Hola Mohalla 2025: क्यों सिखों में खास है होला मोहल्ला का त्यौहार, जानें कैसे हुई थी शुरुआत

होला मोहल्ला वाले दिन आनंदपुर साहिब में इस दिन बड़े पैमाने पर जुलूस निकलते हैं. ये जुलूस गुरुद्वारों से शुरू होकर विभिन्न स्थानों से गुजरते हैं और इस दौरान विशेष धार्मिक गाने और कीर्तन होते हैं. जुलूस में भाग लेने वाले लोग पारंपरिक कपड़े पहनते हैं.;

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Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 6 March 2025 3:46 PM IST

होला मौहल्ला एक प्रमुख सिख त्योहार है, जिसे विशेष रूप से पंजाब के आनंदपुर साहिब में मनाया जाता है. यह त्योहार होली के अगले दिन, फाल्गुन पूर्णिमा को मनाया जाता है और सिख धर्म के इतिहास, संस्कृति और शौर्य को सम्मानित करता है.

होला मोहल्ला का त्योहार 3 दिनों तक मनाया जाता है. इस साल 14 से 16 मार्च तक होला मोहल्ला का भव्य आयोजन किया जाएगा. इस दिन सिख समुदाय विशेष रूप से युद्ध कौशल, शौर्य, और वीरता का प्रदर्शन करते हैं. इस त्योहार में हजारों लोग इकट्ठा होते हैं.

किसने शुरू किया होला मोहल्ला?

होला मोहल्ला का आयोजन गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा किया गया था, ताकि सिखों को अपने युद्ध कौशल और साहस को विकसित करने के लिए प्रेरित किया जा सके. कहा जाता है कि गुरु गोबिंद सिंह जी ने आनंदपुर साहिब में होला मोहल्ला की शुरुआत 1701 में की थी, ताकि यह सिखों को युद्ध कौशल में प्रशिक्षित कर सके.

युद्ध की तैयारी था कारण

उस समय यह आयोजन युद्ध की तैयारी के रूप में शुरू किया गया था. हालांकि, बाद में इसे एक धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव के रूप में मनाया जाने लगा, जिसमें साहसिक गतिविधियां होती हैं.

3 दिन तक क्या होता है?

होला मोहल्ला के पहले दिन गुरुद्वारों में प्रार्थना और भजन होते हैं. आनंदपुर में नगर कीर्तन जुलूस निकाला जाता है. वहीं, दूसरे दिन अलग-अलग तरह की मार्शल आर्ट परफॉर्म किए जाते हैं. इसमें ट्रेडिशनल गतका सिख मार्शल आर्ट सबसे यूनीक होता है. इस दौरान नकली लड़ाइयां और कुश्ती, तीरंदाजी होती हैं. वहीं, सिख लोग ट्रेडिशनल कपड़े नजर आते हैं. त्यौहार के तीसरे दिन सिख देश और समुदाय के लिए लड़ने वाले और अपनी जान देने वाले योद्धाओं को श्रद्धांजलि देते हैं. इस दिन लंगर किया जाता है, जिसमें सभी को फ्री में खाना परोसा जाता है.

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