श्राद्ध पक्ष का संजीवनी मंत्र! अगर आपकी कुंडली में पितृदोष तो पितृपक्ष में इन 7 उपायों को जरूर करें
पितृपक्ष में पूर्वजों की आत्मा की शांति और पितृदोष से मुक्ति के लिए तर्पण, पिंडदान, दान, पीपल की पूजा, गीता-गरुड़ पुराण का पाठ, काले तिल से तर्पण और ब्राह्मण व गौ-सेवा जैसे उपाय बताए गए हैं। इनसे पितरों का आशीर्वाद मिलता है और जीवन की बाधाएं दूर होती हैं।;
इस समय पितृ पक्ष चल रहे हैं जो 15 दिनों तक चलेगा और 21 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या पर श्राद्ध पक्ष खत्म हो जाएगा. हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व होता है, इस दौरान पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और दान करने का विशेष महत्व होता है. ज्योतिष शास्त्र में पितृ दोष का वर्णन मिलता है, जिसे बहुत ही गंभीर माना जाता है. जिन लोगों की कुंडली में पितृदोष से संबंधी किसी प्रकार का कोई दोष होता है उनके जीवन में तरह-तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
ज्योतिष शास्त्र में ऐसी मान्यता है पितृ दोष उनको मिलता है जो पिछले जन्मों में इससे संबंधी कोई तरह का पाप कर्म आदि करते हैं. जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष होता हैं उनके लिए श्राद्ध पक्ष का विशेष महत्व होता है. श्राद्ध पक्ष के दौरान अगर कुछ उपायों को किया जाए तो पितृदोष कुंडली से खत्म हो जाता है और पितरों का आशीर्वाद मिलता है. आइए जानते हैं पितृ पक्ष के दौरान किन-किन उपायों से पितृदोष को कम किया जा सकता है.
1. तर्पण करना
पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध कर्म करना पितृदोष से मुक्ति पाने का एक कारगर उपाय माना जाता है. श्राद्ध कर्म करने लिए ब्राह्मणों को बुलाकर विधि-विधान से करना चाहिए. इससे पितरों की आत्मा तृप्त होती है और वे संतुष्ट होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं. तर्पण के दौरान पितरों को भोजन अर्पित करने में कुछ हिस्सा गाय, कुत्ते और कौवे को जरूर दें.
2. पिंडदान करना
हिंदू धर्म में पिंडदान का विशेष महत्व होता है. पिंडदान करने से परिजनों की आत्मो को मोक्ष की प्राप्ति होती है. ऐसे में पितृ पक्ष के दौरान गया, वाराणसी, उज्जैन या हरिद्वार जैसे पवित्र तीर्थस्थलों पर पिंडदान करने से पितृ दोषों से मुक्ति मिलती है.
3. गरीब को दान
पितृपक्ष के दौरान गरीबों को दान करने का विशेष महत्व होता है. दान करने से पूर्वजों की आत्मा तक आपका दिया हुआ दान पहुंचता है. श्राद्ध पक्ष में अन्न, वस्त्र, तिल, गुड़ और दक्षिणा का दान करना चाहिए.
4. पीपल की पूजा और जल अर्पण
हिंदू धर्म में पीपल के पेड़ की विशेष पूजा की जाती है. धार्मिक मान्याओं के अनुसार पीपल के पेड़ में देवी-देवताओं समेत पितरों का भी वास होता है. ऐसे में श्राद्ध पक्ष में प्रतिदिन पीपल के पेड़ को जल अर्पित करें, घी का दीपक जलाएं और सात बार परिक्रमा करें. साथ ही “ॐ पितृभ्यः नमः” मंत्र का जप करें. इस उपाय पितर देव प्रसन्न होते हैं और पितृदोषों से मुक्ति मिलती है.
5. गीता और गरुड़ पुराण का पाठ
पितृ पक्ष के दौरान जहां एख तरफ पितरों को तर्पण और पिंडदान का महत्व होता है वहीं इस दौरान गीता का पठन-पाठन और गरुड़ पुराण का श्रवण करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है. इससे भी कुंडली में पितृदोषों में कमी आती है.
6. काले तिल और जल से तर्पण
पितृ पक्ष के दौरान पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए और कुंडली से पितृदोष को कम करने के लिए काले तिल, कुश और जल से पितरों का तर्पण करना चाहिए. पितरों की कृपा प्राप्त करने का सबसे सरल उपाय माना गया है.
7. ब्राह्मण और गौ सेवा
श्राद्ध पक्ष में ब्राह्मणों को भोजन कराना और दक्षिणा देना विशेष फलकारी है. साथ ही गौ-सेवा और गौ-दूध का दान करने से भी पितृ दोष का शमन होता है.