मां कुष्मांडा को समर्पित है शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन, जानें मंत्र, पूजा विधि और प्रिय भोग
शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप, मां कुष्मांडा की पूजा का विशेष महत्व है. मान्यता है कि जब सृष्टि का कोई अस्तित्व नहीं था और चारों तरफ अंधकार छाया हुआ था तब मां कुष्मांडा ने अपनी हल्की मुस्कान से पूरे ब्रह्मांड की रचना की थी.;
Shardiya Navratri 4th Day: शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप, मां कुष्मांडा की पूजा का विशेष महत्व है. मान्यता है कि जब सृष्टि का कोई अस्तित्व नहीं था और चारों तरफ अंधकार छाया हुआ था तब मां कुष्मांडा ने अपनी हल्की मुस्कान से पूरे ब्रह्मांड की रचना की थी. इस कारण उन्हें "कूष्मांडा" कहा जाता है, जिसका अर्थ है "कूष्म" यानी छोटा और "अंड" यानी ब्रह्मांड. इसलिए मां कुष्मांडा को सृष्टि की रचयिता माना जाता है.
चतुर्थी तिथि कब है?
वैदिक पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्रि 2024 (Shardiya Navratri) के चौथे दिन की चतुर्थी तिथि 6 अक्टूबर की सुबह 7:49 बजे से शुरू होगी और इसका समापन 7 अक्टूबर की सुबह 9:47 बजे होगा.
मां कुष्मांडा की पूजा विधि
- सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहनें.
- मां कुष्मांडा की प्रतिमा या तस्वीर के सामने कुमकुम, मौली, अक्षत, पान के पत्ते, केसर और श्रृंगार अर्पित करें.
- पूजा के दौरान धूप-दीप जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और अंत में मां कुष्मांडा की आरती करें.
भोग और प्रसाद
इस दिन मां कुष्मांडा को मालपुआ का भोग लगाना बहुत शुभ माना जाता है. मालपुआ विशेष रूप से आटे और घी से बनता है और इसे देवी को अर्पित करने से बुद्धि और बल की प्राप्ति होती है.
मंत्र
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
देवी कूष्माण्डा का बीज मंत्र-
ऐं ह्री देव्यै नम:
मां कूष्मांडा की स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
माता कूष्मांडा का ध्यान मंत्र
वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥
भास्वर भानु निभां अनाहत स्थितां चतुर्थ दुर्गा त्रिनेत्राम्।
कमण्डलु, चाप, बाण, पदमसुधाकलश, चक्र, गदा, जपवटीधराम्॥
पटाम्बर परिधानां कमनीयां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल, मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वदनांचारू चिबुकां कांत कपोलां तुंग कुचाम्।
कोमलांगी स्मेरमुखी श्रीकंटि निम्ननाभि नितम्बनीम्॥
मां कुष्मांडा की कृपा
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां कुष्मांडा की पूजा करने से आयु, यश, बल और बुद्धि का आशीर्वाद मिलता है. यह माना जाता है कि मां अपने भक्तों के जीवन से सभी प्रकार की बाधाओं, रोगों और दुखों को दूर करती हैं और उन्हें सुख-समृद्धि प्रदान करती हैं.
डिस्क्लेमर: यह लेख सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हम इसके सही या गलत होने की पुष्टि नहीं करते.