है. इसके बाद अगले दिन पूजा के दौरान मां को प्रसाद के रूप में बासी खाना भोग लगाया जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां को ताजा भोजन नहीं पसंद है. ऐसे में कहा जाता है कि इस दिन गर्म खाना बनाने से माता नाराज हो जाती हैं.
शीतला अष्टमी की पूजा विधि
शीतला अष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर नहाएं. इसके बाद मंदिर को गंगाजल से पवित्र करें. फिर देवी शीतला की पूजा करें. मां को ठंडा जल, रोली, मौली, चावल, हल्दी और फूल चढ़ाएं.
कैसे करें मां को प्रसन्न?
मां शीतला को प्रसन्न करने के लिए उनकी मूर्ति ठंडी जगह पर रखें. इससे वह भक्तों को आर्शीवाद देती हैं. कहा जाता है कि अगर मां नाराज हो जाए, तो घर में लोग बीमार पड़ने लगते हैं. इसलिए स्वस्थ जीवन के लिए शीतला मां को प्रसन्न रखना बेहद जरूरी है.