Maha kumbh Mela 2025: महाकुंभ का मेला लगाने के लिए कैसे चुनी जाती है जगह? ग्रहों से है कनेक्शन

हिन्दू धर्म में महाकुंभ का आयोजन बेहद पवित्र माना जाता है. साथ ही, माना जाता है कि इस महापर्व में भाग लेने से कई धार्मिक लाभ मिलते हैं. श्रद्धालु इस अवसर पर पवित्र नदियों में स्नान करके पापों से मुक्ति पाते हैं.;

Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 9 Dec 2024 5:18 PM IST

हिंदू धर्म में महाकुंभ का खास महत्व है. यह एक धार्मिक आयोजन है. जहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं. महाकुंभ संत समाज और नागा साधुओं के लिए खास समय होता है. भारत में महाकुंभ की दिव्यता किसी त्यौहार से कम नहीं होती है. धार्मिक दुष्टि से कहें, तो यह पर्व सनातनियों की आलौकिक शक्ति को दिखाता है.

साल 2025 में 13 जनवरी से महाकुंभ की शुरुआत होगी. वहीं, महाशिवरात्रि के दिन यानी 26 फरवरी के दिन समाप्त होगी, लेकिन क्या आप जानते हैं कि महाकुंभ के लिए जगह कैसे चुनी जाती है? चलिए जानते हैं इस बारे में.

महाकुंभ का इतिहास और महत्व

महाकुंभ का आयोजन धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है. यह आयोजन कई पुरानी धार्मिक मान्यताओं और कथाओं से जुड़ा हुआ है, देवों और असुरों के बीच समुद्र मंथन की कहानी शामिल है. माना जाता है कि समुद्र मंथन से अमृत प्राप्त हुआ था. जहां देवताओं और असुरों के बीच लड़ाई में अमृत प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में गिरा था. इस कारण से इन जगहों पर महाकुंभ का मेला लगाया जाता है.

कैसे चुना जाता है महाकुंभ के लिए स्थान?

महाकुंभ का आयोजन, तब होता है जब ज्योतिषीय संयोग बनता है. यह संयोग तब बनता है, जब बृहस्पति (गुरु) एक विशेष राशि में प्रवेश करता है. साथ ही, जब सूर्य और चंद्रमा विशेष स्थिति में होते हैं. यह संयोग हर 12 साल में बनता है, लेकिन हर स्थान पर महाकुंभ का आयोजन अलग-अलग समय पर होता है:

  • प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन तब होता है, जब बृहस्पति मीन राशि में होता है.
  • हरिद्वारा में महाकुंभ का त्योहार तब मनाया जाता है, जब जब बृहस्पति मकर राशि में होता है.
  • जब बृहस्पति सिंह राशि में होता है, तब उज्जैन में महाकुंभ का आयोजन किया जाता है.
  • जब बृहस्पति वृषभ राशि में होता है, तब नासिक में महाकुंभ का मेला होता है.

महाकुंभ के धार्मिक लाभ

महाकुंभ में स्नान करने से माना जाता है कि व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. विशेष रूप से जब श्रद्धालु पवित्र नदियों के संगम स्थल, जैसे प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में स्नान करते हैं, तो उनकी आत्मा शुद्ध हो जाती है और उनके पाप धुल जाते हैं.

महाकुंभ में भाग लेने से मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है. हिन्दू धर्म में यह मान्यता है कि महाकुंभ में स्नान करने से व्यक्ति के सभी जन्मों के पाप समाप्त हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है.

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