सर्वपितृ अमावस्या पर रहेगा सूर्य ग्रहण का साया, जानें इस दिन श्राद्ध करना शुभ होगा या नहीं?

साल 2025 में सर्वपितृ अमावस्या का दिन बेहद खास होने जा रहा है क्योंकि इस बार इस तिथि पर सूर्य ग्रहण का साया भी रहेगा. हिंदू धर्म में सर्वपितृ अमावस्या को पितरों की आत्मा की शांति और उनके आशीर्वाद के लिए श्राद्ध करने का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है. लेकिन जब इसी दिन ग्रहण जैसे खगोलीय योग बनते हैं, तो लोगों के मन में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या श्राद्ध करना शुभ रहेगा या नहीं;

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By :  State Mirror Astro
Updated On : 18 Sept 2025 6:00 PM IST

21 सितंबर 2025 को सर्वपितृ अमावस्या के साथ 16 दिनों तक चलने वाले पितृ पक्ष खत्म हो जाएंगे. हिंदू धर्म में पितृपक्ष के दौरान आने वाली अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है. जिसे सर्वपितृ अमावस्या के नाम से जाना जाता है. इस तिथि पर सभी पितरों को श्राद्ध और तर्पण देते हुए उनको पितरलोक के लिए विदा करते हैं.

सर्वपितृ अमावस्या तिथि हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है. सर्वपितृ अमावस्या तिथि उन लोगों के लिए बहुत ही खास मानी जाती है जिनके परिजनों की मृत्यु की तिथि मालूम नहीं होती है. या फिर किसी वजहों से समय पर श्राद्ध नहीं हो सका है. ऐसे में यह अमावस्या सभी पितरों के तर्पण के लिए मानी जाती है. आइए जानते हैं सर्वपितृ अमावस्या का महत्व.

सर्वपितृ अमावस्या पर सूर्य ग्रहण

इस वर्ष सर्वपितृ अमावस्या पर ग्रहण का साया रहेगा. इस कारण से इसका विशेष महत्व होगा. 21 सितंबर को साल का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण लगेगा. ऐसे में सर्वपितृ अमावस्या पर पितरों को तर्पण करते हुए उन्हें विदाई देना खास महत्वपूर्ण रहेगा.

कब है अमावस्या?

वैदिक पंचांग के अनुसार, सर्वपितृ अमावस्या की तिथि की शुरुआत 21 सितंबर 2025 को सुबह 12 बजकर 16 मिनट से होगी और जिसका समापन 22 सितंबर 2025 को देर रात 01 बजकर 23 मिनट तक रहेगी. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार 21 सितंबर 2025 को सर्वपितृ अमावस्या मनाई जाएगी.

पितरों को तर्पण करने शुभ मुहूर्त

16 दिनों तक चलने वाले श्राद्ध पक्ष के बाद सर्वपितृ अमावस्या तिथि पर पितरों को तर्पण देकर उनको पृथ्वीलोक से विदाई दी जाएगी. इस दिन कुतुप मुहूर्त और रोहिणी मुहूर्त में श्राद्ध करते हुए पितरों को तर्पण दिया जाता है. कुतुप मुहूर्त सुबह 11 बजकर 50 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 38 मिनट तक रहेगा. वहीं रोहिणी मुहूर्त में पितरों को तर्पण करने का शुभ मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 38 मिनट से लेकर 01 बजकर 27 मिनट तक रहेगा. शास्त्रों के अनुसार, सर्वपितृ अमावस्या पर पितरों को तर्पण देने के लिए दोपहर का समय बहुत ही अच्छा माना जाता है.

सूर्य ग्रहण पर तर्पण देना चाहिए या नहीं

सर्वपितृ अमावस्या तिथि पर साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लगेगा. लेकिन भारत में इस ग्रहण को नहीं देखा जा सकता है ऐसे में सूतक काल प्रभाव नहीं होगा जिसके चलते दोपहर को सर्वपितृ अमावस्या पर पितरों को तर्पण दिया जा सकता है.

अमावस्या तिथि पर श्राद्ध का महत्व

हिंदू धर्म में सर्वपितृ अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है. इस दिन सभी पितरों को तर्पण और श्राद्ध कर्म करना बहुत ही शुभ माना जाता है. सर्वपितृ अमावस्या तिथि पर उन पूर्वजों को तर्पण देते हैं जिनकी मृत्यु की तिथि मालूम न हो. ऐसे में पितरों की आत्मा को शांति मिलती है. सर्वपितृ अमावस्या पर अनाज और इससे बनी चीजें, कपड़े,  तिल और जल, स्वर्ण और धातु, दीपक और गौदान दान करना चाहिए. 

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