पितृ पक्ष त्रयोदशी तिथि के दिन इस तरह करें श्राद्ध, मिलेगा पूर्वजों का आशीर्वाद

Pitru Paksha : त्रयोदशी श्राद्ध करने से व्यक्ति अपने पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है और अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि ला सकता है.;

Pitru Paksha

Pitru Paksha : पितृ पक्ष के दौरान त्रयोदशी तिथि का विशेष महत्व होता है, और इस वर्ष यह तिथि 30 सितंबर 2024, सोमवार को पड़ रही है. इस दिन विशेष रूप से उन पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु त्रयोदशी तिथि को हुई हो, चाहे वह शुक्ल पक्ष की हो या कृष्ण पक्ष की. इस तिथि को तेरस श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है, और मृत बच्चों का श्राद्ध करने के लिए भी इसे उपयुक्त माना जाता है. इस दिन श्राद्ध करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार पर उनकी कृपा बनी रहती है.

त्रयोदशी तिथि पर श्राद्ध करने के लिए विभिन्न शुभ मुहूर्त होते हैं, जैसे कुतुप काल, रौहिण, और अपराह्न काल. इन मुहूर्तों के दौरान श्राद्ध कर्म करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और पितरों की आत्मा की शांति के साथ उनका आशीर्वाद भी प्राप्त होता है. यदि तिथि ज्ञात न हो, तो पितृ विसर्जन के दिन श्राद्ध करना सबसे उचित माना गया है.

त्रयोदशी श्राद्ध की विधि

इस दिन श्राद्ध कर्म विधि को सही तरीके से करना बहुत महत्वपूर्ण है. श्राद्ध करने की प्रक्रिया में सबसे पहले घर के मुख्य द्वार पर फूल आदि से पितरों का आह्वान किया जाता है. इसके बाद कौआ, कुत्ते और गाय को भोजन कराकर यम के प्रतीकों को प्रसन्न किया जाता है. श्राद्धकर्ता पात्र में दूध, जल, तिल और पुष्प लेकर कुश और काले तिल से तीन बार तर्पण करते हैं. इसके साथ ही, ब्राह्मणों को वस्त्र, फल, मिठाई आदि का दान करना चाहिए. यदि ब्राह्मण न मिल सके, तो मंदिर में भोजन और वस्त्र का दान करना एक उचित विकल्प हो सकता है.

त्रयोदशी श्राद्ध कौन कर सकता है?

ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, श्राद्ध कर्म को करने का अधिकार परिवार की तीन पीढ़ियों तक होता है. श्राद्ध कर्म पुत्र, पौत्र, भतीजे, या भांजे के द्वारा किया जा सकता है. पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध कर्म करना न केवल पारिवारिक जिम्मेदारी है बल्कि इसे एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान माना जाता है.

डिस्क्लेमर: यह लेख सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हम इसके सही या गलत होने की पुष्टि नहीं करते.

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