पालकी पर सवार होकर आ रही है माता रानी, जानें आपके ऊपर क्या होगा असर

माता की हरेक सवारी के संकेत भी अलग अलग होते हैं. माता रानी का पालकी पर आना महामारी को संदेश देता है. घोड़े पर आना दुभिक्ष का द्योतक है. वहीं जब माता रानी हाथी या नाव पर सवार होकर आती है तो देश दुनिया में संवृद्धि आती है.;

By :  स्टेट मिरर डेस्क
Updated On : 21 Sept 2024 9:43 AM IST

शारदीय नवरात्रि 2024 इस साल 3 अक्टूबर से शुरू होकर 12 अक्टूबर तक पड़ रही है. इसका तात्पर्य यह कि नवरात्रि की शुरुआत 3 अक्टूबर यानी रविवार को होगा. मान्यता है कि जब भी नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार से होती है तो माता रानी पालकी पर सवार होकर आती है. इसके कुछ शुभ और अशुभ लक्षण बताए गए हैं. शुभ लक्षण में तो जातकों को लाभ ही लाभ है, लेकिन जब लक्षण अशुभ होते हैं तो काफी उथल पुथल और लड़ाई झगड़े या उत्पात खड़े होने की समस्या आती है. इस बार माता रानी के पालकी पर आने की वजह से कुछ ऐसे ही आसार बनते नजर आ रहे हैं. दोनों ही नवरात्रियों में माता के आगमन और प्रस्थान की सवारी धरती पर निकट भविष्य में होने वाली कई घटनाओं का संकेत देती है.

देवी पुराण के माता को पालकी में सवार होकर आने को शुभ तो माना गया है, लेकिन मानव जगत के लिए इसके कुछ दुष्प्रभाव भी बताए गए हैं. इस महान ग्रंथ के मुताबिक जब माता पालकी पर सवार होकर आती हैं, तो पृथ्वी पर महामारी फैलने की आशंका प्रबल होती है. इसके अलावा देश दुनिया की अर्थव्यवस्था में गिरावट, व्यापार में मंदी के भी आसार हैं. देवी पुराण के अलावा मार्कन्डेय पुराण समेत कई अन्य पौराणिक ग्रंथों में इस तरह की समस्या होने पर इसका समाधान भी बताया गया है. खासतौर पर मार्कन्डेय पुराण के श्रीदुर्गा सप्तशती खंड में अध्याय पांच के इस मंत्र 'या देवी सर्व भूतेषू मातृ रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै-नमस्तस्यै-नमस्तस्यै नमो नम:' को सिद्ध मंत्र बताया गया है. इस मंत्र का अर्थ है कि 'सभी भूतों यानी जीवों में विराजमान मातृरुपा देवी, जो अपनी शक्तियों से सृष्टि का संचालन करती हैं, उन्हें बारंबार प्रणाम है, नमस्कार है. मान्यता है कि इस मंत्र के पाठ, जाप से जातक का कल्याण होता है.

ऐसे पता करें माता की सवारी

वैसे तो माता रानी की सवारी शेर है. हमेशा वह अपनी इसी सवारी पर त्रिलोक का भ्रमण करती है, नवरात्रों के समय जब माता रानी का धरती पर पदार्पण होता है तो उनकी सवारी अक्सर बदल जाती है. उनकी सवारी को लेकर देवी भागवत पुराण में एक श्लोक 'शशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे। गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता॥' आता है. इसका अर्थ है कि सप्ताह के जिस किसी दिन माता का आगमन होगा, उस दिन के हिसाब से माता की सवारी भी होगी. इस श्लोक के मुताबिक नवरात्रि की शुरुआत यदि रविवार या सोमवार से हो तो माता रानी की सवारी हाथी होगी. वहीं यदि नवरात्रि शनिवार या मंगलवार से शुरू होती है तो मां भवानी अश्व यानी घोड़े पर सवार होकर आती हैं. इसी प्रकार गुरुवार या शुक्रवार से नवरात्रि शुरू होने पर माता रानी पालकी पर सवार होकर पृथ्वी पर आती हैं. वहीं बुधवार से नवरात्रि शुरू होने पर माता का आगमन नाव में होता है.

माता की सवारी के क्या हैं संकेत?

माता की हरेक सवारी के संकेत भी अलग अलग होते हैं. यह संकेत काफी हद तक निकट भविष्य में देश और दुनिया के अंदर बनने वाली स्थिति और परिस्थिति से सजग करने के लिए होते हैं. जैसे कि माता रानी का पालकी पर आना महामारी को संदेश देता है. घोड़े पर आना दुभिक्ष का द्योतक है. वहीं जब माता रानी हाथी या नाव पर सवार होकर आती है तो देश दुनिया में संवृद्धि आती है.

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